टीएनपी डेस्क(TNPDESK)- सनातन धर्म के बच्चों को रामायण गीता या स्वतंत्र सेनानियों के जीवन के संबंध में जानकारी पेट से ही मिलनी शुरू हो जाएगी यानी गर्भावस्था से ही बच्चों को उनकी मां के माध्यम से यह सुविचार पहुंचेंगे. इससे जन्म से ही बच्चों को भारतीय संस्कृति के बारे में संस्कार और सीख मिल पाएगी. यह सब होगा एक कार्यक्रम के माध्यम से और जिस का संचालन एक संस्था करेगी. यह अभियान है संवर्धन न्यास का. यह संगठन हिंदुओं के सबसे बड़े संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा है. रविवार को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में संवर्धिनी न्यास के कार्यक्रम में इसके संबंध में जानकारी दी गई. इस कार्यक्रम में एम्स के डॉक्टर्स के अलावा 12 राज्यों के 78 चिकित्सक शामिल हुए.
संवर्धन इतिहास का यह कार्यक्रम गर्भ संस्कार के नाम से जाना जाता है. इस कार्यक्रम से जुड़ी माधुरी मराठे ने कहा कि गर्भ संस्कार के तहत संगठन से जुड़ी स्वयंसेविका गर्भवती महिलाओं के पास जाकर उन्हें रामायण,गीता, स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े आंदोलनकारियों की जीवनी के बारे में बताएंगे. माधुरी का कहना है कि ऐसा देखा गया है कि गर्भावस्था में बच्चा 500 शब्द तक सीख सकता है.
इस अभियान के तहत 1000 महिलाओं तक इस कार्यक्रम को ले जाया जाएगा. माधुरी ने यह भी कहा कि भारत की महिलाओं को जीजाबाई से सीख लेनी चाहिए. जीजाबाई ने गर्भावस्था में ईश्वर से प्रार्थना की थी कि उसके बच्चे में शासक जैसे गुण आने चाहिए. एम्स कि डॉक्टर रामा जयसुंदर ने कहा कि धार्मिक और आध्यात्मिक विचार या प्रवचन से गर्भ में पल रहे बच्चे पर अच्छा असर पड़ेगा. हम यहां पर आपको बताएं कि मध्यप्रदेश में 2014 इसी तरह की एक योजना शुरू की गई थी इस योजना अभियान का नाम है गर्भ संस्कार.
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