दुमका(DUMKA): लोक सभा चुनाव को लेकर झारखंड की राजनीति में इन दिनों एक नाम काफी सुर्खियों में है और वो नाम है गोड्डा के महगामा से कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह का. पार्टी आलाकमान ने पहले दीपिका को गोड्डा लोकसभा से प्रत्याशी बनाया फिर उसका नाम काटते हुए पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव को दंगल में उतार दिया. टिकट देकर वापस लेने के के बाद दीपिका के दिल में क्या है यह तो पता नहीं, लेकिन चेहरे पर तनिक भी सिकन नहीं है.
गोड्डा लोकसभा सीट जीतकर राहुल गांधी को करेंगे समर्पित: दीपिका
एक केस के सिलसिले में दीपिका पांडेय सिंह दुमका पहुंची. दुमका में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि आज भी उनका लक्ष्य गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी निशिकांत दुबे को हराना है. उन्होंने बेबाकी से कहा कि अपने लिए चुनाव लड़ने में जितना मेहनत करती कहीं उससे ज्यादा मेहनत प्रदीप यादव के लिए करेंगी और गोड्डा लोकसभा सीट जीतकर राहुल गांधी की झोली में समर्पित करेंगी. उन्होंने कहा कि पार्टी के अंदर कोई भी गुटबाजी नहीं है. शुरू से ही गोड्डा लोकसभा के लिए पार्टी के अंदर तीन प्रबल दावेदार थे. प्रदीप यादव, फुरकान अंसारी के साथ वे भी एक दावेदार थी. पार्टी आलाकमान ने पहले ही यह फैसला ले लिया था कि पार्टी जिसे टिकट देगी सभी को उसे जिताने के लिए एक साथ मिलकर काम करना है और आज भी वे उसे स्टैंड पर कायम है. वैसे संथाल परगना की बात करें तो दीपिका अकेली नहीं जिसे टिकट देकर वापस लिया गया हो. भाजपा द्वारा दुमका के निवर्तमान सांसद सुनील सोरेन के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. पहले उनके नाम की घोषणा की गई फिर बाद में टिकट झामुमो छोड़ भाजपा का दामन थामने वाली सीता सोरेन को थमा दिया गया. इस घटना के बाद सुनील सोरेन पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी बनाकर रखे हैं. प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के दुमका आगमन पर आयोजित बैठक में वे भले ही नजर आए हो लेकिन लोकसभा चुनाव क्षेत्र में आए दिन पार्टी द्वारा संचालित गतिविधियों में उनकी उपस्थिति देखने को नहीं मिल रही है. जबकि दीपिका पांडेय सिंह टिकट कटने के बावजूद आज भी सक्रिय नजर आ रही है.
दीपिका ने निशिकांत पर जमकर बोला हमला
दीपिका ने भाजपा प्रत्याशी निशिकांत दुबे पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि 3 टर्म के सांसद रहने के बाबजूद निशिकांत ने विकास के कोई कार्य नहीं किया. जिसे वो अपनी उपलब्धि बता रहे हैं वह यूपीए पार्ट 2 सरकार की योजना है. निशिकांत के सांसद रहने के कारण सभी योजनाएं देर से धरातल पर उतरी. उन्होंने कहा कि जनता कांग्रेस के साथ है. रिकॉर्ड मतों से निशिकांत की हार होगी.
जब उनसे पूछा गया कि भाजपा भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ रही है और कांग्रेस प्रत्याशी पर भ्रष्टाचार सहित कई संगीन आरोप है, इस स्थिति में जीत का दावा कैसे कर रही है. उन्होंने कहा कि भाजपा खुद भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी हुई है. डबल इंजन की सरकार में क्या हुआ सभी जानते हैं. इसलिए भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बोलने का भाजपा को कोई नैतिक आधार नहीं है. उन्होंने कहा कि आज हेमंत सोरेन जेल में इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने गठबंधन तोड़कर भाजपा के साथ जाना मंजूर नहीं किया. अगर हेमंत सोरेन भाजपा के वाशिंग मशीन में धुलने को तैयार हो जाते तो आज झारखंड में भाजपा के साथ मिलकर उनकी सरकार बनी होती और किसी भी मामले में उन पर किसी तरह की कार्यवाही नहीं होती.
गोड्डा लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी निशिकांत दुबे को पराजित करना दीपिका का लक्ष्य
टिकट वापस लेने के बाद भी दीपिका एक समर्पित कार्यकर्ता की भांति ना केवल कांग्रेस बल्कि इंडी गठबंधन के साथ खड़ी नजर आ रही है. राजनीति में धैर्य की इससे बड़ी मिशाल और क्या हो सकती है. दीपिका के त्याग और समर्पण ही उसे पार्टी के शीर्ष फलक पर ले जाने का मार्ग प्रशस्त कर रहा है. यह कोई पहली बार नहीं जब दीपिका ने धैर्य का परिचय दिया हो. बात 2014 के विधान सभा की है. पार्टी आलाकमान ने चुनाव से कुछ वर्ष पूर्व युथ कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव रहते हुए दीपिका को गोड्डा में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के लिए जिलाध्यक्ष बनाकर भेजा. अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए विधान सभा चुनाव में महगामा से प्रबल दाबेदार के रूप में उभर कर सामने आयी. लेकिन पार्टी ने निवर्तमान विधायक राजेश रंजन पर भरोशा जताया. उस वक्त बात फैली की दीपिका कांग्रेस छोड़ किसी अन्य दल का दामन थाम कर चुनाव में उतरेगी, लेकिन उन्होंने धैर्य का परिचय दिया. चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अशोक भगत की जीत हुई. जिलाध्यक्ष के रूप में दीपिका सक्रिय रही. जिसका इनाम 2019 के विधानसभा चुनाव में मिला. पार्टी आला कमान ने दीपिका को प्रत्याशी बनाया. पार्टी की अपेक्षा पर खरी उतरते हुए दीपिका विधायक चुनी गई. विधायक के रूप में सड़क से सदन तक ना केवल महगामा की समस्या को बल्कि कई राज्य स्तर की समस्या को उठाया. अपने ही सरकार को कठघरे में खड़ी करने से भी पीछे नहीं रही. 2024 के लोकसभा चुनाव की प्रबल दावेदार बनकर उभरी. पार्टी ने पहले प्रत्याशी बनाया फिर टिकट वापस ले लिया. इसके बाबजूद समर्पित कार्यकर्ता की भांति क्षेत्र में सक्रिय हो गयी है. लक्ष्य बस एक ही है गोड्डा लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी निशिकांत दुबे को पराजित करना. लेकिन इस लक्ष्य को प्राप्त करना इतना आसान भी नहीं है.
रिपोर्ट: पंचम झा