Ranchi-लोकसभा चुनाव की दस्तक क्या हुई, मानो पूरे देश में ईडी के हाथ से तोते उड़ गयें, राज्य दर राज्य ईडी के समन को डस्टबिन के हवाले कर सियासी खेल खेला जाने लगा है. जिस ईडी के एक समन के बाद लोगों के चेहरे की हवाईयां उड़ जाती थी, रंग बदल जाता था, आज वही चेहरे ईडी को औकात बताने की बात कर रहे हैं, चाहे तेजस्वी हो या अरविन्द केजरीवाल किसी के लिए भी ईडी का समन खौफ का पैगाम नहीं रहा. हर सियासतदान अब ईडी के समन को सियासी मैदान में जवाब देने की तैयारी कर रहा है, उनका दावा है कि ईडी के सवाल अपनी जगह, हमें तो जनता की अदालत में अपना जवाब पेश करना है, लोकतंत्र में किसी एजेंसी का खौफ नहीं, जनता के फैसले से सियासतदानों का भविष्य तय होता है
क्या टूटने लगा ईडी का खौफ
कुछ यही स्थिति झारखंड की है, 2022 से शुरु हुआ ईडी का यह खेल 2024 आते आते अपना दम तोड़ता नजर आने लगा. पंकज मिश्रा, पूजा सिंघल और छवि रजंन जैसे चर्चित चेहरे और अधिकारियों को काल कोठरी के हवाले करने वाले ईडी को आज विनोद सिंह जैसा साधारण सा आर्किटेक्टर आंख दिखाता नजर आ रहा है, आज ईडी अपने दफ्तर में विनोद सिंह का इंतजार करती रह गयी और लेकिन ना तो विनोद आयें और ना ही उनका कोई पैगाम. लेकिन यह सूची यहीं समाप्त नहीं होती. सीएम का प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद पिंटू, जिसके साथ वर्ष 2022 में लम्बी पूछताछ की जा चुकी है, कल उनकी ईडी दफ्तर में हाजिरी लगाने की बारी है, लेकिन जिस तरीके से साहिबगंज डीसी रामनिवास यादव और विनोद सिंह के द्वारा ईडी के समन को दरकिनार किया गया है, उसके बाद अभिषेक प्रसाद की उपस्थिति पर भी सशंय के बादल मंडराने लगे हैं. उधर सीएम हेमंत को भेजे अपने सातवें समन में जिस ईडी ने यह दावा किया था कि यह ईडी का आखिरी समन होगा, उसके बाद सीएम को इसका परिणाम भुगतने को तैयार रहना होगा, अब वही ईडी ने एक बार से समन भेज कर सीएम हेमंत को अपना पक्ष रखने को कहा है,बावजूद इसके क्या सीएम हेमंत इस आठवें समन के बाद भी ईडी के समक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज करवा कर उसके सम्मान की रक्षा करेंगे? एक बड़ा सवाल बन कर खडा है. हालांकि अभी से ही यह दावे भी किये जाने लगे हैं कि इस आठवीं समन का भी कोई नतीजा निकलने वाला नहीं है, समन दर समन यह खेल खेला जाता रहेगा, और सीएम हाउस की ओर से बंद लिफाफे में जवाब दिया जाता रहेगा, हालांकि इस बंद लिफाफे का मजमून क्या है, यह जानना उतना ही कठीन है कि राज्यपाल के पास जो लिफाफा पिछले दो वर्षों से अपने उपर लगे गोंद को हटाने का इंतजार कर रहा है, उसकी मजमून क्या है.
आठवें समन के बाद बंद लिफाफा पहुंचा ईडी दफ्तर, झारखंड में एक बार फिर से सियासी हलचल तेज