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हेमंत पिंटू की दोस्ती: वक्त बदले, हालात बदले, लेकिन बदली नहीं वफादारी, तीन दशक के इस रिश्ते पर अब सवाल क्यों?

हेमंत पिंटू की दोस्ती: वक्त बदले, हालात बदले, लेकिन बदली नहीं वफादारी, तीन दशक के इस रिश्ते पर अब सवाल क्यों?

Ranchi- अभिषेक प्रसाद श्रीवास्तव उर्फ पिंटू श्रीवास्तव कल से अचानक मीडिया की सुर्खियों में हैं. कल दिन भर सीएम हेमंत के इस्तीफे और गिरफ्तारी की तैरती खबरों के बीच ईडी अधिकारियों की एक टीम उनके आवास पर पहुंची, और दिन भर की छापेमारी के बाद उनका मोबाईल फोन को अपने साथ ले गयें. माना जा रहा है कि एक बार फिर से पिंटू श्रीवास्तव को आगे की पूछताछ के लिए ईडी कार्यालय से बुलावा आ सकता है.

पहले भी अभिषेक उर्फ पिंटू से हो चुकी है लम्बी पूछताछ

यहां ध्यान रहे कि इसके पहले भी ईडी पिंटू श्रीवास्तव से करीबन दस घंटो की लम्बी पूछताछ कर चुकी है, उस पूछताछ में ईडी को कोई खास जानकारी हाथ नहीं लगी, क्योंकि उसके बाद उन्हे कोई समन नहीं भेजा गया.लेकिन कल जब दिन भर सीएम हेमंत के इस्तीफे की खबर हवा में तैर रही थी, अचानक से ईडी की एक टीम उनके आवास पर पहुंची. खबर है कि दिन भर की पूछताछ के बाद ईडी उनका मोबाईल फोन, लैपटॉप और लॉकर को तोड़ कर कुछ दस्तावेज अपने साथ ले गयी. बावजूद अभी यह नहीं कहा जा सकता कि उनके पास से मनीलांड्रिग के सबूत मिले हैं.

सीएम हेमंत पर हाथ डालने के पहले उनके करीबियों को अंदर डालने की रणनीति

लेकिन सवाल यह है कि जब सीएम हेमंत की गिरफ्तारी और इस्तीफे की खबरें  हवा में तैर रही थी, इस बीच अचानक से ईडी ने पिंटू श्रीवास्तव का रुख क्यों किया. सवाल इस टाइमिंग को लेकर है, और यह सवाल खुद सत्ता पक्ष की ओर से भी उठाये जा रहे हैं. दावा इस बात का भी है कि ईडी सीएम हेमंत पर हाथ डालने के पहले उनके करीबियों को अंदर करना चाहती है, ताकि इनके मनोबल को तोड़ कर सीएम हेमंत के विरुद्ध कोई साक्ष्य इकठ्ठा किया जा सके.

अब सवाल उठना लाजमी है कि आखिर पिंटू इतना महत्वपूर्ण क्यों है, ईडी को क्यों लगता है कि यदि वह पिंटू श्रीवास्तव को तोड़ गया तो उसे सीएम हेमंत के विरुद्ध कोई महत्वपूर्ण साक्ष्य हाथ लग सकता है. तो यहां बता दें कि भले भी पिंटू श्रीवास्तव आज सीएम हेमंत का मीडिया सलाहकार की भूमिका में हो, लेकिन दावा किया जाता है कि वह सोरेन परिवार का पारिवारिक मित्र है, सीएम हेमंत से उसकी दोस्ती करीबन तीन दशक पुरानी है, इस बीच कितने झंझावात आयें, कितनी मुश्किली आयी, सियासी उठापटक का दौर चला, लेकिन पिंटू श्रीवास्तव हर सुख दुख में सीएम हेमंत के साथ खड़ा रहा. उसकी सत्ता में हो या विपक्ष में पिंटू की प्रतिबद्धता नहीं बदली, और यही कारण है कि  आज भी सीएम हेमंत पिंटू श्रीवास्तव पर अटूट विश्वास करते हैं.

अपने चाचा के साथ हुआ था अभिषेक का शिबू सोरेन आवास पर जाना

बता दें कि अभिषेक प्रसाद के चाचा एक अंग्रेजी अखबार के संपादक थें, इस नाते उनका आना जाना शिबू सोरेन आवास में लगा रहता था, तब पिंटू कई बार अपने चाचा के साथ शिबू सोरेन आवास में जाया करते थें, यहीं उनकी मुलाकात हेमंत सोरेन से हुई, दोनों की बीच पहले जानपहचान हुई, फिर यह दोस्ती में बदल गयी, ठीक वैसे ही जैसे दो किशोरों के बीच होती है. धीरे धीरे जब पार्टी गतिविधियों में हेमंत सोरेन की रुचि बढ़ी तो उन्होंने पिंटू को भी आगे बढ़ाना शुरु किया. इस प्रकार दो किशोरों की दोस्ती सियासी दोस्ती की ओर बढ़ता चला गया, इस बीच पिंटू को झामुमो का केन्द्रीय प्रवक्ता बना दिया गया और वर्ष 2019 में सत्तारोहण के साथ ही सीएम हेमंत का मीडिया सलाहकार का दायित्व सौंप दिया गया.

तीन दशक पुरानी है यह दोस्ती

लेकिन जैसा कि हमने कहा कि दोनों के बीच यह दोस्ती करीबन तीन दशक पुरानी है, उस वक्त सीएम हेमंत राजनीतिक गतिविधियों से भी दूर थें, तब भी पिंटू से उनका करीबी रिश्ता था. इस प्रकार दोनों की दोस्ती को  सिर्फ राजनीतिक चश्मे से देखने की कोशिश एक भूल होगी. आज भले ही सीएम हेमंत सत्ता के केन्र में हों, लेकिन पिंटू ने तो वह दौर भी देखा है, जब हेमंत सोरेन सियासत में अपना पैर जमाने का संघर्ष कर रहे थें.

पिंटू पर सत्ता संचालन में अघोषित हस्तक्षेप का आरोप

हालांकि आज आरोप लगता है कि पिंटू श्रीवास्तव सत्ता संचालन में अघोषित हस्तक्षेप करता है, विधायकों से लेकर अधिकारियों से बात करता है, उन्हे दिशा निर्देश देता है. कहा जा सकता है कि पिंटू सीएम हेमंत का दांया हाथ हैं, तो क्या यह कोई गुनाह है, क्या दूसरे दलों में इस तरह की भूमिका का  निर्वाह करने वाले चेहरों की कमी है, कोई अपने भतीजे को लेकर घुमता है, कोई बेटा को साथ लेकर सियासी मीटिंगे करता है, तो सवाल सिर्फ पिंटू पर भी क्यों उठाये जा रहे हैं. यदि बात हम सीएम हेमंत के प्रति पिंटू की प्रतिवद्धता और समर्पण को समझने की कोशिश करें तो उसे पिंटू श्रीवास्तव के इन शब्दों में समझा जा सकता है, जिसे उन्होंने एक बार सार्वजनिक रुप से इजहार किया था “उनके साथ काम करना इतना सहज है कि 12 से 13 घंटे भी काम करने पर काम काम नहीं लगता है. हेमंत जी सरल और सहज है” तो क्या यही पिंटू का गुनाह है, किस राजनेता की यह चाहत नहीं होती कि उसके साथ एक समर्पित टोली हो, जो उसकी आंख और नाक हो, आज भी देश में पीएम मोदी और अमित शाह के रिश्ते की दाद दी जाती है, तो वही बात पिंटू के साथ गुनाह कैसे हो गया.

अब तक पिंटू श्रीवास्तव के खिलाफ दर्ज नहीं  है कोई मामला

और यदि पिंटू श्रीवास्तव में कोई गुनाह किया है, तो अब तक ईडी ने उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज क्यों नहीं करवाया. पिछली बार भी 10 घटों की लम्बी पूछताछ हुई थी, उसके बाद अचानक से फाइल को बंद कर दिया, और अब जब हवा में सीएम हेमंत के इस्तीफे की खबरें तैर रही है, गिरफ्तारी के दावे किये जा रहे हैं, अचानक से पिंटू श्रीवास्तव के आवास पर छापेमारी कई संकते दे रहे है. बहुत संभव है कि इसका कोई सियासी रिश्ता भी हो.

सीएम हेमंत का सुरक्षा कवच

इस बीच यह दावे भी किये जा रहे हैं कि पिंटू के विरुद्ध यह छापेमारी और उस पर लटकती गिरफ्तारी की तलवार महज इसलिए है, ताकि पिंटू अपने आप में ही उलझ कर रह जाये और वह सीएम हेमंत का सुरक्षा कवच के रुप में अपनी भूमिका का निर्वाह नहीं कर सकें. उन पर सबसे बड़ा आरोप ईडी अधिकारियों का जासूसी करवाने का है, दावा किया जाता है कि पिंटू श्रीवास्तव की नजर ईडी की हर गतिविधि पर बनी रहती है, लेकिन यह काम तो आज के दिन विपक्ष के सारे दलों की ओर  से किया जा रहा है, क्योंकि ईडी की गतिविधियां विपक्षी नेताओं पर ही चल रही है, निशाने पर विपक्ष और उससे जुड़े राजनेता ही, सबकी सांसे थमी है, जैसे जैसे 2024 की लड़ाई तेज हो रही है, सारे विपक्षी दल सांस थाम कर ईडी की गतिविधियों पर नजर बनाये हुए हैं, ताकि उसकी काट ढूढ़ी जा सकें.

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Published at:04 Jan 2024 01:32 PM (IST)
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