रांची(RANCHI): झारखंड की राजनीति में बड़े बड़े नेताओं का पसीना छुड़ाने वाली एक महिला नेत्री की चर्चा फिर से एक बार तेज है.इस बार चर्चा उनके किसी भाषण या बयान को लेकर नहीं बल्कि मंत्रिमंडल से दूर रखने पर है. चुनाव के दौरान तो कई जगह कल्पना को मुख्यमंत्री बनाने की मांग उठने लगी थी.लेकिन आखिर में कल्पना सोरेन विधायक तक सीमित रह गई. अब इसके पीछे की वजह क्या है आखिर कल्पना को हेमंत ने मंत्रिमंडल में जगह क्यों नहीं दी. इस सवाल का जवाब और इसके अंदर की कहानी समझाते है.
सबसे पहले कल्पना सोरेन की राजनीति में इंट्री कैसे हुई थोड़ा इसपर नजर डाल लेते है. कल्पना मुर्मू सोरेन एक घरेलू महिला थी. बाद में एक ऐसी राजनीतिक मोड आया जब हेमंत सोरेन की गिरफ़्तारी हो गई. इसके बाद कल्पना ने झारखंड मुक्ति मोर्चा का झंडा अपने हाथ में लिया और मैदान में उतर गई. कल्पना के भाषण के बाद लोगों को लगा की अब कोई ऐसी नेता आई जो पूरा माहौल ही बदल गया.कल्पना में ही झारखंड की हकीकत दिखने लगी. ऐसे में पहली बार gandey से उपचुनाव लड़ा और जीत कर विधानसभा पहुंची.
चुनाव के बाद चर्चा शुरू हुई की अब कल्पना सोरेन ही झारखंड की बाग डोर अपने हाथ में लेंगी. लेकिन जब हेमंत सोरेन जेल से बाहर आए तो वापस से राज्य के सीएम बने. इसके बाद फिर विधानसभा चुनाव हुआ तो हेमंत और कल्पना दोनों ने खूब प्रचार किया. चुनाव में भले ही चेहरा हेमंत सोरेन थे लेकिन चर्चा कल्पना सोरेन की हो रही थी. सोशल मीडिया पर भी हेमंत से ज्यादा कल्पना ट्रेंड कर रही थी.
इसका फायदा भी हुआ इंडी गठबंधन को प्रचंड जीत मिली और पूरे झारखंड में एक महिला नेत्री के रूप में अपनी छाप छोड़ दिया. इसके बाद हेमंत सोरेन फिर से राज्य के मुखिया बने इसके बाद चर्चा शुरू हुई की कल्पना सोरेन को हेमंत मंत्रिमंडल में शामिल करेंगे. लेकिन यह कयास और चर्चा तक ही सीमित रह गया हेमंत कैबिनेट में जगह नहीं मिली.
अब इसके पीछे की वजह क्या है. यह भी समझने की कोशिश करते है.अब कल्पना सोरेन हेमंत सोरेन की पत्नी है. साथ ही विधायक भी है. ऐसे में हेमंत सोरेन ने मंत्रिमंडल में सिर्फ कल्पना ही नहीं बल्कि अपने छोटे भाई बसंत सोरेन को भी मंत्रिमंडल से दूर रखा है.हेमंत सोरेन नहीं चाहते है कि उनके उपर परिवारवाद का आरोप लगे.अगर कल्पना शामिल होती तो विपक्ष इसे मुद्दा बनाता और आरोप लगा सकता था की पति पत्नी की सरकार चल रही है.
अब ऐसे में हेमंत सोरेन एक मंझे हुए नेता है ऐसे में ऐसा कोई भी मौका नहीं देना चाहते है. जिससे विपक्ष हमलावर हो. अब कल्पना सोरेन विधायक के साथ साथ झामुमो की कद्दावर नेत्री है. ऐसे में जनता के साथ जुड़ कर उनके काम को सरकार से पूरा कराने का काम करेंगी. साथ ही संगठन मजबूती और संगठन को धार देने का काम कर रही है.
अगर देखे तो हेमंत सोरेन चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने है. और यह कोई पहला मौका नहीं बल्कि हर बार हेमंत ने अपने परिवार को मंत्रिमंडल से दूर रखा है.अब फिर जब मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया तो इस बार भी तस्वीर साफ हुई. सभी क्षेत्र और जाती को ध्यान में रख कर मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया. साथ महिला को भी मंत्रिमंडल में जगह दी है.
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