Ranchi-कथित भुंईहरी जमीन घोटाला मामले में पूर्व सीएम हेमंत को 13 दिनों की लम्बी पूछताछ के बाद आखिरकार ज्यूडिशियल कस्टडी में बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारा भेज दिया गया है, और इसके साथ ही उनके समर्थकों की बीच यह सवाल उमड़ने-घुमड़ने लगा है कि पूछताछ तो खत्म हो चुकी, लेकिन अब रिहाई की खबर आयेगी या अभी एक लम्बा समय कारागृह में ही बिताना होगा. और यदि बिताना होगा तो इसकी संभावित अवधी क्या होगी? उनके मन में यह सवाल भी उमड़ रहा है कि इसका अंतिम फैसला ईडी कोर्ट में ही होगा या फिर यह मामला भी ईडी कोर्ट से गुजरते हुए हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक जायेगा, तो इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए हमें ईडी के अब तक के ट्रैक रिकार्ड की जांच करनी होगी. तो यहां बता दें कि मई मनी लॉन्ड्रिग के खिलाफ कानून अस्तित्व में आने के बाद 31 जनवरी 2023 तक ईडी के द्वारा कुल पांच हजार नौ सौ छह मामले दर्ज किये गये हैं. जिसमें से 1142 मामलों में चार्जशीट दायर किया गया, जबकि 25 मामलों में ट्रायल पूरा कर लिया गया और 24 मामले में आरोपी को दोषी ठहराया गया. इस प्रकार यदि 5,906 में से 24 को सजा मिलती है, तो ईडी का सक्सेस रेट महज 0.47 के आसपास ठहरता है.
5906 मामले में अब तक सिर्फ 24 को सजा
कोशिश करें तो 5,906 मामले दर्ज करने के बाद महज 24 आरोपी को अब तक सजा मिली है. जबकि आरोप लगते हैं कि सारे आरोपियों को लम्बे समय तक काल कोठरी की हवा खानी पड़ी, उनका नाम मीडिया की सुर्खियों में रहा, उन पर भ्रष्टाचार का तमगा भी लगा. सामाजिक और सियासी रुप से उनकी फजीहत भी हुई. और इस फजीहत की मुख्य वजह ईडी को प्राप्त वह शक्ति है, जिसमें वह कभी भी किसी को गिरफ्तार कर सकती है. ईडी के पास दूसरी सबसे बड़ी ताकत पीएमएलए एक्ट की वह धारा भी है, जिसके तहत आरोप साबित करने की जिम्मेवारी ईडी पर नहीं होती, बल्कि यह जिम्मेवारी उस आरोपी है कि वह कोर्ट में अपने आप को निर्दोष साबित करें. और यहीं आकर ईडी देश की दूसरी सभी एजेंसियों पर भारी पड़ती दिखती है. हालांकि इस बीच यह भी ध्यान रखने की जरुरत है कि इन 5,906 मामले में सिर्फ 176 मामले ही मौजूदा या पूर्व सांसद, विधायकों और एमएलसी के नाम दर्ज है. लेकिन यह मुख्य सवाल यह है कि क्या हेमंत का खिलाफ कथित जमीन घोटाले का मामला उसी 0.47 फीसदी के तहत आने वाला है, या फिर वह इसके बाहर होंगे.
27 फरवरी का इंतजार
तो इसका आकलन के लिए हमें 27 फरवरी का इंतजार करना होगा. क्योंकि उसी दिन उनके मामले में झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई की जानी है. उस दिन हाईकोर्ट के समक्ष ईडी की ओर से जो साक्ष्य रखे जायेंगे, और उस साक्ष्य को झारखंड हाईकोर्ट कितना पुख्ता मानता है. सारी दामोदार उसी पर टिका है. यदि पेश साक्ष्यों में हाईकोर्ट को कोई घालमेल नजर आता है, उसकी दलील लचर नजर आती है, तो निश्चित रुप से हेमंत को जमानत मिल सकती है, नहीं तो यह लड़ाई अभी लम्बी चलने वाली है. यहां यह भी ध्यान रहे कि हेमंत के खिलाफ अब सिर्फ कथित जमीन का ही मामला नहीं है. ईडी की ओर से जो साक्ष्य पेश किये जाने के दावे किये जा रहे हैं, उसके अनुसार उनके खिलाफ एक साथ कई और मामले भी बनते दिख रहे हैं, यह परीक्षा घोटाला से लेकर अधिकारियों के तबादले और पदस्थापन में गड़बड़शाला की ओर भी जाता दिख रहा है, बावजूद इसके सारा कुछ हाईकोर्ट पर निर्भर करता है, क्योंकि जिन कथित रुप से साक्ष्यों के आधार हेमंत को घेरने की कोशिश की जा रही है, उसमें कितना दम खम है, यह तो कोर्ट में उन साक्ष्यों के पेश होने के बाद ही पता चलेगा.
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