लोहरदगा (LOHARDAGA) : नक्सलियों की धमक और रक्तरंजित रहने वाले लोहरदगा जिला में इन दिनों गुलाब की खेती हो रही है. युवा अब हथियार नहीं बल्कि कुदाल चला रहे हैं. लोहरदगा का बदलता स्वरूप अब युवाओं को भी पसंद आ रहा है. जिला अब अपनी नई पहचान की ओर निरंतर आगे बढ़ रहा है. भयमुक्त होता लोहरदगा जिला अब अपने आंगन में गुलाब की महक से फिजा को मोहित कर रहा है. लोहरदगा जिला का यह भंडरा प्रखंड क्षेत्र है. इस क्षेत्र में किसान अब गुलाब की खेती कर रहे हैं. अपने बदलते लक्ष्य के साथ ये सामाज के मुख्यधारा से जुड़ते हुए कई युवक युवतियों को रोज़गार से जोड़ भी रहे हैं. कभी पलायन करने और समाज के साथ क़दम से क़दम मिलाकर नहीं चलने वाले युवाओं की सोच धीरे-धीरे बदल गई है. लंबे समय तक इन गुलाब की इस खेती से इन्हें लाभ मिलने वाला है.
गुमला, रांची के साथ कलकत्ता, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में भी होता है गुलाब की सप्लाई
जिला उद्यान विभाग के द्वारा इन्हें ये पौधा उपलब्ध कराया गया है. अब ये पौधे इन्हें अपने ही चौखट पर रोज़गार उपलब्ध करा रहा है. पलायन करने वाले ग्रामीणों को अब एक नई दिशा मिल गई है. अब ये जीवन के उलझे कांटों से बचकर समाज के मुख्यधारा में रहकर अपना रोजगार चलाने का कार्य कर रहे हैं. बेहतर क्वालिटी के ये गुलाब हाथों हाथ बिक रहे हैं. कटिंग के बाद इसे पैकिंग पर बाज़ार में उपलब्ध कराया जाता है. लोहरदगा, गुमला, रांची के अलावे यह झारखंड के विभिन्न जिलों में और कलकत्ता, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा तक यह पहुंच रहा है. साथ ही पलायन करने वालों को यह गुलाब रोज़गार भी प्रदान कर रहा है.
स्वरोजगार की दिशा में बेहतर कदम
डीसी वाघमारे प्रसाद कृष्ण ने कहा की किसानों के द्वारा लोहरदगा जिला क्षेत्र में गुलाब की खेती करना स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ना है. इन्होंने कहा की ऐसे युवाओं को जिला उद्यान विभाग की ओर से आगे भी सहायता प्रदान किया जाएगा. साथ ही इन्हें बेहतर बाजार भी उपलब्ध कराने की दिशा में काम किया जाएगा.
शिक्षा के साथ स्वरोजगार
लोहरदगा जिला समय के साथ निरंतर आगे बढ़ रहा है. युवाएं शिक्षा ग्रहण करने के बाद खेती को भी आधार बनाया, और आज बेहतर मुनाफा कमाने के साथ-साथ अपने गांव के लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराने का कार्य कर रहे हैं. बस जरूरत है कि इन्हें सरकार और जिला प्रशासन के द्वारा मॉटिवेट करने के साथ इनकी जरुरतों को पूरा करने की दिशा में कार्य करें. ताकि अधिक से अधिक युवा खेती किसानी की ओर आगे बढ़ सकें.
रिपोर्ट: गौतम लेनिन, लोहरदगा