Ranchi-सियासी गलियारों में जारी हलचलों के बीच सीएम हेमंत ने पत्नी कल्पना सोरेने को सीएम बनाने की तमाम खबरों को भाजपा का दुष्प्रचार करार दिया है, इस बीच बुधवार को देर शाम महागठबंधन के तमाम विधायकों की बैठक बुलायी गयी है, लेकिन महागठबंधन की बैठक से पहले कांग्रेस ने अपने विधायकों की बैठक बुलाकर सियासी सरगर्मी तेज कर दी है. और दावा किया जा रहा है कि सीएम हेमंत को चौतरफा संकट में घिरता देख कर कांग्रेस भी सत्ता की इस रेबड़ी में अपने हिस्से अधिक मलाई की खोज कर रही है. इस दावे को बड़कागांव से पूर्व विधायक योगेन्द्र साव के उस बयान से भी बल मिला है कि वर्तमान सरकार में कांग्रेस की पूछ नहीं है, उनके कार्यकर्ताओं की आवाज नहीं सुनी जा रही है, जिसके कारण उन्हे अपने समर्थकों के बीच जवाब देना मुश्किल होता जा रहा है.
सरकार में अपने मंत्रियों का चेहरा बदल सकती है कांग्रेस
हालांकि दूसरा तर्क यह भी है कि यह कांग्रेस की सामान्य बैठक है, प्रदेश की प्रभारी कमान लेने के बाद गुलाम अहमद मीर की यह पहली झारखंड यात्रा है, और मीर ने तमाम विधायकों के साथ संवाद कायम करने के लिए ही यह बैठक बुलाई है, लेकिन दूसरा दावा यह भी है कि कांग्रेस इस बार सरकार में अपने कोटे के मंत्रियों का चेहरा बदल सकती है, खास कर बादल पत्रलेख और बन्ना गुप्ता को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है, दावा किया जा रहा है कि इन मंत्रियों के कारण कांग्रेस विधायको के अंदर भी नाराजगी है, इस हालत में मीर अहमद इस बार किसी और चेहरे को मंत्रिमंडल का हिस्सा बना सकते हैं.
कांग्रेस के हिस्से इस बार मिल सकता है डिप्टी सीएम का पद
दावा किया जा रहा है कि अपने विधायकों की इस नाराजगी को दूर करने के लिए इस बार कांग्रेस की ओर से डिप्टी सीएम की मांग की जा सकती है, हालांकि इसका खुलासा महागठबंधन की बैठक में ही होगा. वहीं दूसरी खबर यह भी है कि भले ही सीएम हेमंत कल्पना सोरेन के नाम को भाजपा का दुष्प्रचार बता रहे हों, लेकिन कांग्रेस सहित राजद के द्वारा कल्पना सोरेन के नाम को अगले सीएम चेहरे के रुप में प्रस्तावित किया जा सकता है, जिसके बाद सीएम हेमंत के सामने महज इस पर अपनी औपचारिक मुहर लगाने की जरुरत होगी, और यह दावा भी किया जायेगा कि यह उनका फैसला नहीं होकर महागठबंधन के तमाम विधायकों को एक सूर से लिया गया फैसला था. लेकिन बड़ा सवाल डिप्टी सीएम की मांग को लेकर हैं, क्या सीएम हेमंत सत्ता का दो केन्द्र बनने देने की राह पर चलने का फैसला करेंगे, या अंत समय में सब कुछ सामान्य हो जायेगा. और यह बैठक दरअसल कांग्रेस के अंदर की गुटबाजी को दूर करने की कवायद भर है.