गुमला(GUMLA):पुलिस ने एक जून को गुप्त सूचना के आधार पर दो लाख के इनामी नक्सली को एनकाउंटर में मार गिराया. पुलिस की इस कामयाबी से पूरे राज्य का पुलिस महकमा में खुशी है. वहीं सबसे हैरान करनेवाली बात भी सामने आई है. जिसको सुनकर लोग हैरान है. राजेश की मौत से उसके परिवार के लोगों को कोई फर्क नही पड़ रहा है. यहां तक कि उसके घरवाले उसकी लाश लेने से भी इनकार कर रहे हैं.
एनकाउंटर में मारा गया दो लाख का ईनामी नक्सली राजेश उरांव
राजेश उरांव गुमला में लम्बे समय से नक्सली गतिविधि में सक्रिय था. जिसकी तलाश पुलिस को लंबे समय से थी. वो लगातार पुलिस की नजरों से बचने के लिए इधर- उधर भागता फिरता था. राजेश पर पुलिस ने दो लाख रुपये का इनाम भी रखा था. लेकिन 1 जून को वो पुलिस के हत्थे चढ़ गया. जिसको पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया.
घरवालों ने शव लेने से किया इंकार
घाघरा थाना की पुलिस के साथ एसआई टेकलाल महतो ने जब परिवालों से शव लेने को कहा तो राजेस के भाई और भाभी ने कहा कि हमें उसके शव से कोई लेना देना नहीं है. पुलिस अपने तरीके से उसका अंतिम संस्कार करे. घर में खाने के लिए तरस रहे हैं, तो शव का अंतिम संस्कार कैसे करेंगे. राजेश ने कितने लोगों को तड़पाया है, कितने लोगों को मारा है, वैसे नक्सली का शव हम देखना भी नहीं चाहते है. उसके मौत से हम सभी खुश हैं.
दोस्तों के लाख समझाने के बाद भी नहीं समझा
वैसे नक्सली का यही अंजाम होना चाहिए जो पुलिस ने किया. राजेश के भाई भैयाराम उरांव ने कहा कि भाई है तो दुख हो रहा है, एक न एक दिन राजेश को मरना ही था. गलत का अंजाम हमेशा गलत होता है. हमें वैसे नक्सली से कोई लेना-देना नहीं जो कईयों का घर बर्बाद किया हो. कई लोगों को तड़पाया हो जो जैसा करता है उसके साथ वैसा ही होता है.
समाज के साथ परिवार के लिए भी था परेशानी की वजह
नक्सली गतिविधि में शामिल होने के बाद कभी कभी राजेश गांव आया करता था. राजेश के दोस्तो की माने तो उन लोगो ने कई बार उसे समझाया भी था. लेकिन वह नही समझता. जिसका परिणाम आज उसकी मौत के रूप उसे मिला. राजेश नक्सली बनकर समाज के अहित के साथ परिवार वालो के लिए भी परेशानी की वजह बन गया था.
शराब, खस्सी और मुर्गा खाने की लत ने बनाया नक्सली
राजेश को शराब, खस्सी और मुर्गा खाने की लत थी. लेकिन घर में उसे माड साग भात ही खाने को मिलता था. जिसकी वजह से वो 2001 से ही दुर्दांत नक्सली टोहन महतो के संपर्क में लगातार रहने लगा.कुछ दिनों बाद टोहन महतो पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था. जिसके बाद वो 2003 में बुद्धेश्वर उरांव के संपर्क में आकर माओवादी संगठन में शामिल हो गया. जिसके बाद अब तक माओवादी गतिविधि में सक्रिय था.
घर में अच्छा खाना नहीं मिलने से गुस्से में छोड़ा था घर
राजेश की मां सुगनी देवी ने बताया कि एक बार जब उसने राजेश को माड साग बनाकर भात दिया गया. तो राजेश ने गुस्से से सारा खाना उठा कर फेंक दिया. और घर से भाग गया.उसको बचपन से ही अच्छा खाना खाने का शौक था. लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह खाना नहीं मिल पाता था.जिसकी वजह से राजेश नक्सली बन गया क्योंकि उसे संगठन में अच्छा खाना मिलता था.
रिपोर्ट-सुशील कुमार सिंह
4+