TNP DESK-राजधानी मोरहाबादी में चार वर्षों की अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए सीएम हेमंत ने झारखंड की इस बदहाली और पिछड़ेपन का ठिकरा पूर्ववर्ती सरकारों पर फोड़ा हैं, उन्होंने दावा किया कि यदि पूर्व की सरकारों ने आम झारखंडियों की फिक्र की होती, गांव-गरीब, दलित-आदिवासी, पिछड़े-अल्पसंख्यक और युवा-किसानों को सामने रख कर नीतियों का निर्माण किया होता कि आज झाऱखंड की यह दुर्दशा नहीं होती. लेकिन पिछले बीस तक सत्ता में रही पार्टियों ने सिर्फ और सिर्फ झारखंड के संसाधनों को लूटने का काम किया. उनकी चिंता के केन्द्र में गांव गरीब मजदूर किसान नहीं होकर बड़े बड़े कॉरपोरेट घराने थें. उन्हे तो इस राज्य के आदिवासी-मूलवासियों की जिंदगी में बदलाव लाने के बजाय इन कंपनियों के हितों की हिफाजत करनी थी. हमारे जल जंगल और जमीन को इन कंपनियों के हाथों में सौंपना था, नहीं तो क्या कारण है कि आज भी हमें अपने लोगों के बीच खड़ा होकर पेंशन की चर्चा करनी पड़ रही है, आवास का दुखड़ा रोना पड़ा रहा है, और दूसरी तरफ राज्य का खजाना खाली है.
राज्य गठन के वक्त हमारा बजट सरप्लस था
सीएम हेमंत ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों के इस लूट को इससे समझा जा सकता है कि जब झारखंड का गठन हुआ था, तब हमारा बजट सरप्लस था, राज्य की जरुरतों से ज्यादा पैसै थें, हमारा खजाना लबालब भरा था, लेकिन इन 20 वर्षों ने इन सरकारों ने राज्य का सारा खजाना लूट लिया, तिजोरी खाली कर दी. विकास किस चिड़िया का नाम है, किसी ने नहीं देखा, लेकिन तिजोरियां खाली होती गयी. हमारी गरीबी बढती गई, आदिवासी मूलवासियों की जिंदगी दुभर होती गयी और खजाना भी खाली होता गया.
रॉयल्टी पर रोक पर लगाकर झारखंड के विकास को बाधित करना चाहता है केन्द्र
और तो और आज जब हम विकास की नयी इमारत लिखने की कोशिश कर रहे हैं, केन्द्र की भाजपा सरकार के द्वारा हमारे हिस्से की कोयले की रॉयल्टी पर रोक लगा दी गयी है, हमें अपने ही कोयले की रॉयल्टी के लिए केन्द्र सरकार के समक्ष गुहार लगानी पड़ रही है, लेकिन कोई कुछ सुनने वाला नहीं है. मदद करना तो दूर, वह तो हमारा हिस्सा, हमारा अधिकार भी देने को तैयार नहीं है. यदि आज भी केन्द्र सरकार हमारा हिस्सा दे दें, रॉयल्टी का भुगतान कर दे तो झारखंड में विकास की यह रफ्तार दुगनी हो सकती है, लेकिन हम जानते हैं कि वह देने वाले नहीं है, उनका रवैया सौतेला है.
आदिवासी-मूलवासियों को प्रति भाजपा के दिल में दर्द का नहीं
उनके लिए झारखंड के आदिवासी-मूलवासियों के प्रति दर्द नहीं है, उनका भी विकास हो और वह भी मुख्यधारा का हिस्सा बने, उनके घरों में समृद्धि आये भाजपा को यह स्वीकार नहीं है. इसके बावजूद भी हमारी सरकार ने हिम्मत नहीं हारा, और अपने संसाधनों बल पर झारखंड की तस्वीर बदलने का संकल्प लिया. यही कारण है कि जब केन्द्र सरकार ने झारखंड के हिस्से के आवास को यूपी को देने का फैसला कर लिया, यहां के आदिवासी-मूलवासियों को बेघर रखने का रास्ता अख्तियार कर लिया तो हमारी सरकार ने खुद के पैसे से केन्द्र सरकार के दो कमरे के आवास के बदले तीन कमरे का आवास प्रदान करने का फैसला किया. लेकिन केन्द्र सरकार को इस पर भी आपत्ति है, वह इसकी राह में भी रोड़ा लगाने की साजिश कर रहा हैं, लेकिन हम हिम्मत नहीं हारने वाले हैं, भले ही समय लगे, दो वर्ष लगे या चार वर्ष लेकिन हम झारखंड के हर गरीब के छत पर आवास प्रदान कर रखेंगे, और यह दो कमरे का मकान नहीं होगा, बाजाप्ते तीन कमरों का खुबसूरत आवास होगा, उसमें किचेन भी होगा और शौचालय भी.
लोकसभा चुनाव के पहले पेंशन की उम्र 50 वर्ष करने का एलान
इसके साथ ही सीएम हेमंत ने राज्य के तमाम दलित और आदिवासियों को 50 वर्ष की उम्र पार करते ही वृधा पेंशन देने का एलान किया, सीएम हेमंत की इस घोषणा को 2024 के लोकसभा से पहले एक बड़ा एलान मान जा रहा है. क्योंकि इस घोषणा के बाद राज्य का एक बड़ा तबका इस योजना के घेरे में आ जायेगा. निश्चित रुप से आगे चल कर इसे चुनाव में भूनाने की कोशिश की जायेगी. हालांकि इसके साथ ही सीएम हेमंत ने राशन से लेकर अपनी दूसरी योजनाओं का भी जिक्र किया और इस बात का दावा भी पेश किया कि आने वाली सरकार भी उनकी ही बनने वाली है. लेकिन उनका मुख्य फोकस पेंशन, आवास, सिंचाई ,रोजगार और शिक्षा से जुड़ी योजनाएं ही नजर आ रही है.
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