रांची(RANCHI): जैसे-जैसे 2024 की लड़ाई नजदीक आती दिख रही है, एक बार फिर से बांग्लादेशी घुसपैठियों का मामला गर्म होता नजर आने लगा है. हेमंत सरकार के सरना धर्म कोड, पिछड़ों का आरक्षण विस्तार, खतियान आधारित स्थनीयता की नीति और नियोजन नीति की काट में भाजपा बांग्लादेशी घुसपैठियों को एक बार फिर से चुनावी मुद्दा बनाने की ओर बढ़ती नजर आने लगी है.
भाजपा प्रवक्ता का अब तक का सबसे बड़ा हमला
बांग्लादेशी मुसलानों को लेकर भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने अब तक का सबसे तीखा हमला बोलते हुए दावा किया है कि हेमंत सरकार में बांग्लादेशी घुसपैठियों की हैसियत सरकारी दामाद की हो गयी है, जबकि झारखंड के मूलवासी मुसलमानों के साथ यह सरकार सौतेला बेटा के जैसा व्यवहार कर रही है. बांग्लादेशी घुसपैठ की ओर जब भी ध्यान दिलाने की कोशिश की जाती है, तो हेमंत सरकार का सीधा जवाब होता है कि यह देखना केन्द्र सरकार की जिम्मेवारी है. सीमाओं की सुरक्षा करना केन्द्र सरकार की जिम्मेवारी है. यदि बांग्लादेशी घुसपैठ हो रहा है, तो इसका मतलब है कि गृह विभाग अपनी जिम्मेवारियों का निर्वहन नहीं कर रहा है. जबकि राज्य सरकार के इस मामले में तत्काल पहले करते हुए इन्हे चिह्नित करते हुए कार्रवाई करनी चाहिए थी, क्या केन्द्र सरकार ने हेंमत सरकार को कभी भी बांग्लादेशियों के खिलाफ कार्रवाई करने में कोई रोक लगायी है, लेकिन लगता है कि राज्य सरकार में इन बांग्लादेशी मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत ही नहीं है.
प्रतुल शाहदेव का दावा फर्जी दस्तावेज के आधार पर बनाया जा रहा है आधार कार्ड
प्रतुल शाहदेव ने यह सवाल भी खड़ा किया कि इन बांग्लादेशी घुसपैठियों को आधार कौन पंजीकृत करवा रहा है, और यदि ये आधार कार्ड गलत तरीके से बनाये जा रहे हैं तो राज्य सरकार उन्हे रद्द क्यों नहीं करवा रही है. हालत यह हो गयी है कि अब सरकारी अधिकारी भी बांग्लादेशी घुसपैठ के मामले को छुपाने का काम करने लगे हैं, लोहरदगा में पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट का दावा है वहां बंगलादेशी घुसपैठियों की संख्या शुन्य है, लेकिन स्पेशल ब्रांच की रिपोर्ट में दावा किया जाता है कि यहां बंगलादेशी घुसपैठियों की मौजूदगी है. और जो वहां दंगा हुआ था उसमें भी उनकी भूमिका रही थी. इसके साथ ही दुमका, गोड्डा और जामताड़ा में भी अधिकारियों के द्वारा गलत रिपोर्ट पेश किया जा रहा है, सवाल यह है कि यदि बांग्लादेशी घुसपैठ नहीं हुआ है तो जून 2023 में स्पेशल ब्रांच की ओर से बांग्लादेशियों के घुसपैठ को लेक एलर्ट क्यों जारी किया गया था. प्रतुल शाहदेव ने दावा किया कि बांग्लादेशी घुसपैठियों को झारखंड पहुंचते ही सीमावर्ती मदरसों में शरण लेकर उनका फर्जी दस्तावेज बनाया जाता है. यदि वास्तव में सीएम हेमंत को मुसलमानों की इतनी ही चिंता है तो उन्हे सबसे पहले बांग्लादेशी मुसलमानों को बाहर का रास्ता दिखलाना चाहिए. जब तक इन बांग्लादेशी मुसलमानों की झारखंड में मौजदूगी रहती. यहां के मूलवासी अल्पसंख्यकों की हकमारी होती रहेगी.
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