Ranchi-पश्चिमी सिंहभूम लोकसभा में जोबा मांझी की उम्मीदवारी के बाद हो जनजाति के बीच कथित नाराजगी को भाजपा की साजिश बताते हुए चाईबासा लोकसभा से झामुमो विधायक और हो जनजाति का एक बड़ा चेहरा दीपक बिरुवा ने दावा किया है कि आदिवासी सिर्फ आदिवासी होता है. उसकी एक ही पहचान आदिवासियत है, आदिवासी समाज में कभी भी उरांव, संताल, मुंडा या हो के आधार पर विभाजन नहीं होता. भेदभाव नहीं होता, समाज को टुकड़ों टुकडों में बांटने की यह संस्कृति भाजपा की है. उसकी नजर में आदिवासी सिर्फ आदिवासी दिखलायी नहीं देता, वह आदिवासी समाज को मुंडा, संताल, उरांव और हो और ना जाने कितने टुकड़ों में विभाजित कर देखता है. आदिवासी समाज के सभी सामाजिक संगठनों में सभी जनजातियों की भागीदारी होती है. हमारा पहनवा, खान-पान और पूजा-पद्धति सब सामान्य है. हम प्रकृति पूजक है और सरना हमारी पहचान है. आदिवासी समाज के यह महत्वपूर्ण नहीं है कि कौन हो है या कौन मुंडा और संताला. सवाल सिर्फ इतना है कि आदिवासी परंपरा और संस्कृति को बचाने की लड़ाई कौन लड़ रहा है. जो भी आदिवासी अस्मिता की लड़ाई लड़ेगा, पूरा आदिवासी समाज उसके साथ खड़ा होगा और यदि ऐसा नहीं होता तो हो बहुल चक्रधरपुर से सुखराम उरांव दो दो बार विधान सभा नहीं पहुंचते, भाजपा के चुमनु उरांव को जीत हासिल नहीं होती. जिस मनोहरपुर से जोबा मांझी लगातार जीत का परचम फहरा रही हैं. वह भी हो बहुल है. लेकिन क्या कभी हो जनजाति ने जोबा मांझी को अपने से दूर माना. पिछले विधान सभा चुनाव में तो भाजपा के गुरुचरण नायक को तो महज 34 फीसदी मतों पर सिमटना पड़ गया था.
हो संताल विवाद भाजपा का दुस्प्रचार
लेकिन बावजूद इसके भाजपा की ओर से एक प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा है कि जोबा मांझी की उम्मीदवारी से हो जनजाति में नाराजगी है. दरअसल जमीन पर कोई कोई नाराजगी नहीं है. यह नाराजगी भाजपा की उपज है.आदिवासी समाज में फूट डालने की भाजपा की साजिश है. इसका चुनावी परिणामों पर कोई असर नहीं पडऩे वाला.
चाईबासा में जोबा मांझी और गीता कोड़ा के बीच है मुकाबला
यहां ध्यान रहे कि चाईबासा लोकसभा सीट से भाजपा ने कांग्रेस की निवर्तमान सांसद गीता कोड़ा को अपना उम्मीदवार बनाया है, गीता कोड़ा पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी है, मधु कोड़ा हो जनजाति से आते हैं, जबकि झामुमो ने इस सीट से मनोहरपुर से विधायक जोबा मांझी को अपना उम्मीदवार बनाया है. जोबा मांझी संताल जनजाति से आती है, उनकी उम्मीदवारी के बाद इस बात के दावे किये जा रहे थें कि जोबा मांझी की उम्मीदवारी से हो जनजाति में आक्रोश है, लेकिन अब खुद हो जनजाति का एक बड़ा चेहरा दीपक बिरुआ ने मोर्चा संभाला और इसे आदिवासी समाज को विभाजित करने की भाजपा की साजिश करार दिया.
जोबा मांझी के साथ दीपक बिरुआ का नाम भी रेस में था
यहां यह भी याद रहे कि जोबा मांझी के साथ दीपक बिरुआ का नाम भी चाईबासा लोकसभा सीट से रेस में था, लेकिन दावा किया जाता है कि दीपक बिरुआ ने खुद को राज्य की राजनीति से बाहर होने से इंकार कर दिया. जिसके बाद पार्टी ने कोल्हान का एक बड़ा चेहरा देवेन्द्र मांझी की पत्नी जोबा मांझी पर दांव लगाने का फैसला किया. जोबा मांझी की सियासी पकड़ को इससे भी आंका जा सकता है कि वह मनोहरपुर विधान से पांच बार विधान सभा पहुंच चुकी है, संयुक्त बिहार में राबड़ी सरकार से लेकर हेमंत सरकार में मंत्री रही है.
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