Patna-एक तरफ इंडिया एलाइंस में सीट शेयरिंग को लेकर किसी भी प्रकार के खींचतान से इंकार किया जा रहा हैं, वहीं दूसरी तरफ जदयू के तेवर से मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है, मीडिया में चल रही है 17-17 के फार्मूले को नकारते हुए मंत्री विजेन्द्र यादव ने साफ किया है कि जदयू 16 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है, और उसकी यह दावेदारी अपने जीते हुए सांसदों की संख्या के आधार पर है.
विधान सभा चुनाव के परफॉरमेंस को आधार बनाने की मांग कर रही है माले
यहां ध्यान रहे कि फिलहाल जदयू के पास 16 सांसद है. और वह सारी जीती हुई सीटों को अपने पास रखना चाहती है, यदि इस फार्मूला को अपना लिया जाय तो कांग्रेस राजद और वाम दलों के लिए महज 24 सीट ही बचती है, अपने व्यापक जनाधार को देखते हुए राजद भी कम से कम इतनी ही सीटों पर अपनी दावेदारी करेगी, इस प्रकार कांग्रेस और वाम दलों के हिस्से महज 8 सीट बचती है, इस हालत में कांग्रेस कितनी सीटों से लड़ेगी, यह एक बड़ा सवाल है, दूसरी तरफ पिछले विधान सभा को परफॉरमेंस आधार बना कर माले अपने लिए कम से कम चार सीटों पर दावेदारी करती नजर आ रही है.
उसका दावा है कि पिछले विधान सभा चुनाव में उसने कांग्रेस की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया था, वह महज 19 सीटों पर चुनाव लड़कर 11 पर अपना परचम लहराया था, जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़कर भी 19 सीटों पर सिमट गयी थी. इस हालत में वह किसी कहीं से भी कांग्रेस की तुलना में कमजोर नहीं है.
काराकाट, आरा के साथ ही सीवान और जहानाबाद पर भी माले की नजर
दरअसल खबर यह है कि माले अपने लिए आरा और सीवान के साथ ही जहानाबाद और कारकाट लोकसभा सीट पर भी अपनी नजर जमाये हुए हैं. उधर सीपीआई की दावेदारी बेगूसराय सीट लेकर है, लेकिन मुश्किल यह है कि राजद जदयू में 17-17 सीट पर सहमति बनने की खबर है, इस हालत में बचती है महज 6 सीट, अब इसी छह सीट में कांग्रेस और वाम दलों में सीटों का बंटवारा होना है. इस हालत में कांग्रेस के पास तीन सीट से ज्यादा जाती हुई नहीं दिखती.
दीपांकर भट्टाचार्य को राज्य सभा भेजे जाने की चर्चा तेज
इसके साथ ही इस बार माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य को राज्य सभा भेजे जाने की चर्चा भी तेज है, लेकिन यह उसी स्थिति में संभव है, जब राजद कांग्रेस का साथ उसे मिले. तो क्या लोकसभा चुनाव में सीटों की इस कटौती को राज्य सभा के माध्यम से पूरा करने की रणनीति तैयार की जा रही है.
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