धनबाद(DHANBAD): झारखंड में विधानसभा चुनाव क्या समय से पहले होंगे. क्या हरियाणा और महाराष्ट्र के साथ झारखंड में भी अक्टूबर में ही चुनाव हो जाएंगे. इसके साथ ही यह भी सवाल उठ रहे हैं कि अक्टूबर का महीना दुर्गा पूजा और दिवाली का होता है, ऐसे में चुनाव कैसे संभव हो पाएगा. हालांकि राजनीतिक दल अक्टूबर को ही समय सीमा मानकर तैयारी में जुट गए हैं.
झारखंड में बढ़ने लगी चुनावी तपिश
2019 में झारखंड में नवंबर, दिसंबर में चुनाव प्रक्रिया पूरी हुई थी. 6 नवंबर को पहले फेज के लिए अधिसूचना निकाली गई थी. वहीं 30 नवंबर से 20 दिसंबर तक पांच अलग-अलग चरणों में विधानसभा चुनाव हुए थे. वैसे चुनाव कब होंगे,यह तो अभी तय नहीं है लेकिन झारखंड में चुनाव की तपिश बढ़ने लगी है.
पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने के बाद यह तपिश और तेज हुई है. हेमंत सोरेन ने ही यह चर्चा छेड़ दी है कि समय से पहले झारखंड में चुनाव कराए जा सकते हैं. उन्होंने ऐलान कर दिया है कि अगर आज चुनाव हो जाए तो भाजपा का सुपड़ा साफ हो जाएगा. वैसे झारखंड की राजनीति फिजा में चुनावी रंग घुल रहा है. विधानसभा चुनाव के लिए मैदान सजाए जा रहे हैं. सभी पार्टियों ने चुनावी तैयारी शुरू कर दी है. पक्ष अथवा विपक्ष सभी दलों के नेताओं का मिजाज पूरी तरह से चुनावी दिखने लगा है. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तो जेल से छूटने के बाद पूरी तरह से चुनावी भाषण देने लगे हैं .रविवार को पहली बार बेल मिलने के बाद वह रांची से बाहर भोगनाडीह पहुंचे. वहां भी उन्होंने भाजपा को आड़े हाथों लिया और कहा कि झारखंड की खनिज संपदा पर कुछ लोगों की गिद्ध नजर है. लेकिन झारखंड में अब ऐसा कानून बनाया जाएगा कि यहां उत्पादित होने वाले खनिज पदार्थ का इस्तेमाल पहले यहां के लोग करेंगे. उसके बाद ही बाहर जाने दिया जाएगा.
भोगना डीह में लगभग 19 मिनट के भाषण में उन्होंने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जेल से छूटे अभी उनके सिर्फ दो दिन ही हुए हैं .देश के कुछ बड़े नेताओं में ऐसी खलबली मची है कि फिर से मुझे फसाने की साजिश रची जा रही है. लेकिन इसकी कोई चिंता नहीं है. अब तो जेल से घूम कर आए हैं. जेल की रोटी भी तोड़ कर आए हैं.सच्चाई को बहुत दिनों तक दबाकर या बांधकर नहीं रखा जा सकता है.
इ धर, भाजपा भी अपनी तैयारी तेज कर दी है. हूल दिवस पर भाजपा के सह चुनाव प्रभारी हिमांता बिस्वा शरमा भी झारखंड पहुंचे थे .उन्होंने अलग-अलग झारखंड के आदिवासी नेताओं से बातचीत की. कम से कम जिन पांच सीटों आदिवासी सीटों पर लोकसभा में एनडीए की हार हुई थी, वहां के प्रत्याशियों से अलग-अलग बैठके की और कारण जानना चाहा कि आखिर हार की वजह क्या हो सकती है .विधानसभा चुनाव में एनडीए किन मुद्दों को लेकर लोगों के बीच जाए. देखना है कि झारखंड में विधानसभा का चुनाव समय से होता है अथवा समय के पहले होता है. वैसे विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल 5 जनवरी 2025 तक है. झारखंड मुक्ति मोर्चा सहित इंडिया ब्लॉक के लिए यह विधानसभा चुनाव करो या मरो का होगा. तो एनडीए गठबंधन भी चाहेगा कि सरकार पर फिर से वह काबिज हो जाए.
2019 के चुनाव में बीजेपी झारखंड से अपदस्त हो गई थी. रघुवर दास मुख्यमंत्री रहते हुए जमशेदपुर पूर्वी सीट से चुनाव हार गए थे. भाजपा को केवल 25 सीटें मिली थी .जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा के 30 विधायक हुए थे. 16 सीटें कांग्रेस के पक्ष में गई थी.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो