TNP DESK-सियासत में कोई भी लकीर अंतिम नहीं होती, हर लकीर के बाद दूसरी लकीर की संभावना बरकार रहती है, ठीक यही हालत बिहार की है, एक तरफ जहां नीतीश की वापसी के साथ भाजपा खेमें जश्न की स्थिति है, तो दूसरी तरफ सीएम नीतीश के सियासी प्रकोप से उसके साथ आये सहयोगियों को साथ बांधे रखने की चुनौती खड़ी हो गयी है, इसका पहला इशारा तो उस प्रधानमंत्री मोदी के हनुमान माने जाने चिराग पासवान की ओर से आया है, सूत्रों का दावा है कि चिराग पासवान ने साफ कर दिया है कि नीतीश की वापसी का कोई असर उसकी सीटों की संख्या पर नहीं पड़नी चाहिए, और यदि ऐसा होता है तो उनके पास बिहार की कूल 23 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने के सिवा कोई विकल्प नहीं होगा. यहां बता दें कि दिल्ली से पटना तक जारी सीएम नीतीश के पलटी मारने की खबरों के बीच आज ही सुबह सुबह चिराग पासवान ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर अपनी चिंताओं को जाहिर किया था और इसके साथ ही उनको इस गठबंधन में कितनी सीटें दी जा रही है, इसका आंकड़ा साफ करने की मांग की थी.
दुश्मन का दुश्मन दोस्त के मायने
लेकिन जिस बयान को एनडीए के लिए सबसे खतरनाक माना जा रहा है वह है चिराग पासवान का यह दावा कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है, इसी एक शब्द से बिहार की पलपल बदलती सियासी हालत के संकेत मिल रहे हैं. क्योंकि यदि इस शब्द की छानबीन करें तो चिराग का इशारा साफ है कि वह बदले हालात में तेजस्वी के साथ भी खड़े हो सकते हैं. निश्चित रुप से तेजस्वी के साथ किसी फार्मूले पर पहुंचने के बादा ही चिराग पासवान ने इतना बड़ा बयान दिया होगा, लेकिन भाजपा के लिए बूरी खबर सिर्फ यह नहीं है, खबर तो यह भी है कि हम संस्थापक जीतन राम मांझी भी राहुल गांधी के सम्पर्क में हैं, दावा किया जाता है कि खुद राहुल गांधी ने जीतन राम मांझी को फोन कर इंडिया गठबंधन में आने का न्योता दिया है. और यदि इसी प्रकार भाजपा के अंदर भूचाल आता रहा तो कल उपेन्द्र कुशवाहा के साथ ही दूसरे घटक दलों की ओर से भी पाला बदल की खबर आ सकती है. क्योंकि जिस फजीहत के बाद उपेन्द्र कुशवाहा बड़े भाई नीतीश का साथ छोड़कर भाजपा के साथ गयें थें, बदले हालत में मुश्किल उनके सामने भी खड़ी होने वाली है, और कोई आश्चर्य नहीं हो कि राहुल गांधी का यह फोन उन तक भी पहुंच जाय, और यदि ऐसा होता है तो बहुत हद तक सीएम नीतीश की विदाई का दर्द झेलने की स्थिति में इंडिया गठबंधन खड़ी हो जायेगी. इस बीच खबर यह भी है कि कांग्रेस ने पूर्णिया की बैठक को स्थगित कर दी है. साफ है कि नीतीश के इस पालाबदल के बाद कांग्रेस एक्टिव हो चुकी है, और इस क्षति को कितना कम किया जा सकता है, फिलहाल इस पर मंथन जारी है.