Ranchi-गिरिडीह लोकसभा सीट के लिए नामांकन के साथ ही टाईगर जयराम को गिरफ्तार कर लिया गया. बताया जा रहा है कि जैसे ही नामांकन की प्रक्रिया पूरी हुई. पुलिस टाईगर जयराम को पिछले दरवाजे से अपने साथ ले गयी, हालांकि इस अवसर पर टाईगर जयराम की ओर से पुलिस कर्मियों को यह समझान की कोशिश भी हुई कि नामांकन के बाद एक आमसभा को संबोधित करना है, बाहर समर्थक इंतजार कर रहे हैं. यदि गिरफ्तार ही करना है, तो वह आम सभा के बाद वह अपनी गिरफ्तारी देने के तैयार है, लेकिन प्रशासन ने आम सभा में शामिल होने की इजाजत नहीं दी.
सत्ता के इशारे पर गिरफ्तारी?
अपनी गिरफ्तार को एक साजिश बताते हुए जयराम ने कहा है कि यह इस बात का सबूत है कि सरकार और सत्ता उससे किस कदर डरी हुई है. उसे पत्ता है कि गिरिडीह का समीकरण बदलने वाला है. सत्ता पक्ष की हार होने वाली है. इस हताशा में वह हमें अखाड़े से हटाना चाहती है, ताकि हम अपना प्रचार प्रसार नहीं कर सकें. लेकिन सरकार की यह मंशा पूरी नहीं होने वाली है. इस घटना के बाद हमारे समर्थक और भी बुलंद होंगे और इसकी अंतिम परिणति झारखंड क्रांतिकारी लोकतांत्रिक मोर्चा की जीत में होगी. इसके साथ ही यह सवाल भी खड़ा होने लगा है कि क्या वाकई सियासी दलों में टाईगर जयराम का खौफ पसर रहा है, हालांकि अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन यदि इस गिरफ्तारी को भाजपा की ओर से विरोध नहीं होता है, तब तो सवालों के घेरे में भाजपा भी आयेगी. यह सवाल भी खड़ा होगा कि क्या टाईगर जयराम के सवाल पर स्थापित सियासी दलों का रवैया एक है. बेचैनी दोनों ओर है और टाईगर जयराम को अखाड़े से हटाने सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की सहमति है.
नामांकन के साथ ही गिरफ्तारी क्यों?
लेकिन मूल सवाल यह है कि आखिर प्रशासन ने टाईगर जयराम की गिरफ्तारी के लिए इस वक्त को ही क्यों चूना? टाईगर जयराम का दावा है कि जिस मामले में उनकी गिरफ्तारी हुई है, वह विधान सभा घेराव से जुड़ा है. जबकि उस वक्त प्रशासन की ओर से यह भरोसा दिलाया गया था कि किसी भी छात्र पर प्राथमिकी दर्ज नहीं होगी, प्राथमिकी दर्ज भी नहीं हुई थी, लेकिन अब अचानक से गिरफ्तारी का फरमान जारी हुआ है. तो क्या सत्ताधारी दल में टाईगर जयराम का खौफ है, क्या इस गिरफ्तारी का फरमान रांची से जारी हुआ है, क्या झामुमो टाईगर जयराम को गिरिडीह के अखाड़े से हटाना चाहती है, क्या बगैर टाईगर जयराम को गिरफ्तार किये, मथुरा महतो की जीत पर संशय है, क्या इस बात खौफ है कि युवाओं का जो तूफान टाईगर जयराम के पक्ष में उमड़ रहा है, उसका नुकसान झामुमो को हो सकता है. टाईगर जयराम की इस गिरफ्तारी के पीछे कारण कुछ भी हो, लेकिन इतना तय है कि इस गिरफ्तारी ने टाईगर जयराम को एक हीरो के रुप में स्थापित जरुर कर दिया है, अब उसकी दहाड़ और भी दूर तक जाती दिखलायी देगी.
स्थापित सियासतदानों के बीच जयराम एक नया चेहरा
यहां ध्यान रहे कि इन स्थापित सियासतदानों के बीच जयराम एक नया चेहरा है. टाईगर जयराम का चेहरा पहली बार सुर्खियों में तब आया था, जब भाषा आन्दोलन के दौरान गिरिडीह-धनबाद में मानव श्रृखंला का निर्माण हुआ था. भाषा आन्दोलन की आंच कम होते ही जयराम खतियान आन्दोलन के साथ जुड गयें, और अब यह सियासी इंट्री हो रही है. इस हालत में देखना होगा कि वह सियासत के इन पुराने धुरंधरों के सामने कितनी गंभीर चुनौती पेश कर पाते हैं, हालांकि सोशल मीडिया पर जयराम समर्थकों की एक बड़ी संख्या है, लेकिन असली मुकाबला तो जमीन पर लड़ी जानी है. और इस मुकाबले से ही तय होगा कि जिन मुद्दों और नारों के सहारे जयराम झारखंड को बदलने का दावा करते रहे हैं, उन मुद्दों और नारों की आम जनता के बीच कितनी स्वीकार्यता है, या वे नारें महज सोशल मीडिया की सुर्खियों तक ही सीमित है. सवाल यह भी है कि जयराम की इस इंट्री से क्या किसी का खेल बिगड़ने वाला है, या जयराम अपना खेल बनाने की स्थिति में आ ख़ड़े हुए हैं, और क्या उनकी गिरफ्तारी की असली वजह यही है.
गहरे संकट का इशारा तो नहीं है यह गिरफ्तारी
हालांकि जानकारों का दावा है कि जयराम की कोशिश लोकसभा चुनाव के बहाने विधान सभा के लिए अपनी जमीन को तैयार करने की है. ताकि स्वीकार्यता का विस्तार के साथ ही संगठन का दायरा भी बढ़ें. लेकिन जिस तरीके से गिरफ्तारी को अंजाम दिया गया है, उससे तो लगता है कि संकट कहीं गहरा है, और बहुत संभव है कि इस बार गिरिडीह में एक बड़ा बदलाव देखने को मिले या फिर इस बदलाव की धूरी बन कर टाईगर जयराम सामने आयें.
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