Ranchi-बसपा ने एक बार फिर से पूर्व नक्सली और पलामू सीट से वर्ष 2009 में झामुमो के सिम्बल पर जीत का परचम फहरा चुके कामेश्वर बैठा को मैदान में उतार मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है. बावजूद इसके यह मुकाबला कितना त्रिकोणीय होगा? पलामू की सियासत पर नजर रखने वालों स्थानीय पत्रकारों की इसको लेकर अलग-अलग राय है.
2007 में बसपा के टिकट से हुई थी कामेश्वर बैठा की सियासी इंट्री
यहां याद रहे कि इसके पहले कामेश्वर बैठा ने 2007 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और दूसरे स्थान पर रहे थें. हालांकि वर्ष 2009 में झामुमो के टिकट पर चुनावी अखाड़े में उतर कर जीत का परचम फहरा दिया, लेकिन 2009 के बाद पलटी मारते हुए तृणमूल कांग्रेस का दामन थामा और करारी हार का सामना करना पड़ा. क्योंकि तब मुख्य मुकाबला भाजपा के बीडी राम और राजद के मनोज कुमार के बीच ही होता नजर आया. जबकि जेवीएम-पी के प्रभात कुमार तीसरे स्थान पर संघर्ष करते नजर आयें. साफ है कि कामेश्वर बैठा जब भी बसपा और झामुमो के साथ रहे पर्फोरेमेंस में उछाल आया, लेकिन इसके बाहर जाते ही हाशिये पर संघर्ष करते नजर आये.
बसपा के कोर वोटर का मिल सकता है साथ
एक बार फिर से कामेश्वर बैठा बसपा के हाथी पर सवार होकर लालटेन और कमल को रौंदने के ख्वाब के साथ निकल पड़े है, तो उनके साथ बसपा का कोर वोटर तो खड़ा नजर आयेगा,यह वही कोर वोटर है जिसने 2007 में कामेश्वर बैठा को दूसरे स्थान तक पहुंचा दिया था. लेकिन मुख्य सवाल है कि इस कोर वोटर से अतिरिक्त कामेश्वर बैठा क्या किसी दूसरे वोट बैंक में सेंधमारी की स्थिति में होगें. इसको लेकर अलग-अलग आकलन है. पलामू की सियासत पर नजर रखने वाले स्थानीय पत्रकारों का मानना है कि कामेश्वर बैठा की इंट्री से भाजपा के वोटों में सेंधमारी का खतरा कुछ ज्यादा है, वनिस्पत राजद के, राजद का कोर वोटर किसी भी हालत में ममता भुइंया के साथ एकमुस्त खड़ा नजर आयेगा,वहीं एक राय यह भी है कि कामेश्वर बैठा की इंट्री की से किसी भी खेमें में कोई बड़ी सेंधमारी नहीं होगी, वह मुख्य रुप से बसपा के कोर वोटर को ही अपने साथ जुड़े रखने में सफल होगें, और इसका भी नुकसान भाजपा को ही झेलना पड़ सकता है, क्योंकि यदि कामेश्वर बैठा की इंट्री नहीं हुई होती,तो उस हालत में इसका एक बड़ा हिस्सा भाजपा के साथ खड़ा नजर आता.
क्या है सामाजिक समीकरण
यहां याद रहे कि अनुमान के मुताबिक पलामू में भुइंया जाति-2.5-3 लाख, दास-1.5-2.5, मुस्लिम-2-3 लाख, यादव-1-2 लाख और राजपूत-50 हजार के आसपास है. इस हालत में कामेश्वर बैठा की इंट्री से दास मतदाता जो बसपा का कोर वोटर रहा है, और स्थानीय रणनीति के हिसाब से बीडी राम के चेहरे के कारण भाजपा के साथ खड़ा होता रहा है, में आंशिक सेंधमारी की स्थिति कायम हो सकती है, जिसका सीधा नुकसान भाजपा को उठाना पड़ सकता है, हालांकि यह सेंधमारी कितनी होगी, पलामू में हार जीत एक हद तक इस पर भी निर्भर करेगा.
आप इसे भी पढ़ सकते हैं
रांची से ‘राम’ का पत्ता साफ! अब कुर्मी पॉलिटिक्स में खिलेगा 'कमल' या यशस्विनी करेगी चमत्कार
सरयू राय की इंट्री से धनबाद में त्रिकोणीय मुकाबला! खिलेगा कमल या होगी पंजे की वापसी
इंडिया गठबंधन में “MY” की उपेक्षा” राजद ने उठाया मुस्लिम-यादव हिस्सेदारी का सवाल
कितना त्रिकोणीय होगा राममहल का मुकाबला! विजय हांसदा के "विजय रथ" पर लोबिन का ताला या खिलेगा कमल
“अब टूट रहा रांची का सब्र” रामटहल चौधरी का बड़ा खुलासा, कांग्रेस ने साधा था सम्पर्क
LS POLL 2024-खतियानी नहीं हैं कोयलांचल का यह टाईगर, ढुल्लू महतो पर सरयू राय का बड़ा आरोप