दुमका (DUMKA): सावन का महीना आने में महज कुछ ही दिन शेष है, लेकिन मौसम की बेरुखी अभी भी दुमका जिला में देखने को मिल रही है. कृषि प्रधान दुमका जिला में वर्षा नहीं होने से हर कोई परेशान है. वर्षा की कामना को लेकर सोमवार को दुमका के विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ धाम में एक अनोखी परंपरा का निर्वहन किया गया. तीर्थ पुरोहितों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ गौ माता को गर्भ गृह में प्रवेश कराया और शिवलिंग पर गाय के दूह से बाबा का दुग्धाभिषेक किया गया. स्थानीय भाषा में इसे गौ दुहान कहा जाता है. बाबा की महिमा देखिए गौ दुहान समाप्त होते ही बासुकीनाथ और आसपास के क्षेत्रों में झमाझम बरसा भी शुरू हो गई.
सदियों से चली आ रही गौ दुहान की परंपरा
इस बाबत बासुकीनाथ धाम पंडा धर्म राक्षणि सभा के अध्यक्ष मनोज पंडा ने कहा कि गौ दुहान की परंपरा सदियों से चली आ रही है. क्षेत्र में जब बर्षा नहीं होती है और अकाल की स्थिति उत्पन्न होने लगती है तो वर्षा की कामना को लेकर गौ दुहान किया जाता है. उन्होंने कहा कि जिला कृषि प्रधान है और वर्षा नहीं होने से किसान के चेहरे मुरझाने लगे हैं.
उन्होंने कहा कि इस वर्ष अब वर्षा की सख्त जरूरत है, क्योंकि सावन का महीना आने वाला है और बासुकीनाथ धाम में विश्व प्रसिद्ध है. राजकीय श्रावणी मेला महोत्सव का आयोजन होता है, जहां देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं और शिवगंगा में आस्था की डुबकी लगाकर फौजदारी बाबा पर जल अर्पण करते हैं. लेकिन इस वर्ष शिव गंगा की सफाई की गई है. सफाई के क्रम में शिव गंगा के पानी को बाहर निकाल दिया गया था. सफाई होने के बाद वर्षा नहीं होने से शिवगंगा सूखी पड़ी है. मोटर के जरिए पानी भरने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन वह नाकाफी साबित हो रहा है. अगर बर्षा नहीं होगी तो बासुकीनाथ धाम आने वाले श्रद्धालु आखिर आस्था की डुबकी कहां लगाएंगे. यह यक्ष प्रश्न है. इन कारणों को देखते हुए गौ दहन की परंपरा का निर्वहन किया गया. वैसे उन्होंने कहा कि यह पहले ही हो जानी चाहिए थी लेकिन देर से सही आखिरकार इस परंपरा का निर्वहन किया गया और गौ दुहान समाप्त होते ही क्षेत्र में झमाझम बारिश भी शुरू हो गई.
रिपोर्ट. पंचम झा
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