Ranchi-शीतकालीन सत्र के आज तीसरा दिन विपक्ष के जोरदार हंगामें के बीच विधान सभा अध्यक्ष की एक टिप्पणी बेहद मर्माहत करने वाली थी, और इस टिप्पणी के साथ ही विधान सभा अध्यक्ष की पीड़ा और बेबसी भी का इजहार भी हो गया. दरअसल विपक्ष की ओर से नियोजन नीति, धीरज साहू प्रकरण, रोजगार का सवाल, पारा टीचरों की पीड़ा और सेवानिवृत सैनिकों की विभिन्न समस्याओं को लेकर जबरदस्त हंगामा किया जा रहा था, विपक्षी सदस्य बार बार बेल की ओर बढ़ रहे थें, जबकि दूसरी विधान सभा अध्यक्ष की ओर से लगातार हंगामरत सदस्यों को शांत करवाने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन तमाम कोशिश के बावजूद विपक्षी विधायक अपनी अपनी सीटों पर बैठने को तैयार नहीं थें, इसी हंगामें के बीच विधान सभा अध्यक्ष ने अपनी बेबसी और पीड़ा का इजहार करते हुए कहा कि अब माननीय सदस्यों को प्रश्न काल को हंगामा काल घोषित कर देना चाहिए, ताकि वह अपनी मनमर्जी कर सकें, और इसके साथ विधान सभा अध्यक्ष ने भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही, वीरंची नारायण और जेपी पटेल को सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया.
सत्ता पक्ष में दिख रहा है धैर्य का अभाव
दूसरी तरफ नेता प्रतिपक्ष ने सत्ता पक्ष पर अपनी फरियाद नहीं सुनने का आरोप लगाते हुए कहा कि सत्ता पक्ष में इतना धैर्य तो होना चाहिए कि वह कम से कम विपक्ष की फरियाद को सुन ले, लेकिन यहां तो हमारी बात ही सुनी नहीं जा रही है, और सत्ता पक्ष की असंवेदनशीलता के कारण विपक्ष को हंगामा करने पर मजबूर होना पड़ रहा है. इस हंगामें के बीच कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने संसद से 92 सांसदों का निष्कासन का मुद्दा उठाते हुए निंदा प्रस्ताव पास करने की मांग कर डाली, जिसके जवाब देते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जब हमारी ओर से धीरज साहू का मामला उठाया गया था, तब सत्ता पक्ष की ओर से कहा गया थी कि यह राज सभा का मामला है, और इसका इस सदन से कोई वास्ता नहीं है, लेकिन अब लोकसभा से निष्कासन के सवाल पर विधान सभा से निंदा का प्रस्ताव पास कैसे किया जा सकता है.