पटना(PATNA): रामचरित मानस को लेकर शिक्षा मंत्री चन्द्रेशखर द्वारा दिये गये बयान से बिहार की राजनीति में मचा तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा. एक तरफ प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह जैसे नेता है, जिनके द्वारा प्रोफेशर चन्द्रशेखर का खुला समर्थन किया जा रहा है. साथ ही इसे मंडलवादी राजनीति का विस्तार बताया जा रहा है. उनका कहना है कि किसी भी कीमत पर कमंडलवादी राजनीति को मंडलवादी राजनीति पर बढ़त प्राप्त करने नहीं करने दी जायेगी.
जदयू और राजद के बीच खींच चुकी है तलवारें
लेकिन महागठबंधन का सबसे महत्वपूर्ण घटक जदयू इस प्रकरण से अपने आप को असहज महसूस कर रहा है. यही कारण है कि जदयू एमएलसी नीरज कुमार के द्वारा राजधानी पटना में विभिन्न मंदिरों का दौरा कर हनुमान पाठ किया जा रहा है. माना जाता है कि एमएलसी नीरज कुमार की कुल कोशिश हिन्दू मतदाताओं और विशेष कर भाजपा का आधार वोट स्वर्ण मतदाताओं को अपने पाले में बनाये रखने की है.
लम्बे अर्से से भाजपा को एक संवेदनशील मुद्दे की तलाश
लेकिन इतना तो साफ है कि इस प्रकरण पर जदयू और राजद नेताओं के बीच तलवारें खींच चुकी है. यह बात तब और भी गंभीर हो जाती है. जब जदयू नेता उपेन्द्र कुशवाहा ने प्रोफेसर चन्द्रशेखर के बयानों को भाजपा की पिच की खेलना बता दिया. उनके अनुसार लम्बे अर्से के मुद्दे की खोज करती भाजपा को एक मुद्दा थमा दिया गया है, उसकी कोशिश इस मुद्दे के बहाने हिन्दू भावनाओं से जुड़ने की है.
अन्दरखाने भाजपा के साथ राजद का डील की आशंका
बात यही नहीं रुकी, उपेन्द्र कुशवाहा ने तो यहां तक बोल दिया कि आशंका इस बात की है कि कहीं भाजपा और राजद में कोई आपसी सहमति तो नहीं है, क्योंकि इसके पहले भी सुधाकर सिंह के बयान को उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भाजपा के अनुकूल बताया था, बावजूद इसके अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी. कहीं यह बयान भी उसी डील की अगली कड़ी तो नहीं है.
सार्वजनिक बयानों से बचे उपेन्द्र कुशवाहा- राजद
इस बीच राजद ने उपेन्द्र कुशवाहा से संवेदनशील मामलों में सार्वजनिक बयान के परहेज करने को कहा है. किसी भी तरह की गलतफहमी को राजद सुप्रीमो और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बात कर दूर करने की सलाह दी है.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार
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