टीएनपी डेस्क: संसद में इन दिनों एक नाम की काफी चर्चा हुई वह है ‘जॉर्ज सोरोस’. भाजपा और कांग्रेस के बीच की लड़ाई में गौतम अडाणी के बाद अब एक और नया नाम शामिल हो गया है. अब तक कांग्रेस की तरफ से गौतम अडाणी को लेकर भाजपा पर निशाना साधा जा रहा था तो अब वहीं भाजपा जॉर्ज सोरोस का नाम लेकर कांग्रेस को करारा जवाब दे रही है. जॉर्ज सोरोस के नाम पर भाजपा VS कांग्रेस विवाद देखने को मिल रहा है. शीतकालीन सत्र के दौरान भी इस नाम पर खूब हंगामा देने को मिला. भाजपा का कहना है कि जॉर्ज सोरोस के सोनिया गांधी व राहुल गांधी से संबंध बताए. लेकिन कांग्रेस इस बात का विरोध कर रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि अखी कौन जॉर्ज सोरोस जिसके नाम पर सियासत गरमाई हुई है.
कौन है जॉर्ज सोरोस
साल 1930 में हंगरी के बुडापेस्ट में जन्में जॉर्ज सोरोस एक अमेरिकी व्यवसायी और निवेशक हैं. इसके साथ-साथ दुनिया की सबसे अमीर शख्सियत में से भी एक है. यहूदी परिवार में जन्में जॉर्ज सोरोस परिवार के साथ 17 साल की उम्र में लंदन आ गए. लंदन में सोरोस ने वेटर और अन्य काम कर लंदन स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स से इकनॉमिक्स विषय में अपनी पढ़ाई पूरी की. पढ़ाई पूरी करते ही 26 की उम्र में सोरोस अमेरिका आ गए. जहां उन्होंने कई फाइनेंस और इन्वेस्टमेंट फर्म्स में काम किया. इसके बाद पैसे कमाने के लिए सोरोस ने शेयर मार्केट में निवेश करना शुरू कर दिया. जिसके बाद देखते ही देखते सोरोस करोड़पति बन गए. साल 1969 में सोरोस ने पहला हेज फंड ‘डबल ईगल’इसके बाद साल 1973 में क्वांटम फंड की शुरुआत की. सोरोस फंड मैनेजमेंट के नाम से जॉर्ज सोरोस की एक कंपनी भी है. करोड़पति होने के साथ-साथ सोरोस ने कई सामाजिक कार्य भी किए.
जॉर्ज सोरोस पर लगाए गए ये आरोप
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के सुपरस्टार बन सोरोस ने करोड़ों रुपए कमाए. लेकिन जॉर्ज सोरोस पर कई तरह के गंभीर आरोप भी लगे. बैंक ऑफ इंग्लैंड को बर्बाद करने का सबसे बड़ा हाथ सोरोस का ही है. कहा जाता है कि 1990 के दशक में अपने क्वांटम फंड के जरिए सोरोस ने ब्रिटिश पाउंड उधार लिया और उसे बेच दिया. ब्रिटिश करेंसी पाउंड को शॉर्ट कर जॉर्ज सोरोस ने अरबों रुपये कमाए थे. सिर्फ बैंक ऑफ इंग्लैंड ही नहीं बल्कि थाईलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, जापान और रूस की अर्थव्यवस्था को गिरने के पीछे भी सोरोस का ही हाथ है. वहीं, भारत की इकॉनोमी को लेकर भी कहा जाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के पीछे भी जॉर्ज सोरोस का ही हाथ है. साथ ही कश्मीर को अलग करने के विचार को भी सोरोस का समर्थन रहा है. इतना ही नहीं, जॉर्ज सोरोस ने प्रधानमंत्री मोदी को तानाशाह नेता भी कहा है. इसके अलावा भाजपा का कहना है कि सोनिया गांधी एक ऐसे संगठन से जुड़ी है जिसका संबंध जॉर्ज सोरोस से है.
क्यों मचा है हंगामा
साल 2020 में किसान आंदोलन को जॉर्ज सोरोस ने लोकतांत्रिक संघर्ष कहा था. सोरोस ने पीएम मोदी को लोकतंत्र के लिए खतरा भी बताया था. साथ ही कहा था कि मोदी देश के लिए खतरा पैदा करने वाले राष्ट्रवादी नेता हैं. इसके साथ ही सोरोस ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने और नागरिकता संशोधन कानून का विरोध किया था. वहीं, भाजपा ने जॉर्ज सोरोस और गांधी परिवार के बीच संबंध बताया है. भाजपा का आरोप है कि सोनिया गांधी जिस संगठन फोरम ऑफ डेमोक्रेटिक लीडर्स इन एशिया पेसेफिक से को-प्रेसीडेंट के रूप में जुड़ी हैं, जिसे सोरोस के फॉउण्डेशन से फंड मिलता है.
साथ ही भाजपा का यह भी आरोप है कि सोनिया गांधी की राजीव गांधी फॉउंडेशन को भी जॉर्ज सोरोस के फॉउंडेशन का सहयोग मिल रहा है. इतना ही नहीं, भाजपा पर निशाना साधने के लिए राहुल गांधी जिस OCCRP की रिपोर्ट का हवाला देते हैं उसे भी जॉर्ज सोरोस की फॉउंडेशन ही फंड भेजती है. ऐसे में भाजपा का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय ताकतों के साथ मिलीभगत कर कांग्रेस संसद चलने नहीं दे रही है. हालांकि, कांग्रेस ने भाजपा के इन आरोपों को बेबुनियाद कह दिया है. कांग्रेस का कहना है कि अडाणी के मामलों से बचने के लिए भाजपा जॉर्ज सोरोस का मुद्दा उठा रही है.
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