Patna-बिहार की हाड़ कांपती ठंड के बीच सियासी फिजाओं में अचानक से तपिश बढ़ चुकी है. पटना सीएम आवास से लेकर दिल्ली भाजपा मुख्यालय में बैठकों का दौर जारी है. उधर चाचा नीतीश के साथ उपमुख्यमंत्री के पद के साथ सीएम बनने का सपना पाल रहें तेजस्वी यादव भी राबड़ी आवास में अपने नेताओं के साथ गहन मंथन में डूबे हुए है, सबसे मंत्रणा और राय लेने के साथ ही बदले हालात में अपने नेताओं को किसी भी मुकाबले के लिए तैयार रहने को कहा जा रहा है. और इसके साथ ही अब तक सियासी गलियारों में पाला बदल के जो दावे किये जा रहे थें, अब नही दावे सियासी गलियारों से निकल कर चौक-चौराहों तक पहुंच चुका है. कुछ सियासी कुढ़न के साथ तो कुछ बहुत सी बेसब्री के सीएम नीतीश की एक और पलटी का इंजतार कर रहे हैं.
महज 48 घंटे और बदल जायेगा बिहार का सियासी रंग
दावा यह भी किया जा रहा है कि यह सब कुछ महज 48 घंटों में किया जाना है, यानि इन्ही 48 घटों के अंदर अंदर सीएम नीतीश को एक और पलटी मार कर देश की सियासत में भूचाल लाना है. बिहार का घटनाक्रम कितनी तेजी से बदल रहा है, इसका अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं, कि आज भी सुबह सुबह यह खबर सामने आयी कि सीएम नीतीश ने अचनाक से पीएम मोदी को फोन लगाया है, अभी यह चर्चा खत्म भी नहीं हुई थी कि राजद प्रमुख लालू यादव की बेटी रोहणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर एक बड़ा भूचाल ला दिया, दरअसल रोहणी आचार्य ने बेहद ही तीखे अल्फाज में लिखा कि ‘समाजवादी पुरौंधा होने का करता वही दावा है, जो हवाओं की तरह बदलता अपनी विचारधारा है,” इसके साथ ही अपने दूसरे ट्वीट में रोहणी ने लिखा कि “अक्सर लोग नहीं देख पाते अपनी कमियां, लेकिन दूसरों पर कीचड़ उछालने की करते रहते हैं बदतमीजियां”, इस प्रकार लगातार तीन ट्वीट, तीनों एक से बढ़कर एक जहर बूझे तीर.
रोहणी के जहर बूझे तीर
और इस ट्वीट के बाद जो कहर मचना था, उसके लिए किसी दिमागी कसरत की जरुरत नहीं है, जैसे ही इसके बाद कैबिनेट की मीटिंग शुरु हुई, इसका असर साफ नीतीश से लेकर तेजस्वी के चेहरे पर देखने को मिला. 15 मिनट की इस कैबिनेट की बैठक में नीतीश तेजस्वी के बीच कोई बात नहीं हुई, अभी चाय की चुस्की खत्म भी नहीं हुई थी, कि अचानक से चाचा नीतीश बैठक खत्म चलने की तैयारी करने लगे, इधर तेजस्वी हाथ जोड़ चाचा का अभिवादन करते रहें, उधर चाचा लिफ्ट की सीढी चढ़ चुके थें, खैर तेजस्वी ने छोटा होने का फर्ज निभाया, और पैदल ही सीढ़ी के रास्ते उतर एक बार फिर से चाचा को अभिवादन करने का प्रयास किया, लेकिन चाचा नीतीश ने मन में तब तक कुछ प्लानिंग तैयार हो चुकी थी. जैसे ही तेजस्वी राबड़ी आवास की ओर निकलें. इधर सीएम हाउस में जदयू के नेताओं का काफिला उमड़ परा, बैठकों का दौर शुरु हो गया, चेहरे बदले रहे, लेकिन बैठक जारी रही, बाहर निकल कोई भी अपनी जुबान खोलने को तैयार नहीं था, उधर जैसे ही तेजस्वी को इन गतिविधियों की जानकारी मिली, राबड़ी आवास पर भी राजद के नेताओं का आगवन शुरु हो गया. इस बीच अचानक से यह खबर आती है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी सीएम नीतीश के संदेश को लेकर दिल्ली की फ्लाइट पकड़ चुके हैं, जहां आज रात आठ बजे उनकी देश के नवोनित चाणक्य से मुलाकात केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनकी मुलाकात होनी है. और इस बैठक के बाद बिहार के अब तक के सबसे बड़े सियासी राज से पर्दा उठ जायेगा. पर्दा यानी सीएम नीतीश कुर्सी, दरअसल कुछ सूत्रों का दावा है कि भाजपा अब किसी भी कीमत पर सीएम नीतीश को सीएम की कुर्सी देने को तैयार नहीं है, उसकी कोशिश है कि अब बहुत हो चुका, आप इस कुर्सी को खाली कर किसी और काम में अपना समय लगायें, लेकिन सवाल फिर वही खड़ा होता है, सीएम नीतीश इस कुर्सी को छोड़कर भाजपा के साथ गलबहिंया क्यों करेंगे?
