टीएनपी डेस्क(TNP DESK):24 मार्च को रोजे के पाक महीने की शुरुआत हुई थी. मुस्लिम समुदाय के भाई-बहनों ने चांद देखकर रोजे की शुरुआत की थी. जिसको पूरे एक महीने पालन किया गया. रोज सुबह उठकर शेहरी और शाम में इफ्तार पूरे नियम धर्म से किया गया. जिसका समापन आज 22 अप्रैल को ईद की नमाज के साथ हो गया. लोगों ने अल्लाह की ईबादत में दुआ की. और परिवार समाज सहित देश की अमन चैन की दुआ मांगी.
आखिर क्यों मनाया जाता है ईद
मुस्लिम समुदाय के जानकारों के मुताबिक पूरे साल में से सबसे पाक महीना रमजान होता है. इस महीने में इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद साहब के अनुसार जब रमजान का महीना शुरू होता है तो जहन्नुम मतलब नर्क के दरवाजे बंद हो जाते हैं. और जन्नत यानी स्वर्ग के दरवाजे खुल जाते हैं. जिसकी वजह से इसका महत्व और बढ़ जाता है. आपको बताये कि मक्का से मोहम्मद पैगंबर जब पवित्र शहर मदीना में गये, तो लोगों ने खुशी में वहां ईद-उल-फितर पर्व की शुरुआत की .
अल्लाह के अनुसार दो सबसे पवित्र दिन
इसके साथ ही लोगों का कहना है कि मुस्लिम लोगों के पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने जब बद्र की लड़ाई जीती थी. तो इस जीत की खुशी में सभी को मिठाईयां खिलाकर मुंह मीठा करवाया था. इस दिन को ईद के रुप में हर साल मनाया जाने लगा. ईद को लोग मिठी ईद के नाम से भी जानते हैं. पिछले लगभग 1400 सालों से मुस्लिम समुदायों की ओर से ईद मनाया जाता है. पैगम्बर हजरत मुहम्मद के अनुसार कुरान में अल्लाह की ओर से दो ही सबसे पवित्र दिन निर्धारित की गई है. जिसमे पहले नंबर पर ईद-उल-फितर और दुसरे नंबर पर ईद-उल-जुहा शामिल है. इसके आधार पर ही मुस्लिम समाज के लोग ईद मनाते हैं.
613 ईवी से इस्लाम का आरंभ माना जाता है
मुस्लिम धर्म की शुरुआत कब हुई इसके बारे में कुछ स्पष्ट जानकारी तो नही हैं, लेकिन 613 ईवी से इस्लाम का आरंभ माना जाता है. मुस्लिम समाज के मुहम्मद साहब ने लोगों को अपने ज्ञान का उपदेश 613 ईवी देना शुरु किया था. जिसके बाद से इस्लाम की शुरुआत मानी जाती है. क्योंकि उस समय तक इसको एक धर्म के रुप में नहीं देखा जाता था.
रमज़ान के आखिरी दिन नए चांद को देखा जाता है
आपको बताये कि मुस्लिम समाज में चांद का बहुत महत्व माना जाता है. इसलिए किसी भी नई शुरुआत से पहले चांद का दीदार किया जाता है. ईद खुशियों की बड़ी शुरुआत होती है. इसलिए चांद देखकर ही ईद मनाया जाता है. ईद के एक दिन पहले लोग अपने परिवार, दोस्त, रिश्तेदार और प्रियजनों के साथ छत या किसी खुले मैदान में जमा होकर एक साथ चांद देखते हैं. जिसको इस्लामी महीने का शव्वाल कहा जाता है. जो ईद मनाने का संकेत होता है.
मीठी ईद के नाम से भी है प्रसिद्ध
आपको बताये कि ईद की नमाज अदा के करने के बाद लोग एक दुसरे से गले मिलकर आपसी भाईचारा को बढ़ाते है. सभी लोग अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और पड़ोस में रहनेवाले लोगों के साथ खुशियां बांटते हैं. इस सभी धर्मों के लोगों को घर बुलाकर मीठे पकवान सेंवई, मिठाई जैसे पकवान खिलाया जाता है. जिसकी वजह से इसको मीठी ईद भी कहा जाता है. इसके साथ ही दोस्तों और रिश्तेदारों में ईदी बांटने की परंपरा है. इस्लाम धर्म के अनुसार पाक महीने में सच्चे मन से रोजा रखने वालों पर अल्लाह मेहरबानी करते है. ईद पर लोग नए कपड़े पहनकर सुबह नमाज अदा करते हैं. फिर अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर त्योहार मनाते हैं.
जकात लोगों को दान करने के लिए प्रेरित करता है
मुस्लिम समुदाय का ईद का त्योहार सबको साथ रहने का संदेश देता है. जिसमे बिना किसी भेदभाव के लोग गले मिलकर प्यार बढ़ाते हैं. इसके साथ ही रोजा के दौरान हर मुसलमान को दान करने के लिए भी प्रेरित किया जाता है. रोजा के दौरान गरीब लोगों की मदद के लिए अपने सभी संपत्ती में से कुछ हिस्सा निकालकर अलग किया जाता है. जिसको जकात कहते है. जिसमे पैसा, भोजन और कपड़े शामिल है. एक महीने तक निकालने के बाद इकठ्ठा धन को ईद के दिन दान कर दिया जाता है. ताकि गरीब और असहाय लोग भी खुशी से अपने परिवार के साथ ईद की खुशी मना सके. जो धार्मिक और मानवता की दृष्ती से बहुत ही अच्छा है. इसको कुरान में अनिवार्य बताया कहा गया है. यानी जो भी मुस्लिम रोजा रखता हैं उसको जकात जरुर निकालना है.
खजूर खाकर रोजा तोड़ने की परंपरा
ईद की नमाज के बाद पूरा परिवार मिठी चीजें खाकर रोजा को तोड़ते हैं. इसके साथ खजूर खाकर भी रोजा तोड़ने की परंपरा है. ईद-उल-फितर पर घर में तरह तरह के भोजन बनाये जाते है. जिसमे मीठा खाना शामिल होता है. जिसमे सेवइयां को दूध में बनाया जाता है. और इसे ड्राई फ्रूट्स के साथ सर्व किया जाता है.
रिपोर्ट-प्रियंका कुमारी