देवघर(DEOGHAR): सावन के महिने में देवघर लघु भारत के रुप में भी जाना जाता है. राजकीय श्रावणी मेला के अवसर पर बाबाधाम में भक्ति और आस्था की ऐसी गंगा बहती है की पुरा कांवरिया पथ का बोल बम और हर-हर महादेव के जयघोष से पूरा वातावरण गूंज उठता है. कांवर लेकर बाबा पर जलापर्ण करने और अपनी मनोकामना को लेकर 105 किलामीटर की यात्रा करने के लिए देवघर में इन दिनो देश के कोने-कोने से बिना किसी भेद-भाव कांवरिया बन जाते है. इस यात्रा का स्वरुप भले ही धार्मिक और आध्यत्मिक हो लेकिन देश की एकता और सांस्कृतिक का यहा एक अदभुत उदाहरण प्रस्तुत होता है.
कांवर यात्रा में नही दिखता कोई भेदभाव नही यहां कहलाते है सिर्फ बम
कंधो पर कांवर लिए चलते-दौड़ते कांवरियों का हुजूम इन दिनों देवघर में देखा जा रहा है. सावन के पवित्र माह में यह कांवरिया देश के कोने-कोने से देवघर पहुंचते है जो जेश की एकता, समानता और आपसी भाईचारे का अदभुत उदाहरण है. ये लोग अलग-अलग राज्यों से देवघर आते है जो एक लघु भारत का अहसास करा जाते है. जात-पात, ऊंच-नीच,अमीर-गरीब सभी का फासला भुला कर बस शिव भक्त कांवरिया बन जाते है, जिनकी पहचान नाम से नहीं सिर्फ बम से होती है. यह भोलेनाथ के प्रति लोगो का आस्था ही है की कोई पहली बार यहा आता है और कोई सालो से.
उत्तर वाहिनी गंगा से जल लेकर आते है शिव भक्त
सुल्तानगंज स्थित पवित्र गंगा में डुबकी लगा कर कांवर में जल भर कर देवघर के पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग पर जलार्पण का संकल्प लेते ही इन कांवरियो का साकार रुप भी जैसे शिव में समाहित हो जाता है. श्रद्धालु शिव की भक्ति में ऐसे समां जाते है की इनको रास्ते का ख्याल ही नही रहता. आस्था और विश्वास के साथ-साथ मनोकामना पूर्ण होने की कामना के साथ सावन माह में देश की एकता नजर आती है.
एकता की ऐसी मिशाल कही बिरले ही देखी जाती है
कांवर लेकर अटूट भक्ति में डूब कर लाखों की संख्या में देवघर पहुंचने वाले इन कांवरिया के लिए सावन का पवित्र पूरा एक माह का नजारा ऐसा अदभुत होता है जो पुरे विश्व में शायद ही देखने को मिलेगा. तभी तो कामना लिंग के रुप में जाना जाने वाले बाबा बैद्यनाथ सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करते है. इनपर आस्था रखने वाले एक बार इनके दरबार में हाजरी लगा ले तो वो सालों साल यहां माथा टेकने से अपने आप को रोक नहीं पाते. इस कांवर यात्रा सभी को एक रूप देता है.
रिपोर्ट-रितुराज सिन्हा