Patna-कभी बिहार की इसी धरती से महान राजनीतिज्ञ चाणक्य ने अपनी सियासी रणनीतियों और षडयंत्रों के सहारे राजसत्ताओं की नींव हिलाई थी, रंक को राज सिंहासन तक का सफर करवाया था, और यही कारण कि आज भी जब जब राजनीति में दुर्भिसंधियों का जिक्र होता है, महान आचार्य चाणक्य का नाम पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ लिया जाता है, और माना जाता कि यदि सियासी दुरभिसंधियों को समझना हो, तो चाणक्य नीति से बेहतर आज भी कोई पुस्तक नहीं है, हालांकि सियासत में हर वक्त छल, प्रपंच और हर कदम पर निष्ठुरता की सिख देने वाली उनकी चाणक्य नीति को वर्तमान राजनेताओं -सियासत दानों में कितनों ने पढ़ा- समझा है, वह एक अलग सवाल है, लेकिन इतना तय है कि बिहार की इस धरती पर आज भी चाणक्यों की कमी नहीं है, सबसे बड़े चाणक्य तो खूद सीएम नीतीश हैं, जिनकी चालों और दुरभिसंधियों में अटका-फंस भाजपा-राजद आज भी उनका पिछलग्गू बनने को मजबूर है. और सिर्फ मजबूर नहीं है, बल्कि पिछलग्गू बनाने की एक होड़ भी हैं.
बिहार की हर गली में बैठा है एक चाणक्य
लेकिन सवाल यहां सिर्फ आज बिहार के सबसे बड़े चाणक्य और उनके छोटे चाणक्य ललन सिंह की नहीं है, जैसी उठापटक की खबरें पिछले कुछ घंटों से मीडिया चैनलों और सोशल मीडिया पर परोसी जा रही है और उसके बाद खेत-खिलहानों से लेकर चाय की गुमटियों तक जिस तरह की चर्चाओं और आकलनों का दौर जारी है, उसके बाद तो लगता है बिहार की हर गली में एक चाणक्य बैठा है, आप चाय की चुस्कियों का आनन्द लेते, या खैनी की ताल ठोकते इसमें से किसी भी चाणक्य से पूरी सियासी फिजा और उसके रंग को समझ सकते हैं, विश्वास कीजिये, बेरोजगारी के मास्टर इन चाणक्यों से आपको इतनी गहन और विशद जानकारी मिल जायेगी कि आप दांत तले अंगली दबाने को बाध्य हो जायेंगे. अपनी घूमती अंगुलियों के बीच ये चाणक्य आपको सियासत की उस तल्ख हकीकत की हर बारीकी को आपने सामने प्रस्तूत कर देंगे.
जितने चैनल उतने दावे
खैर हम यहां बात राजधानी पटना में चलती उन खबरों की कर रहे हैं, जिसमें आज हर चैनल आज की रात को तेजस्वी यादव के लिए कयामत की रात बतला रहा है, और बड़ी ही हर्षित चेहरे के साथ इस बात की भविष्यवाणियों में जुटा है कि सीएम नीतीश महज कुछ घंटों में अपने एक और पाला बदल के साथ बिहार की सियासत को शीर्षासन करवाने वाले हैं, दूसरी ओर कोई राजद की सरकार बना रहा है, तो कोई जदयू में फूट की कहानी सामने ला रहा है, किसी के सूत्र बता रहें कि रेणु देवी सूबे बिहार का अगला सीएम बनने जा रही है. कलम के कुछ जादूगर एक बार फिर से बिहार की सियासत में सुशील मोदी की वापसी करवा रहे हैं. उनका दावा है कि एक बार सुशील मोदी के सिर पर उपमुख्यमंत्री की कुर्सी सजने वाली है, हालांकि रेणु देवी को मुख्यमंत्री बनाकर नीतीश को क्या मिलेगा? इसका रहस्य कोई भी खोलने को तैयार नहीं है?
