Ranchi-सियासी मशक्कत और उहापोह के बीच चंपई सोरेन के नेतृत्व में झारखंड को आखिरकार आज एक सरकार मिल गयी, राजभवन में एक बेहद सादे समारोह में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने चंपई सोरेन के साथ ही कांग्रेस कोटे से पूर्व संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम और राजद कोटे से पूर्व श्रम और रोजगार मंत्री सत्यानंद भोक्ता को शपथ ग्रहण की औपचारिकता को पूरा करवा दिया. खबर है कि आज ही शाम को चंपई कैबिनेट की पहली बैठक भी आयोजित की जायेगी. इस कैबिनेट की बैठक में पांच फरवरी को विधान सभा का विशेष सत्र बुलाने का निर्णय लिया जा सकता है. और इसी विशेष सत्र में सरकार अपना बहुमत भी साबित करेगी.
पांच फरवरी को बहुमत साबित करेगा महागठबंधन
यहां ध्यान रहे कि इधर चंपई सोरेन का शपथ ग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो रही थी, उधर महागठबंधन के 39 विधायक विशेष विमान से हैदराबाद की ओर रवाना हो रहे थें. जबकि चंपई सोरेन सहित दूसरे मंत्री राजधानी रांची में मौजूद रहकर बहुमत साबित करने की रणनीतियों को अंजाम देंगे. दरअसल खबर यह है कि महागठबंधन के नेताओं को लगता है कि प्रचंड बहुमत के दवाब में शपथ ग्रहण की औपचारिकता भले ही पूरी करवा दी गयी हो. लेकिन खेल अभी खत्म नहीं हुआ है, अभी भी उनके विधायकों को तोड़ने की साजिश की जा सकती है, चंद विधायकों को प्रलोभन का शिकार बनाया जा सकता है, और यही कारण है कि राजभवन की ओर से बहुमत साबित करने के लिए 10 दिनों का समय देने के बावजूद चंपई सोरेन महज तीन दिन में ही अपना बहुमत साबित करना चाहते हैं.
विधायकों को एकजूट रखने की जिम्मेवारी बंसत के कंधों पर
इस बीच बड़ी खबर यह है कि सीएम चंपई सोरन ने विधायकों को एकजूट रखने की जिम्मेवारी बंसत सोरेन के कंधों पर डाली है और यही कारण है कि राजधानी रांची में जारी सियासी गहमागहमी और तरह तरह के कयासबाजियों के बीच बंसत सोरेन को विधायकों के साथ हैदराबाद भेजा गया है. हालांकि हैदराबाद में विधायकों को तोड़ना मुमकिन नहीं लगता, क्योंकि एक वहां कांग्रेस की सरकार है, दूसरी बात कर्नाटक के डी. कुमार की पहुंच और उनकी सियासी ताकत का जलबा हैदराबाद तक देखा जाता है. लेकिन डर इस बात की है, कई विधायक पहले से ही ईडी के राडार पर हैं, तो क्या ईडी इन विधायकों तक पहुंच किसी ना किसी बहाने पहुंच सकती है. हालांकि इसकी कोई संभावना तो नजर नहीं आती, लेकिन बावजूद इसके महागठबंधन काफी सजग है. यहां यह भी ध्यान रहे कि जिस बंसत सोरेन पर विधायकों को एकजूट रखने की जिम्मेवारी सौंपी गयी है, कई मीडिया चैनलों में इस बात का दावा किया जा रहा था कि बसंत की नजर सीएम की कुर्सी है, हालांकि बंसत सोरेन जिस मुस्तैदी के साथ इस संकट की घड़ी में पूर्व सीएम हेमंत के साथ खड़े हैं, उसके बाद यह सब महज अटकलबाजियां ही नजर आती है.
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