रांची(RANCHI)- झारखंड एटीएस के हाथों मुम्बई से गिरफ्तार अमन श्रीवास्तव को बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारागार भेज दिया गया है. दावा किया जाता है कि अमन श्रीवास्तव के एक कॉल पर झारखंड के कोयला कारोबारियों में दहशत कायम हो जाता था, किसी की हिम्मत नहीं पड़ती थी कि उसके खिलाफ कोई पुलिस में शिकायत भी दर्ज कर सके, यही कारण है कि झारखंड के रांची, रामगढ़, लोहरदगा, हजारीबाग और लातेहार जिलों से हर महीने करोड़ों रुपये की उगाही के बावजूद भी उसके खिलाफ पुलिस की फाइलों में मात्र 23 मुकदमें दर्ज है.
कारोबारियों और कंपनियों से उगाही का आरोप
करोड़ों रुपये की हर महीने की यह उगाही वह कोयला, पत्थर, बॉक्साइट माइनिंग, ट्रांसपोटिंर्ग, टेंडर, कन्स्ट्रक्शन तक से जुड़े कारोबारियों और कंपनियों से करता था, ये कारोबारी किसी विवाद में फंसने की अपेक्षा उसकी द्वारा मांगी गयी उगाही को देने में भी अपनी भलाई समझते हैं.
पिता की मौत के पहले इतनी घातक नहीं थी इसकी गतिविधियां
दरअसल दावा किया जाता है कि अपने गैंगस्टर पिता के रहते हुए अमन श्रीवास्तव एक बेहद सामान्य सा युवक था, हालांकि पिता को जेल में रहने के कारण वह अपने पिता के गुर्गों के सम्पर्क में रहता, लेकिन उसकी गतिविधियां इतनी घातक नहीं थी. लेकिन जब 2 जून 2016 को हजारीबाग जेल परिसर में उसके पिता और झारखंड का कुख्यात गैंगस्टर को गोलियों से भून दिया गया.
पिता की हत्या के बाद बेहद आक्रमक हो गया अमन
तब इस सामान्य सा दिखने वाले युवक ने पिता के गिरोह संचालन अपने हाथों में ले लिया और उसके बाद इसने पीछे मुड़कर नहीं देखा, हालांकि उसके दिमाग में यह बात चलती रहती थी, जिस गिरोह के द्वारा उसके पिता की हत्या जेल परिसर में की गयी है, वह गिरोह उसे जेल से बाहर सलटाने में देरी क्यों करेगा? शायद यही कारण था कि उसके द्वारा अपने गिरोह का संचालन झारखंड से दूर रहकर करने का फैसला किया गया, दूसरी बात यह थी कि अपने पिता से अलग हट वह इस बेसुमार कमाई को दूसरे धंघों में निवेश करने में विश्वास भी करता था. यही कारण है कि उसके द्वारा बेंगलुरु से मुम्बई तक एक बड़ा नेटवर्क खड़ा किया गया, दावा किया जाता है कि इसी नेटवर्क के सहारे इस काली कमाई सफेद धंधे में निवेश करता था.
कौन है अमन श्रीवास्तव का पिता
ध्यान रहे कि अमन श्रीवास्तव झारखंड बिहार के कुख्यात गैंगस्टर सुशील श्रीवास्तव का बेटा है. दावा किया जाता है कि अमन श्रीवास्तव की तरह ही अपने शुरुआती दिनों में सुशील श्रीवास्तव भी बेहद सामान्य सा युवक था. हजारीबाग जिले के कुपा गांव में वर्ष 1963 में एक किसान परिवार में सुशील श्रीवास्तव का जन्म हुआ था. बाद में उसने अपने स्नातक की पढ़ाई के लिए रांची को अपना ठिकाना बनाया, और यही उसकी मुलाकात मीना नामक एक युवती से हुई. दोनों के बीच प्यार का परवान चढ़ा और सुशील श्रीवास्तव ने परिवार की इच्छा के विपरीत मीना से शादी कर लिया.
कहानी उसके पिता कुख्यात गैंगस्टर सुशील श्रीवास्तव की
इस बीच परिवार से उसकी दूरी बढ़ती गयी, और धीरे-धीरे वह पीडब्लयू विभाग में ठेकेदारी के हाथ पैर मारने लगा. लेकिन कोई भी उसे भाव देने को तैयार नहीं था, दावा किया जाता है कि इस मुद्दे पर उसका पीडब्लयू विभाग का इंजीनियर राधे श्याम रजक से बकझक हो गयी, राधेश्याम रजक ने सुशील श्रीवास्तव को काफी जलील किया. इसी बीच उसकी मुलाकात कोयला तस्कर भोला पांडेय से हुई. और उसके बाद उसने अपनी पहली हत्या इसी राधेश्याम रजक का किया, जिसके बाद हजारीबाग में उसकी तूती बोलने लगी, भोला पांडेय के सहयोग से वह बड़ा कोयला तस्कर बन गया, उसकी गाड़ी बढ़ चली.
कुख्यात अपराधी अनिल शर्मा से दोस्ती के बाद भोला पांडेय से अदावत
इसी बीच उसकी दोस्ती अनिल शर्मा से हो गयी, और भोला पांडेय से उसकीअदावत हो गयी, बात इतनी बढ़ी की वर्ष 2010 में जेल में रहते हुए इसने भोला पांडेय की हत्या करवा दिया. और उसके बाद वर्ष 2016 में इसी हजारीबाग जेल परिसर में सुशील श्रीवास्तव को गोलियों से भून दिया गया. दावा किया जाता है कि सुशील श्रीवास्तव की हत्या भोला पांडेय गिरोह ने ही की थी.
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