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अर्दली नहीं हुक्मरान बनो, आदिवासी महिला को जज बनाने की अनुशंसा के बाद सीएम हेमंत की हुंकार

अर्दली नहीं हुक्मरान बनो,  आदिवासी महिला को जज बनाने की अनुशंसा के बाद सीएम हेमंत की हुंकार

Ranchi- आपकी योजना आपकी सरकार आपकी द्वारा कार्यक्रम में सिंहभूम पहुंचे सीएम हेमंत ने आदिवासी मूलवासी समाज को हुक्मरान बनने का सपना देखने का आह्वान किया है, उन्होंने कहा कि सत्ता सिर्फ राजनीति है, आपको दूसरे क्षेत्रों में सफलता हासिल करनी होगी. वह फिल्म जगत,न्यायपालिका या जीवन के दूसरे क्षेत्र हो आपकी अपनी प्रतिभा को साबित करना होगा. जब तक आदिवासी मूलवासी समाज से हुक्मरान नहीं निकलेगा, आदिवासी मूलवासी समाज का उत्थान नहीं हो सकता. 23 वर्षों के झारखंड के इतिहास में पहली बार हमारी सरकार ने किसी आदिवासी महिला को जज बनाने की अनुंशसा की है.  

डबल इंजन की डबल लूट से झारखंड में बढ़ी गरीबी

उपस्थित जनसमुदाय के सामने सीएम हेमंत ने यह सवाल भी खड़ा किया कि आपके समाज के कितने लोग बड़े वकील है, कितने जज और कितने जीवन के दूसरे महत्वपूर्ण पदों पर आसीन है. आदिवासी समाज को इस पर गहन मंथन करना चाहिए, सिर्फ राजनेता चुनने से इस समाज की गरीबी, फटेहाली और सामाजिक विभेद खत्म नहीं हो सकता, आदिवासी मूलवासी समाज को जितनी आवश्यक्ता राजनेताओं की है, उससे कहीं अधिक जरुरत वकील, जज,चिकित्सक, सीए की है. पूर्ववर्ती सरकारों को आड़े हाथों लेते हुए सीएम हेमंत ने दावा किया कि डबल इंजन की डबल लूट से आज भी झारखंड बाहर नहीं निकला है. राज्य की सारी जमा पूंजी को चूस लिया गया है, हालत यह थी कि सरकारी कर्मचारियों को जनता से काम से दूर कर राजनेताओं की सेवा में लगा दिया गया था. लेकिन जैसे ही हमारी सरकार आयी, हमने इन चिजों पर रोक लगाया, यही उनकी पीड़ा है, हम 1932 के खतियान के आधार अपने युवाओं को सरकारी नौकरियां देने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन भाजपा इस मामले को कोर्ट कचहरी में फंसा रही है, किसी ना किसी बहाने से इस कानून की राह में रोड़ा अटका रही है, कभी राजभवन भवन जाकर कानाफूसी करते हैं, तो कभी अपने लोगों को कोर्ट में खड़ा करते हैं, आदिवासी मूलवासी समाज को इस बार पर गंभीरता से विचार करना होगा कि क्या थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियों का दरवाजा भी बाहरी लोगों के लिए खोल दिया जाय, जिसकी पैरोकारी भाजपा करती नजर आ रही है. सीएम हेमंत ने कहा कि यही कारण है कि आदिवासी मूलवासी समाज को अच्छे वकील और जजों की जरुरत है. जिससे की वह अपनी लड़ाई को मजबूती के साथ लड़ सके. क्योंकि राजनेता तो आपके हिस्से की लड़ाई लड़ते ही हैं, बावजूद इसके आपकी लड़ाई कमजोर पड़ जाती है. आदिवासी समाज को अपने सोच में बदलाव लाना होगा.

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Published at:17 Dec 2023 11:51 AM (IST)
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