टीएनपी डेस्क(TNP DESK): सुप्रीम कोर्ट ने लाल किले पर हमले के दोषी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक पर फैसला लिया है. कोर्ट ने साल 2000 में हुए हमले मामले में अशफाक की फांसी की सजा बरकरार रखी है. कोर्ट ने दोषी की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. इसे एक ऐतिहासिक निर्णय की तरह देखा जा रहा है. बता दें कि इस मामले में निचली अदालत ने आरिफ को साल 2005 में दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में इस मामले में सुनवाई करते हुए फांसी को बरकरार रखा था.
2005 में अशफाक को हुई थी फांसी की सजा
बता दें कि साल 2000 में लाल किले पर हमला हुआ था. इसी हमले में उसे दोषी पाते हुए कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी. जिसे कोर्ट ने बरकरार रखते हुए पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया. दरअसल, 22 दिसंबर 2000 में लाल किले पर आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा ने हमला किया था. इस हमले में तीन लोगों ने जान गवां दी थी. इनमें से दो लोग सेना के जवान थे. इसी मामले में निचली अदालत ने आरिफ को साल 2005 में दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में इस मामले में सुनवाई करते हुए फांसी को बरकरार रखा था.
रिव्यू पिटीशन भी हुआ खारिज
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में आरिफ की सजा को बरकरार रखते हुए पुनर्विचार याजिका खारिज कर दी थी. इसके बाद 2014 में कोर्ट ने दोषी आरिफ की क्यूरेटिव याचिका भी खारिज कर दी. उसके बाद अब एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने दोषी की सजा को लेकर दायर की गई रिव्यू पिटीशन को भी खारिज कर दिया है.
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