जहां नीतीश वहीं सत्ता की चासनी
लेकिन इस खबर को झटका तब लगा जब सुशील मोदी अवतरित होते हैं, और अब तक सीएम नीतीश के लिए सारे दरवाजे बंद रहने का एलान करने वाले सुशील मोदी बेहद आराम से फरमाते हैं, वह तो हर वक्त नीतीश का स्वागत को बेकरार बैठे हैं, यानी सुशील मोदी ने यह साफ संकेत दे दिया कि नीतीश चाहें तो अपनी कुर्सी के साथ भी भाजपा में उनका स्वागत है, लेकिन मुख्य सवाल तो यही है कि क्या देश के चाणक्य की भूमिका में आ चुके अमित शाह को भी नीतीश अपनी कुर्सी के साथ स्वीकार होंगे? बहुत संभव है उन्हे भी यह प्रस्ताव बगैर किसी कौमा बिन्दू में बदलाव के साथ स्वीकार हो? क्योंकि बिहार की सियासी हकीकत यही है कि जहां नीतीश है, सत्ता भी वहीं है, वह भाजपा हो या राजद, दोनों को ही यदि सत्ता की चासनी का आनन्द लेना है, उसे नीतीश के तानों को बर्दास्त करना होगा.
रोहणी की एक नादानी से बदला बिहार का सियासी रंग
जिस परिवारवाद पर हमले से रोहणी ने सियासी नादानी का परिजय देते हुए अपना जहर बूझा तीर छोड़ा, वह तो कहीं से भी जायज नहीं ठहराया जा सकता, खासकर तब जब आप खुद ही सत्ताधारी गठबंधन का सबसे मजबूत खिलाड़ी है, हालांकि लालू यादव ने एक बार फिर से इस ट्वीट को डिलीट करवा कर अपने छोटे भाई के मन की खटाश को दूर करने की कोशिश जरुर की है, लेकिन अपनी उलटबासिंयों के लिए मशहूर नीतीश को इससे बेहतर और क्या मिलता? अब तक जो चर्चा सियासी गलियारों में जारी थी, सीएम नीतीश को उसे सच साबित करने का इससे बड़ा बहाना मिलना मुश्किल था. देखना होगा कि इस 48 घंटों में घटना क्रम कौन सा मोड़ लेता है, लेकिन इतना जरुर है कि आज की रात बिहार की सियासत में कयामत की रात है, आज की रात ना तो सीएम नीतीश को नींद आयेगी, और ना ही तेजस्वी अपनी खुबसूरत मुस्कराहट के साथ राजश्री यादव का सामना कर पायेंगे.
2024 के महासंग्राम के पहले बिहार का किला फतह
हालांकि नींद तो अमित शाह से लेकर सुशील मोदी की भी उड़ी होगी, क्योंकि उनके लिए तो यह एक हसीन सपना पूरा होने जैसा है, भला 2024 के पहले ही बिहार जैसे सूबे में सिर्फ मीडिया और अपने कुछ सियासी षडयंत्रकारियों को सहयोग से फतह कर लेना, महाभारत जीतने से कम थोडे ही है. जब नीतीश साथ तो बिहार फतह, भाजपा की सारी चिंताओं का एक रामवाण, पलटू राम की एक और पलटी, फिलहाल आप इन 48 घंटों तक टीवी स्क्रीन पर अपनी नजर बनाये रखिये, और पल-पल बदलती सुर्खियों का आनन्द लीजिये.
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