Ranchi- ग्रामीण इलाकों में शुद्ध और स्वच्छ जल पहुंचाने के इरादे के साथ शुरु की गयी नल जल योजना में भ्रष्टाचार के आरोप नये नहीं है. राज्य के तकरीबन सभी इलाकों से इसी तरह की खबरें आते रहती है, लेकिन गढ़वा की कहानी कुछ और है. दावा किया जाता है कि अपने अपने चेहतों को टेंडर दिलवाने की हड़बड़ी में अधिकारियों के द्वारा सारे नियमों को ताक पर रख दिया गया, वैसे संवेदकों को टेंडर जारी कर दिया गया, जिन्हे पहले से काम का कोई अनुभव नहीं था, और तो और अब तक लाख दस लाख का काम करते रहे संवेदकों को करोड़ों का टेंडर जारी कर दिया गया.
आरटीआई कार्यकर्ता पंकज यादव ने सूचना के अधिकार के तहत मांगी जानकारी
जब इसकी भनक सेंटर फॉर आरटीआई के अध्यक्ष पंकज यादव को लगी तो उनके द्वारा सूचना के अधिकार के तहत संबंधित जानकारी की मांग की गयी, लेकिन जैसे ही यह सूचना की मांग की गई अधिकारियों के हाथ पैर फूलने लगें. गढ़वा पीएचडी विभाग के कार्यपालक अभियंता प्रदीप कुमार सिंह इस मसले पर चुप्पी साधे हुए हैं, और फिलहाल मामले का अध्ययन करने की बात कर रहे हैं. इधर पंकज यादव का कहना है कि उनके द्वारा पीएचडी डिपार्टमेंट से वित्तीय वर्ष 2022-23 तथा 2023- 24 सितंबर तक जारी सभी टेंडरों की सूची मांगी गयी है. इसके साथ ही एनआईटी (नोटिस इनवाइटिंग टेंडर) की सूची सहित दोनों वर्षों तुलनात्मक ब्योरा भी मांगा गया है. पंकज यादव का आरोप है कि निविदा की शर्तों का घोर उल्लघंन हुआ है, ऐसे ठेकेदारों को काम पर लगाया गया है जिन्हे पूर्व में काम का कोई अनुभव नहीं है और ना ही उनके पास इतनी बड़ी राशि का काम करने का अनुभव है. उनका दावा है कि मानक के विपरीत मटेरियलों की सप्लाई भारी गड़बड़ी की गयी है, निम्न स्तरीय सामग्रियों की खरीद कर ब्रांड कंपनियों के समान राशि की निकासी की गयी है. पंकज यादव का कहना है कि वह जल्द ही इस मामले में राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखने वाले हैं ताकि इस भ्रष्टाचार पर रोक लगायी जा सकें और शुद्ध पेय जल का सपना भ्रष्टाचार की भेंट नहीं चढ़ जाये.
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