टीएनपी डेस्क(TNP DESK): ज्ञानवापी मामले में सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट राजी हो गया है. सुप्रीम कोर्ट वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिले 'शिवलिंग' की सुरक्षा से जुड़ी एक याचिका पर शुक्रवार दोपहर 3 बजे सुनवाई करेगी. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमा कोहली और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई के लिए एक पीठ का गठन करेगी. शीर्ष अदालत ने कहा कि हम कल दोपहर तीन बजे ही सुनवाई के लिए एक पीठ का गठन करेंगे.
17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश द्वारा उस क्षेत्र की रक्षा करने का निर्देश दिया था, जहां 'शिवलिंग' पाया गया था और नमाज के लिए मुसलमानों तक पहुंच प्रदान की गई थी, जब तक कि वाराणसी की अदालत द्वारा सूट की रखरखाव का फैसला नहीं किया जाता और उसके बाद पार्टियों को कानूनी उपायों को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाने के लिए आठ सप्ताह तक संचालन जारी रहेगा.
हिंदू पक्ष की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने रखा पक्ष
हिंदू पक्ष की ओर से पेश अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने शीर्ष अदालत के समक्ष इस मामले का उल्लेख करते हुए 'शिवलिंग' की रक्षा के अंतरिम आदेश को बढ़ाने की मांग की. जैन ने कहा कि अंतरिम आदेश 12 नवंबर को समाप्त हो रहा है और इसे बढ़ाया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी बताया कि मुस्लिम पक्षकारों द्वारा दायर आदेश 7 नियम 11 (वादों की अस्वीकृति) आवेदन को खारिज कर दिया गया था.
वाराणसी जिला अदालत ने सितंबर में कहा था कि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के तहत मुकदमा प्रतिबंधित नहीं था. इसने अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति की याचिका को खारिज कर दिया था जो हिंदू महिलाओं द्वारा दायर मुकदमे की स्थिरता पर सवाल उठाते हुए ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करती है.
शीर्ष अदालत ने जब्त की अपील
शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाली समिति द्वारा दायर एक अपील को जब्त कर लिया है, जिसमें अदालत द्वारा नियुक्त आयुक्त को ज्ञानवापी मस्जिद का निरीक्षण, सर्वेक्षण और वीडियोग्राफी करने की अनुमति दी गई है, जिसमें हिंदुओं और मुसलमानों ने पूजा के अधिकार का दावा किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई को ज्ञानवापी मस्जिद में पूजा से जुड़े मामले को सिविल जज से वाराणसी के जिला जज को ट्रांसफर करने का आदेश दिया था. इसमें कहा गया था कि जिला जज को ज्ञानवापी-काशी विश्वनाथ में दीवानी मुकदमे की सुनवाई प्राथमिकता के आधार पर तय करनी चाहिए, जैसा कि प्रबंधन समिति अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद वाराणसी ने मांगा था.
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