रांची (RANCHI) : झारखंड में एक बार फिर से डीजीपी के नियुक्ति का मुद्दा गरमाने लगा है. पक्ष-विपक्ष आपने सामने हैं, आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. इधर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर कई सवाल खड़े किए, तो वहीं अब कांग्रेस के प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने पलटवार करते हुए कहा कि जनादेश विपरीत मिलने पर बाबूलाल मरांडी पूरी तरह से विचलित हो गए हैं. बाबूलाल मरांडी बिना कोई सबूत और बिना कोई आधार के महागठबंधन के सरकार पर आरोप लगा रहे हैं. डीजीपी के नियुक्ति को लेकर कहा कि बाबूलाल मरांडी झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, ऐसे में उन्हें पता होना चाहिए कि मुख्यमंत्री का क्या अधिकार होता है और राज्य मंत्री परिषद का क्या अधिकार होता हैं. राज्य मंत्री परिषद ने फैसला किया कि डीजीपी के नियुक्ति का निर्णय राज्य सरकार लेगी, और उसी के आधार पर राज्य सरकार ने डीजीपी के नियुक्ति का निर्णय लिया. वहीं बाबूलाल पर निशाना साधते हुए ये भी कहा कि न्यायालय के आदेश के बाद भी बीजेपी अपना विधायक दल का नेता नहीं तय कर पा रहें हैं, तो जांच इसकी भी होनी चाहिए.
भाजपा ने उठाए कई सवाल
उधर, भाजपा ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार पर हमला बोला है. बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार को घेरते हुए कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की भी अवहेलना की है. सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में निर्देश दिया था कि यूपीएससी पैनल के तहत ही नियुक्ति होगी, लेकिन हेमंत सोरेन ने सबकी अवहेलना करते हुए डीजीपी की नियुक्ति कर दी.
बाबूलाल ने हेमंत सोरेन से पूछा कि क्या वह खुद को सुप्रीम कोर्ट से ऊपर मानते हैं. क्या हेमंत सोरेन एक दागी अधिकारी को बचाने के लिए ऐसा कर रहे हैं. जिस अधिकारी पर भ्रष्टाचार का आरोप था, वह दो साल तक निलंबित रहा, फिर विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने उसे हटा दिया. ऐसे में सवाल यह है कि बिना किसी कानून के नियम बनाए नियुक्ति कैसे कर दी गई. नियुक्ति समिति में रिटायर्ड जज, गृह सचिव, मुख्य सचिव हैं, इसके बावजूद सभी ने इस नियम को सही कैसे करार दिया. राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि झारखंड सरकार न्यायपालिका का अपनी सुविधानुसार उपयोग कर रही है.
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