TNPDESK-13 दिसम्बर को संसद में घूसपैठ को लेकर हम संस्थापक और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के एक बयान के बाद बिहार में सियासी पारा आसमान चढ़ता दिखलायी पड़ने लगा है, दरअसल विपक्ष की ओर से संसद की सुरक्षा का गंभीर चूक बताया जा रहा है. वहीं विपक्ष के इस दलील को खारीज करते हुए सीएम जीतन राम मांझी का दावा है कि इस घूसपैठ के पीछे हमास के आंतकवादी है, इजरायल युद्ध के बाद अब हमास के आंतकी भारत को निशाना बना रहे हैं, इसे किसी भी हालत में संसद की सुरक्षा में चूक के रुप में नहीं देखा जाना चाहिए, और ना ही इसे बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं और सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ लोगों का आक्रोश समझा जाना चाहिए.
संसद में घूसपैठ में सभी आरोपी हिन्दू तो हमास के हाथ कैसे?
अब जीतन राम मांझी के इसी बयान को लेकर तरह तरह के सवाल पूछे जा रहे हैं, सवाल खड़ा किया जा रहा है कि संसद में घूसपैठ करने वाले सभी लड़के हिन्दू थें, एक तो बिहार का ही रहने वाला है, तब क्या माना जाय कि हमास जैसे आंतकवादी संगठन में हिन्दू युवाओं की भर्ती हो रही है. और क्या मोदी सरकार इस आंतकी प्लान को समय रहते डिकोड करने में असफल हो गई, सवाल यह भी खड़ा किया जा रहा है कि जब जब भाजपा की सरकार होती है, तब ही इस प्रकार के हमले देश को क्यों झेलने पड़ते हैं? पहली बार अटल बिहारी की सरकार में ही संसद पर हमला हुआ था, उनकी ही सरकार में कारगील पर भी हमला हुआ, मोदी सरकार में फुलवामा अटैक हुआ, क्या यह सब कुछ महज संयोग था, या इसके पीछे भी कोई प्रयोग था.
आज भी मोदी सरकार हमास को आंतकवादी संगठन नहीं मानती
यहां ध्यान रहे कि अब तक खुद भारत सरकार भी हमास को आंतकवादी संगठन नहीं मानती. इस हादसे के बाद भी जब लोकसभा में यह सवाल पूछा गया कि क्या भारत सरकार हमास को एक आंतकवादी संगठन घोषित करने का इरादा रखता है, तो विदेश मंत्रालय में राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने इसका खंडन करते हुए कहा कि हमें फ़िलिस्तीनी संगठन को आतंकवादी मानने की भूल नहीं करनी चाहिए. हालांकि इसी मामले से जुड़े एक प्रश्न के जवाब में विदेश मंत्रालय का रुख कुछ दूसरा ही था, जब मीनाक्षी लेखी का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया गया कि आपके विभाग के द्वारा ही इस मामले में अलग जवाब दिया गया है, तो सोशल मीडिया पर अपनी सफाई देते हुए मीनाक्षी लेखी ने दावा किया कि उनके सामने इस प्रकार को कोई जवाब नहीं दिया गया है, और ना ही मेरे सामने इस तरह का कोई सवाल आया था. मीनाक्षी लेखी के इस सोशल मीडिया पोस्ट के बाद विदेश मंत्रालय को एक आधिकारिक स्पष्टीकरण जारी कर यह बताना पड़ा कि एक तकनीकी त्रुटि के कारण यह उत्तर उनके मंत्री सहयोगी वी. मुरलीधरन के बजाय उनके नाम पर जारी कर दिया गया था.
फिलिस्तीन मुद्दे पर भाजपा और मोदी सरकार का रवैया अलग अलग
मीनाक्षी लेखी और वी. मुरलीधरन के इस परस्पर विरोधी बयान के बाद साफ है कि इस मुद्दे पर सरकार के अंदर स्पष्टता का अभाव है, सरकार आज भी पूर्ववर्ती सरकारों के नक्शे कदम पर चल अरब देशों के साथ अपना सौहादर्य पूर्ण संबंध चाहती है, लेकिन सरकार के इस रवैये से बिल्कूल अलग भाजपा अलग राह चलती हुई दिखलायी पड़ती है, फिलिस्तीन और इजरायल के मुद्दे पर मोदी सरकार की यही दुविधा है. लेकिन इन सबसे अलग भाजपा का एक सहयोगी घटक के प्रमुख जीतन राम मांझी को इस हमले के पीछे हमास का हाथ नजर आता है. जबकि सच्चाई यह है कि अब तक इस मामले में सिर्फ हिन्दू युवकों की गिरफ्तारी हुई है, और बिहार के ही रहने वाले ललित झा को इसका मास्टर मांइड बताया जाता है.
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