(Tnp desk):-अभी सनसनीखेज और सबसे ज्यादा चर्चा अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम की हो रही है. उसे जहर देकर मार देने की खबरों से सोशल मीडिया में तरह-तरह की सुगबुगाहट, बाते और कहानियां गढ़ी जा रही है. चर्चा, बहस और सवालों का दौर अभी जारी है. इस बात की हवा तो तब और ज्यादा फैल गई, जब पाकिस्तान में इंटरनेट डाउन कर दिया गया. दाउद के समधी और पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर जावेद मियांदाद और उसके परिजनों को नजरबंद करने की खबरें उड़ रही है.
जहर दिए जाने की चर्चा
खबरें ऐसी फिंजा में तैर रही है कि दाउद को पाकिस्तान के एक अस्पताल में इलाज के दौरान जहर दे दिया गया. जहां उसकी मौत हो गई. सवाल बड़ा ये उभर कर सामने आ रहा है कि, आखिर ये किसने, कब औऱ क्यों किया ?. अभी इसकी गुत्थी उलझें धागों की मानिंद उलझी हुई है. जिसका सुलझना बाकी है. दूसरी सच्चाई तो ये भी है कि अभी तक दाउद के मारे जाने की पुष्टि किसी ने नहीं की है. पाकिस्तान को तो ऐसा कभी कर भी नहीं कर सकता. क्योंकि, मुंबई हमलों का गुनहगार दाउद के पनाह देने की बात को हमेशा से नकारता रहा है. भारत से भाग कर पाकिस्तान में पनाह लेने वाले दाउद की तलाश में पिछले तीन दशक से की जा रही है. लेकिन, उसे पक़ड़ने में अभी तक नाकामयाबी ही हाथ लगी. अब इस खबर में कितनी सच्चाई है और वाकई दाउद की मौत हुई है, तो आखिर इस मृत्यु का कारण क्या है. इसका राज जाने की हर किसी को गहरी दिलचस्पी बनीं रहेगी.
कभी पकड़ में नहीं आया दाउद
मुंबई सीरियल बलास्ट का गुनहगार दाउद को कानून के कटघरे में लाने की कोशिश भारतीय एजेंसियां तीस सालों से अधिक समय से कर रही है. लेकिन, अंडरवर्ल्ड के इस डॉन को पकड़ना कभी मुमकिन ही नहीं हो सका. अंदर ही अंदर इसका गैंग ऑपरेट होता था. हत्या, लूट और रंगदारी का नेटवर्क इसका फैला हुआ था. एक वक्त था कि भारत में दाउद के नाम से ही लोग कांप जाते थे. 90 के दशक में अंडरवर्ल्ड की दुनिया में इसका बड़ा धाक और सिक्का चलता था.
दाउद कैसे चर्चा में आया
दाउद इब्राहिम चर्चा में औऱ हर लोगों की जुबान पर तब आया, जब तीस साल पहले मुंबई सीरियल बलास्ट का इल्जाम पर उस पर लगा. 1993 में मुंबई को दहलाने में दाउद का हाथ बताया गया, 12 जगहों पर हुए धमाके में निर्दोष 257 लोगों की मौत हो गई थी औऱ 700 लोग जख्मी हो गये थे. इस बालास्ट से देश ही नहीं दुनिया सिहर गई थी. बेगुनाहों को बेदर्दी से मौत दे देने के चलते दाउद इब्रहिम के नाम पर नफरत सी हो गई थी. और खौफ भी पसर गया था. आतंक का काला चेहरे के पीछे दाउद इब्राहिम नाम सुर्खियों में आ गया. बताया जाता है कि इसने आतंकी संगठन लश्कर तैयबा की मदद से सीरियल बलास्ट को अंजाम दिया. उस पर तोहमत विस्फोटक और हथियार स्पलाई करने के साथ-साथ घुसपैठियों को ट्रेनिग दिलाने की लगी. उस पर बंबई स्टॉक एक्सचेंज, शिवसेना मुख्यालय औऱ एयर इंडिया बिल्डिंग को निशाना बनाने का आरोप है. बताया जाता है कि हथियार और आरडीक्स की स्पलाई उसी के जरिए हुई, तब ही मुंबई दहली.
दुबई के बाद पाकिस्तान भाग गया दाउद
इस बालास्ट के बाद दाउद इब्राहिम डर से खुद को बचाने के लिए दुबई भाग गया. इसके बाद आतंकियों के पनहागर माने जाने वाले मुल्क पाकिस्तान में पनाह ले ली. भारतीय एजेंसियां लगातार उसकी तलाश में भटकती और जाल बिछाती रही. लेकिन, डॉन कभी पकड़ा नहीं जा सका. रिपोर्टस के मुताबिक पाकिस्तान में दाउद को खुफिया एजेंसी आईएसआई का संरक्षण हासिल था. इस दौरान भारत लगातार पाकिस्तान से दाउद के प्रत्यार्पण की कोशिश करता रहा. लेकिन, पाकिस्तान हमेशा से उसकी मौजूदगी को ही स्वीकार नहीं किया.
गुलशन कुमार हत्याकांड में नाम
मुंबई सीरियल बलॉस्ट के बाद भी पाकिस्तान में महफूज रह रहे दाउद इब्राहिम ने जुर्म की दुनिया से रिश्ता नहीं तोड़ा. लगातार उसके गुर्गे उसके बनाए नेटवर्क पर काम करते रहे. हत्या,जबरन वसूली, अपहरण, तस्करी, रंगदारी और लूट का कारोबार उसके इशारे पर ही होते थे. बॉलिवुड औऱ क्रिकेट में भी उसकी जोरदार धमक थी. समय के साथ उसका धंधा फलता-फूलता रहा. 1997 में संगीत की दुनिया के दिग्गज गुलशन कुमार की हत्या के पीछे दाउद के ही गुर्गों का नाम सामने आया. पैसे देने से इंकार करने पर ही गुलशन कुमार को मंदिर के द्वार पर मौत के घाट उतार दिया गया था. 2011 में पत्रकार ज्योतिर्मय डे की हत्या में कथित तौर पर दाऊद इब्राहिम के गुंडों ने की. इस बहादुर पत्रकार की बदौलत ही दाऊद के काले सम्राज्य का काला चिट्ठा सामने आया था. 2000 में जूता कारोबारी परीक्षित ठक्कर की किडनैपिंग और हत्या में दाउद के गिरोह का ही हाथ माना गया.
दाउद के क्राइम के कुंडली लगातार बढ़ती गई, उसके नेटवर्क का दायरा भी बढ़ता गया. उस पर लगाम तो पूरी तरह से नहीं लगा. लेकिन, एक बात तो ये कही जा सकता है कि उसे कभी पकड़ा नहीं जा सका. मुंबई सीरियल धमाके में बेगुनाहओं कों खून बहाने वाले इस गुनहगार ने पूरे एशो-आराम से अपनी जिंदगी गुजारी. खैर अभी खबर उसके जहर देकर मार देने की सामने आ रही है औऱ हल्ला मच रहा है. आखिर इसमे कितनी सच्चाई है और कितनी नहीं है. ये तो अंदर ही अंदर मालूम पड़ेगा. क्योकि पाकिस्तान कभी भी इसकी पुष्टी नहीं करेगा.
रिपोर्ट-शिवपूजन सिंह
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