Ranchi-सियासी दुरभिसंधियां सियासत की दुनिया का आम हिस्सा है, लेकिन जिंदगी में सियासत ही सब कुछ नहीं होता, इस सियासी खींचतान के आगे भी एक बेहद खूबसूरत और रंगीन दुनिया है. झरने, पहाड़ और फूलझड़ियां है. जल प्रपात, हिरणों का झुंड और गजराज की दहाड़ है, कोयल की कूक और मोर-मोरनी का नयनाभिराम नृत्य है, गोधूली बेला में जंगल से लौटते पशुओं का उधम-कूद, चिड़ियों का कलरव और आमों का मंजर है. दरअसल आम लोगों की तरह सियासतदानों के अंदर भी एक दिल धड़कता है, उस दिल में गम का शोर होता है तो उमंगों और भावनाओं का स्पंदन भी. हालांकि आम रुप से सियासी दुरभिसंधियों के बीच ये भावनायें दम तोड़ जाती हैं, लेकिन बड़कागांव से कांग्रेस विधायक अम्बा प्रसाद ने कुछ अलग राह चुनी. नहीं तो भला जब किसी सियासतदान पर ईडी की तलवार लटक रही हो, अगले ही कुछ ही पलों में उसे ईडी के तीखे सवालों का सामना करना हो, कड़वे और अनसूलझे-अनबूझे सवालों का जवाब देना हो, ऐसा कौन सा सियासतदान होगा, जो जीया हरसाई के धून पर अपने पैरों को हुनर दिखला रहा हो और गले से खांटी झारखंडी अंदाज में “हाय रे हाय जीया हरसाई” का अलाप लगा रहा हो, लेकिन अम्बा प्रसाद ने इसे कर दिखलाया.
आज ही ईडी के सामने होनी है अम्बा की पेशी
यहां ध्यान रहे कि आज भी अम्बा प्रसाद को ईडी की ओर से पेशी का आदेश हुआ है. पूरी मीडिया की नजर आज अम्बा पर टिकी हुई थी. ईडी दफ्तर के बाहर पत्रकारों का हुजुम अम्बा प्रसाद की इंट्री का इंतजार कर रहा था, इस बीच पत्रकारों का अम्बा का संदेशा आता है, उन्हे प्रेस कल्ब बुलाया जाता है, पत्रकारों को लगता है कि ईडी के सवालों का सामना करने से पहले अम्बा कोई सियासी बयान देगी, पूछताछ के पहले ईडी को कटघरे में खड़ा करेगी. ईडी और दूसरी केन्द्रीय एजेंसियों के उपर भाजपा का एंजेंडा चलाने का आरोप लगायेगी और लोकसभा चुनाव में झारखंड की सभी 14 सीटों पर इंडिया गठबंधन की जीत का ताल ठोंकेगी. लेकिन जब पत्रकारों का झुंड वहां पहुंचा तो प्रेस कल्ब की तस्वीर तो कुछ दूसरी ही थी. वहां तो रुपहले पर्दे पर अम्बा प्रसाद डांस करती नजर आ रही थी, आम झारखंडियों की तरह सरहुल की गीतों पर थिरक रही थी.
सियासत ही जिंदगी नहीं होती
दरअसल अम्बा प्रसाद ने आज एक एलबम रीलीज की है, जिसकी नायिका और गायिका खुद अम्बा प्रसाद है, जब अम्बा प्रसाद से इस एलबम के टाईमिंग को लेकर सवाल खड़ा किया गया तो अम्बा ने कहा कि सियासत ही जिंदगी नहीं होती, और ना जिंदगी सियासत होती है, सियासत की अपनी दुनिया है, और जिंदगी की अपनी चुनौतियां, जब हमने कोई अपराध किया ही नहीं है, तो उसके अंजाम की फिक्र क्यों करें, हम वही करते हैं, जिससे हमें खुशी का दो पल मिलता है. आम लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाना ही असली सियासत है, और हम वहीं कर रहे हैं, कभी विधान सभा में उनकी आवाज उठाकर, तो कभी उनके गम और ख़ुशी में शामिल होकर तो कभी इन गीतों और नृत्य के साथ उनकी जिंदगी में खुशी के दो पल लाकर.
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