Patna- एक तरफ पांच राज्यों की विधान सभा चुनावों में पीएम मोदी महिला आरक्षण को अपना मास्टर स्ट्रोक बताने की कोशिश कर रहे हैं, महिलाओं से भाजपा के लिए वोट की मांग कर रहे हैं, महिलाओं को इस बात विशेष हिदायत देते नजर आ रहे हैं कि कांग्रेस की मंशा महिलाओं को जातियों के आधार पर बांटने की है और इसीलिए ओबीसी महिलाओं के लिए कोटा के अन्दर कोटा की मांग को उछाला जा रहा है, तो दूसरी ओर से कांग्रेस उसी महिला आरक्षण बिल महिलाओं को साथ अब तक का सबसे भद्दा मजाक बता रही है.
कांग्रेस का सवाल महिला आरक्षण के लिए 2030 का इंतजार क्यों?
कांग्रेस का सवाल है कि जब महिला आरक्षण को लागू ही किया जाना है तो इसे 2024 के लोकसभा चुनाव और पांच राज्यों की विधान सभा चुनावों से लागू क्यों नहीं किया गया, इसे 2029-30 तक के लिए लटका क्यों दिया गया, आखिर महिला आरक्षण के लिए जनगणना और परिसिमन का बहाना क्यों बनाया जा रहा है, इसे आज की तिथि से लागू क्यों नहीं किया जा रहा है.
परिसिमन और जनगणना की कोई जरुरत नहीं
कांग्रेस का दावा है कि महिला आरक्षण को लागू करने के लिए ना तो परिसिमन की जरुरत है और ना ही जनगणना की. यहां तक की जिस जातीय जनगणना को वर्ष 11-12 में यूपीए सरकार के द्वारा करवाया गया था, उसकी रिपोर्ट को सार्वजनिक कर ओबीसी महिलाओं को भी महिला आरक्षण के अन्दर कोटा का निर्धारण किया जा सकता है, लेकिन मोदी सरकार ना तो महिलाओं के साथ खड़ी है और ना ही वह ओबीसी महिलाओं को उसका हक देना चाहती है. वह जानबूझ कर महिला आरक्षण को 2030 तक लटकाना चाहती है.
1989 में महिला आरक्षण बिल को लेकर सामने आये थें राजीव गांधी
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुजाता पॉल ने इस बात का दावा किया कि महिला आरक्षण पूर्व पीएम राजीव गांधी का सपना था, और उन्ही के प्रयासों से नगर निकाय से लेकर पंचायत चुनाव में महिलाओं के लिए आरक्षण का रास्ता साफ हुआ था, राजीव गांधी जब 1989 में इस बिल को लेकर सामने आये थें, तब अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी ने इसका विरोध किया था. और तो और आज के यूपी से सीएम योगी ने तो इसे कांग्रेस का महापाप बता कर किसी भी किस्म का आरक्षण का ही विरोध किया था.
जनगणना और परिसिमन की शर्त की लगा कर भाजपा ने खेला गंदा खेल
यह है उनकी मानसिकता, और आज जब इसको लागू करने का दावा किया जा रहा है तो इस सच्चाई को नहीं बतलाया जा रहा है कि यह महिला आरक्षण 2030 के पहले लागू नहीं होने जा रहा है, क्योंकि सरकार ने उसमें जनगणना और परिसिमन की शर्त लगा दी है, साफ है कि आज भी वह अटल बिहारी वाजपेयी और आडवाणी की उस मानसिकता के उपर नहीं उठे हैं, और यही कारण है कि महिला आरक्षण में जनगणना और परिसिमन की शर्त लगायी जा रही है, ओबीसी महिलाओं की हकमारी की जा रही है.