TNP DESK- अजित पवार का साथ मिलते ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंद ने दावा किया है कि अब महाराष्ट्र में ट्रिपल इंजन की सरकार है, हम लोकसभा और विधान सभा में और भी अधिक सीटों के साथ वापस आयेंगे. जबकि भाजपा ने दावा किया है कि रांकपा के 53 में से 40 विधायकों का समर्थन शिंदे सरकार के साथ है.
अब तक सामने नहीं आये हैं शरद पवार
हालांकि पार्टी में फूट के बाद अब तक रांकपा प्रमुख शरद पवार सामने नहीं आये हैं, माना जा रहा है कि वह इस घटनाक्रम का आकलन में करने में जुटे हैं, फिलहाल उनकी नजर उन विधायकों पर बनी है, जिन्हे तोड़ने की कोशिश की जा सकती है, साथ ही वह उन विधायकों को वापस लाने की कोशिश भी कर रहे हैं, जो साथ छोड़ कर जा चुके है. यही कारण है कि शरद पवार फिलहाल इस घटनाक्रम पर कोई बयान देने से परहेज कर रहे है, उनकी पहली कोशिश पार्टी बचाने की है, उस सियासी जमीन को समझने की है, जो इस बगावत के बाद सामने आया है.
इस बगावत का कोई असर नहीं
महाराष्ट्र की राजनीति का एक अहम चेहरा माने जाने वाले शिव सेना नेता संजय राउत ने इस सियासी घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि शरद पवार से उनकी बात हुई है, पार्टी के अधिकांश विधायक उनके साथ खड़े हैं. जारी सियासी घटनाक्रम पर तंज कसते हुए संजय राउत ने कहा कि यह वही भाजपा है, जो इन विधायकों को जेल भेजने की बात किया करती थी, बात-बात में उन पर भ्रष्ट्रचार का आरोप लगाती थी, लेकिन आज जब महाराष्ट्र की सत्ता उसके हाथ से निकली दिख रही है, तब उसे इन कथित भ्रष्टचारियों को अपने पाले में खड़ा करने में शर्म नहीं आयी.
महाराष्ट्र की जनता इस खेल को समझ रही है
संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र की जनता भाजपा के इस खेल को समझ रही है, पहले शिव सेना और अब रांकपा को तोड़ने की साजिश, लेकिन शिव सेना हो या रांकपा, दोनों को ही जनता का प्यार और समर्थन प्राप्त है, हम चुनाव में अपनी ताकत और जनसमर्थन का प्रदर्शन करेंगे. जनता ही बतायेगी कि उनका प्यार और समर्थन किसके साथ है, चंद नेताओं और विधायकों के साथ छोड़ने से पार्टी अस्तित्व समाप्त नहीं होता.
क्या रांकपा पर दावा ठोकेंगे अजित पवार
यहां यह सवाल भी खड़ा होने लगा है कि क्या अजित पवार रांकपा पर अपना दावा करेंगे और शिव सेना की ही तरह रांकपा पर कब्जे की लड़ाई की शुरुआत होगी. ध्यान रहे कि अजित पवार इसके पहले भी पार्टी से बगावत कर चुके हैं. तब उन्होंने देवेन्द्र फडणवीश की सरकार में उपमुख्यमंत्री बने थें, सुबह सुबह उनके डिप्टी सीएम बनने की खबर मीडिया की सुर्खियां बनी थी, लेकिन यह प्रयोग महज 80 घंटों में सिमट गया था, और अजित पवार देवेन्द्र फडणवीश का साथ छोड़कर वापस अपने चाचा के पास चले आये थें.