Ranchi- जैसे जैसे जनवरी का महीना गुजरता जा रहा है, इंडिया एलाइंस के घटक दलों के अंदर सीट शेयरिंग को अंतिम रुप देने की बेचैनी बढ़ती जा रही है. हर घटक दल अपने लिए वर्तमान सियासी माहौल में पुराने सीट शेयरिंग में नया बदलाव चाहता है, वहीं सबसे बड़ा घटक दल कांग्रेस 2019 के सीट शेयरिंग फार्मूला के साथ आगे बढ़ना चाहती है. ध्यान रहे कि इस बार जदयू भी झारखंड की सियासत में अपनी पुर्नवापसी का जोर लगा रही है, तो दूसरी ओर 2019 का साथी रहे बाबूलाल का इस बार भाजपा में घर वापसी हो चुकी है. इस प्रकार इंडिया गठबंधन के घटक दलों के अंदर सीट शेयरिंग पर एक सहमति बनाना एक बड़ी चुनौती है, और इसी चुनौती का समाधान निकाले आज झामुमो का एक डेलीगेशन ने दिल्ली की उड़ान भरी है.
पुराने फार्मूले में बदलाव चाहती है झामुमो
दरअसल देश की सियासत में भले ही कांग्रेस सबसे बड़ा घटक दल हो, लेकिन जहां तक झारखंड की राजनीति का सवाल है, उसका चेहरा झामुमो ही है, इधर झामुमो के अंदर भी 2019 के सीट शेयरिंग पर रुख में बदलाव नजर आ रहा है, वह इस बार अपने हिस्से में सीटों का इजाफा चाहती है. और यही पैगाम लेकर आज चंपई सोरेन, विधायक सुदिव्य कुमार सोनू और केन्द्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने दिल्ली की उड़ान भरी है.
कोल्हान लेकर जमशेदपुर लेना चाहती है झामुमो
खबर यह है कि इस बार झामुमो सीटों की संख्या वृद्धि के साथ ही कुछ बदलाव भी चाहती है, इस बार वह कोल्हान सीट को अपने पाले में रखना चाहती है, इसके बदले वह जमशेदपुर का सीट कांग्रेस के लिए छोड़ने की बात कह रही है, हालांकि इस प्रस्ताव से कांग्रेस को भी कोई ज्यादा असहमति नहीं होना चाहिए, क्योंकि जिस तरीके से कोल्हान सांसद गीता कोड़ा के द्वारा पाला बदलने की खबर तेज है, उसके बाद कांग्रेस के लिए यह प्रस्ताव बूरा भी नहीं है, क्योंकि जमशेदुपर सीट पर पहले से कांग्रेस की ओर से अजय कुमार अपनी बैटिंग तेज किये हुए है, इस प्रकार कांग्रेस के पास आज जमशेदपुर में एक मजबूत चेहरा है, जबकि कोल्हान में उसे अपनी जीत के लिए झामुमो कार्यकर्ताओं पर भरोसा करना पड़ता है, जिनके अंदर पहले से ही गीता कोड़ा को लेकर नाराजगी की खबरें सामने आती रहती है.
हजारीबाग और गिरिडीह पर जदयू की दावेदारी तेज
लेकिन इस बार की बड़ी परेशानी जदूय की बढ़ती सक्रियता को लेकर है, जदयू इस बार झारखंड की राजनीति में अपनी पुनर्वापसी को लेकर सक्रिय है, उसके नेताओं का लगातार दौरा हो रहा है, खास कर उसकी नजर कुर्मी बहुल इलाके पर है. हजारीबाग और गिरिडीह पर उसकी विशेष नजर है, और इसी रणनीति के तहत सीएम नीतीश भी जल्द ही झारखंड में अपना दौरा करने जा रहे हैं, अभी कुछ दिन पहले ही इसी सियासत को साधने के लिए खीरु महतो को राज्य सभा भेजा गया है. लेकिन मुश्किल यह है कि इस बार वाम दल भी अपने हिस्से एक सीट चाहते हैं, और उनका दावा इसी हजारीबाग को लेकर है, इस हालत में हजारीबाग सीट किसके हिस्से जायेगा, एक बड़ी चुनौती है.
चार सीटों पर अपनी दावेदारी की बात कर रहा है राजद
लेकिन समस्या यही खत्म नहीं हो रही है, इस बार राजद भी अपनी सीटों में बदलाव चाहता है, उसकी नजर गोड्डा, कोडरमा, चतरा और पलामू संसदीय सीट है, खबर यह है कि इस बार जदयू के प्रदेश महासचिव संजय यादव गोड्डा से अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं. यदि राजद सूत्रों की माने तो पार्टी इस बार किसी भी कीमत पर दो सीट से कम कर समझौता नहीं करने वाली है, अब देखना होगा कि जेएमएम की इस उड़ान से क्या निकलकर सामने आता है, और सीट शेयरिंग को लेकर यह अंतिम उड़ान होगी या अभी उड़ानों का यह सिलसिला अभी जारी रहता है.
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