सीएम कौन तरह तरह की बैसैर पैर की कहानियां
और इन तमाम खबरों के बीच एक दावा यह भी है कि सीएम नीतीश की बात सीधे मोदी से हो रही है, और उनके बिहार दौरे के पहले यह सारा खेल हो जायेगा, लेकिन इस बार सीएम भाजपा को होगा और जदयू की ओर से दो दो डिप्टी सीएम बनाये जायेंगे, दूसरा ठीक इसके उलट है, जिसमें कहा जा रहा है कि सीएम तो नीतीश ही रहेंगे, लेकिन पूर्व की तरह भाजपा कोटे से एक बार दो दो उपमुख्यमंत्री होगा. यानि पटना की सड़कों पर जितने पत्रकार दौड़-हांफ रहे हैं, उसमें से हर के पास अपनी अपनी कहानी, दावे और जानकारी के स्त्रोत हैं, अब इसमें कौन सा स्त्रोत पुख्ता है, इसका फैसला आपको करना है, लेकिन इतना तय है कि इन तमाम खबरों के बीच पहली बार राजद की ओर से मोर्चा संभालते हुए मनोज झा ने इतना जरुर कहा कि बिहार की सड़कों पर सीएम नीतीश को लेकर कई खबरें तैर रही है, जदयू को आज शाम शाम तक इन खबरों की सच्चाई को सामने लाते हुए अपना पक्ष रखना चाहिए.
सम्राट चौधरी का दावा सीएम नीतीश फिजिकली हैंडीकैप
हालांकि आज उस वक्त पालाबदल की खबरों को तब झटका लगा, जब बिहार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने सीएम नीतीश पर अब तक का सबसे तीखा हमला करते हुए उन्हे फिजिकली हैंडीकैप करार देते हुए कहा कि जो व्यक्ति अपनी बीमारी की वजह से एक-एक माह तक जनता के बीच जा नहीं सकता, उस व्यक्ति का एक मिनट भी सत्ता में बने रहना बिहार और बिहार के भविष्य के लिए बेहद खतरनाक है. अब समय आ गया है कि वह कुर्सी का मोह त्याग कर आराम करें, बिहार के लिए उनके पास कुछ भी करने को शेष नहीं रहा गया है. भाजपा में एक और वापसी की तमाम खबरों पर विराम लगाते हुए सम्राट चौधरी ने कहा कि अब बिहार की सियासत में उनकी सियासी विश्वसनीयता शून्य है. ना तो उनकी कोई विचारधारा है, और ना ही उनके पास अंतरआत्मा. वह तो कपड़े की तरह हर दिन अपनी विचाराधारा बदलते हैं, हमारे केन्द्रीय नेतृत्व ने पहले ही साफ कर दिया है कि सीएम नीतीश के लिए हमारे दरवाजे-खिड़कियां सभी बंद है, इस हालत में उनकी वापसी का सवाल कहां खड़ा होता है? लेकिन दूसरे पल अपने कोप भवन से सुशील मोदी का अवतरण होता है, और उसी चाणक्य के अंदाज में बयां करते हैं कि सियासत में दरवाजे यदि बंद होते हैं, तो खुलते भी है, साफ है कि भाजपा के अंदर भी सीएम नीतीश को लेकर बेचैनी बड़ी हुई है, जो सत्ता नीतीश की एक पलटी से दूर हो गयी है, यदि वही सत्ता नीतीश की दूसरी पलटी से वापस मिल जाती है, तो इसमें बुराई क्या है? बाकी को सियासत हैं ही पालबदल का नाम, राजनीति की इस गंगा में कौन बैगर पलटी और दुरभिसंधियों के आगे बढ़ा है, अब देखना होगा कि भाजपा का बंद दरवाजा कब खुलता है और कब सीएम नीतीश अपने जीवन की अंतिम कलाबाजी को अंजाम देते हुए पूरे शान शौकत के साथ उसमें प्रवेश करते हैं, फिलहाल सब कुछ सूत्रों के हवाले हैं, आप भी इन तैरती कहानियों में से किसी एक सिरा पक़ड़ बेहतरीन चाय का आनन्द ले सकते हैं.
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