Ranchi- सियासत की दुनिया में कुछ भी स्थायी और विस्मयकारी नहीं होता. यहां आस्था का खेल तब तक ही चलता है, जब तक कि उस आस्था के सुराग से सियासत का एक उज्जवल भविष्य नजर आता है. जैसे ही सियासी भविष्य में उहापोह की स्थिति सामने आती है या संकट गहराने लगता है, चादर की तरह विचारधारा बदलते देर नहीं लगती. इधर समर्थक विचारधारा का झंडा उठा एक दूसरे को काटते नजर आते हैं, उधर सियासत दान आस्था के इस चादर को फेंक नयी सियासी सफर की शुरुआत कर जाते हैं. कुछ- कुछ यही कहानी अब हजारीबाग संसदीय सीट पर भी लिखी जाती दिख रही है.अभी बेटे जयंत को बेटिकट कर हजारीबाग की सियासत से पैदल ही किया गया था कि उधर इंडिया गठबंधन से हजारीबाग संसदीय सीट से टिकट का जुगत बिठा रहे अम्बा प्रसाद ने जयंत सिन्हा के पिता और पूर्व भाजपाई नेता यशवंत सिन्हा के साथ अपनी एक मुलाकात का फोटो शेयर कर भाजपा के रणनीतिकारों के सामने सियासी पहाड़ खड़ा कर दिया.
सोशल मीडिया पर तस्वीर आते अटकबाजियों का दौर शुरु
सोशल मीडिया पर इस तस्वीर को आते ही अटकलबाजियों का दौर शुरु हो गया. तस्वीर के मायने और उसका सियासी अभिप्राय तलाशे जाने लगे. यह सवाल भी पूछा जाने लगा कि क्या यशवंत सिन्हा बेटे जयंत का बदला लेने के लिए किसी सियासी पटकथा लिखने की तैयारी में है? और क्या मनीष जायसवाल की राह मुश्किल होने वाली है? क्या यशवंत सिन्हा के इस बगावत के बाद भाजपा के लिए अपने दो दशक पुराने इस किले को सुरक्षित रखने की चुनौती खड़ी होने वाली है?
हजारीबाग संसदीय सीट में कायस्थ मतदाताओं की बड़ी आबादी
यहां ध्यान रहे कि हजारीबाग संसदीय सीट पर कायस्थ मतदाताओं की भी एक अच्छी खासी जमात है. हालांकि यह संख्या बल अपने बूते किसी को चुनाव हराने या जीताने का सामर्थ्य तो नहीं रखती, लेकिन यदि यही मतदाता किसी के साथ खड़ा हो जाय तो एक लहर पैदा करने की सामर्थ्य रखता है, कुछ यही अम्बा प्रसाद के साथ होता दिख रहा है. एक तो अम्बा हजारीबाग संसदीय सीट के तहत आने वाले बड़कागांव की विधायक है, अम्बा के उपर गैर झारखंडी होने का तमगा नहीं है, दूसरी बात अम्बा का तेली जाति से भी आना है, जिसकी एक बड़ी आबादी हजारीबाग लोक सभा में निवास करती है. इस जाति का आम रुक्षान भाजपा की ओर रहा है, लेकिन अम्बा की इंट्री के बाद क्या इस जाति के मतदाताओं के बीच चयन का संकट खड़ा नहीं होगा, इसके साथ ही मनीष जायसवाल के विपरीत अम्बा महिला मतदाताओं के बीच भी अपना प्रभाव छोड़ सकती है, और सबसे बडी बात यदि यशवंत सिन्हा खुलेआम अम्बा के पक्ष में मैदान में उतरने का एलान करते हैं, तो उसका सियासी परिणाम क्या होगा?
लम्बे सियासी कैरियर में खड़ा किया है एक समर्थक समूह
हजारीबाग की सियासत पर नजर रखने वाले सियासी जानकारों का दावा है कि अपने दो दशकों के अपने सियासी जीवन में यशवंत सिन्हा ने हजारीबाग में अपना एक समर्थक वर्ग तैयार किया है, चाहने वालों की एक लम्बी जमात है. समर्थकों की यह टोली यशवंत सिन्हा के एक इशारे भर से अम्बा के साथ खड़ा हो सकता है. हालांकि खबर यह भी है कि यशवंत सिन्हा के समर्थक उन पर एक बार फिर से हजारीबाग के जंगे मैदान में उतरने का दबाव बना रहे हैं. लेकिन य़शवंत सिन्हा स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपनी असमर्थता जता रहे हैं, तो क्या इस हालत में यशवंत सिन्हा अम्बा को समर्थन का एलान कर सकते हैं. यह देखना दिलचस्प होगा. इस बीच खबर यह भी है कि मनीष जायसवाल तो इस बार गुजरात कनेक्शन के कारण टिकट मिल गया, उनका एक भाई गुजरात में बड़ा व्यावसायी है. अमित शाह से नजदीकियां भी है और मनीष जायसवाल की सिफारिश वहीं से हुई थी, और यह पैरवी काम आ गयी.
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