Ranchi-राज्य में जारी सियासी घमासान के बीच झामुमो विधायक सरफराज अहमद के इस्तीफे पर बाबूलाल ने एक साथ कई सवाल खड़े किये हैं. उनका कहना कि सरफराज बाबू को ना तो कोई बीमारी थी, और ना ही कोई परेशानी, बावजूद इसके जब पूरा झारखंड और नववर्ष की खुशियों में डूबा था, आखिरकार उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया. नव वर्ष पर झारखंड को इस्तीफे की सौगात क्यों? इसके साथ ही बाबूलाल ने इस बात का दावा भी किया कि दरअसल सरफराज अहमद ने इस्तीफा दिया नहीं है, उनसे यह इस्तीफा लिया गया है, ताकि सीएम हेमंत अपने एक खास चेहरे को विधान सभा में इंट्री करवा सकें. जो उनकी जेल यात्रा के दौरान राज्य के मुखिया की कमान संभाल सकें.
राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति
इसके साथ ही बाबूलाल ने राज्यपाल को एक पत्र भेज कर झारखंड में संवैधानिक संस्थाओं के बीच टकराव की स्थिति होने का दावा किया है. उन्होंने कहा कि एक तरफ सीएम हेमंत को ईडी समन दर समन भेज रही है, दूसरी तरफ सीएम हेमंत ईडी सवालों का जवाब देने के बजाय भागते फिर रहे हैं. यह किसी भी राज्य के लिए एक खतरनाक स्थिति है, कानून की अवहेलना यदि किसी गुंडा मवाली के द्वारा किया जाय, तो एक बात, लेकन यहां तो संविधान का शपथ लेकर उसकी धज्जियां उड़ायी जा रही है. इस हालत में झारखंड के भविष्य को समझा जा सकता है. बाबूलाल ने यह दावा भी किया कि यदि गांडेय सीट से निर्वाचित किसी जनप्रतिनिधि को राज्य का अगला मुखिया बनाया जाता है तो यह संवैधानिक प्रावधानों का खुला उल्लंघन होगा.
सत्ता पक्ष में ऑल इज नॉट वेल
दूसरी तरफ भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने यह दावा किया है कि कल की महागठबंधन की बैठक में विधायकों से सादे कागज पर हस्ताक्षर लिया गया है. बावजूद इसके विधायकों के द्वारा बाहर निकल ऑल इज वेल का नाटक किया जा रहा है, जबकि हकीकत यह है कि राज्य में कुछ भी वेल नहीं है. विधायकों इस एक्टिंग के लिए बेस्ट अभिनेता का अवार्ड दिया जाना चाहिए.