कौन है अति पिछड़ा विरोधी? बिहार में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू
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पटना(PATNA): पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद बिहार में नगर निकाय का चुनाव बीच में ही स्थगित कर दिया गया है. इसके बाद से सत्तापक्ष के जेडीयू और बीजेपी के खिलाफ जुबानी जंग तेज है और दोनो एक दूसरे पर अति पिछड़ा विरोधी होने का आरोप लगा रहें हैं.
बीजेपी की तरफ से विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने प्रेस वार्ता करके बिहार के सीएम नीतीश कुमार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है. सम्राट चौधरी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ काम करने वाले नीतीश कुमार पर कोर्ट की अवमानना का मामला दर्ज होना चाहिए. इससे पहले सुशील मोदी, संजय जायसवाल, संजीव चौरसिया समेत अन्य नेता जेडीयू पर सवाल उठा चुकें हैं.
ललन सिंह ने बीजेपी को बताया अति पिछड़ा विरोधी
वहीं बीजेपी के हमले के बाद जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और पार्टी के संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने प्रेस वार्ता करके बीजेपी को अति पिछड़ा विरोधी बताया. ललन सिंह ने कहा इन नेताओं ने कहा कि मुख़्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2006 में बने कानून के आधार पर आरक्षण देने की व्यस्था की थी. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने उसे सही ठहराया था. अभी उसी एक्ट के जरिए चुनाव हो रहा था. बीजेपी आरक्षण विरोधी पार्टी है. इसलिए उसने अति पिछड़ा के खिलाफ साजिश करते हुए इसे महाराष्ट्र सरकार के लिए दिए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जोड़कर भरमाने की कोशिश की है. आयोग बनाने की बात आरक्षण विरोधी लोग कर रहें हैं. इसी आरक्षण को खत्म करने के उद्देश्य से बीजेपी जातीय जनगणना नहीं कराना चाहती है. इसलिए बिहार सरकार ने अपने दम पर जातीय जनगणना कराने का निर्णय लिया है.
“अति पिछड़ों के आरक्षण बिना निकाय चुनाव नहीं होगा”
बीजेपी द्वारा किए जा रहे लगातार हमले पर उपेंद्र कुशवाहा ने भी पलटवार किया. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि अति पिछड़ों के आरक्षण बिना निकाय चुनाव नहीं होगा. बीजेपी जनता को उलझाने की कोशिश कर रही है. इस पार्टी का मुख्य मकसद केंद्र से आरक्षण खत्म करना है. ओबीसी का 27% आरक्षण भी समाप्त करना चाहते है. बिहार में निकाय चुनाव को लेकर जो स्थिति बनी है. उसके लिए बीजेपी ही जिम्मेदार है.
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