Ranchi-झारखंड की सियासत में युवा तुर्क के रुप में अपनी पहचान स्थापित करने वाले टाईगर जयराम ने गिरिडीह लोकसभा सीट से अपना नामांकन दाखिल कर दिया और इसके साथ ही गिरिडीह में झामुमो के मथुरा महतो और आजसू उम्मीदवार चन्द्र प्रकाश चौधरी के साथ त्रिकोणीय मुकाबला तय हो गया. खबर है कि आज ही कमलडीह मैदान में जनसभा के साथ प्रचार अभियान की शुरुआत होगी. यहां ध्यान रहे कि इन स्थापित सियासतदानों के बीच जयराम एक नया चेहरा है. वह पहली बार सुर्खियों में तब आये थें जब भाषा आन्दोलन के दौरान गिरिडीह-धनबाद में मानव श्रृखंला का निर्माण हुआ था, भाषा आन्दोलन की आंच कम होते ही जयराम खतियान आन्दोलन के साथ जुड गयें, और अब उनकी यह सियासी इंट्री हो रही है.
सोशल मीडिया के शेर का जमीन पर दहाड़
इस हालत में देखना होगा कि वह सियासत के इन पुराने धुरंधरों के सामने कितनी गंभीर चुनौती पेश कर पाते हैं, हालांकि सोशल मीडिया पर जयराम समर्थकों की एक बड़ी संख्या है, लेकिन असली मुकाबला तो जमीन पर लड़ी जानी है. और इस मुकाबले से ही तय होगा कि जिन मुद्दों और नारों के सहारे जयराम झारखंड को बदलने का दावा करते रहे हैं, उन मुद्दों और नारों की जमीन पर कितनी स्वीकार्यता है, या वे नारें महज सोशल मीडिया की सुर्खियों तक ही सीमित रहने वाला है. सवाल यह भी है कि जयराम की इस इंट्री से क्या किसी का खेल बिगड़ने वाला है, या जयराम अपना खेल बनाने में कामयाब होंगे. हालांकि जानकारों का दावा है कि जयराम की कोशिश लोकसभा चुनाव के बहाने विधान सभा के लिए अपनी जमीन को तैयार करने की है. ताकि इस सियायी लड़ाई में स्वीकार्यता का विस्तार भी हो और संगठन का दायरा भी बढ़ें. जिसका लाभ विधान सभा में मिल सकें. बावजूद इसके यदि जयराम वोटों की सेंधमारी में सफल रहते हैं, तो सियासी उलटफेर की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.
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