टीएनपी डेस्क(TNP DESK): कभी “हिंदू पाकिस्तान’ तो कभी ‘मुस्लिमों की तुलना में गाय’ ज्यादा सुरक्षित, तो कभी भारतीय रेलवे को Quomodocunquize करने की अनबुझ सलाह देकर विवादों को न्योता देते रहे कांग्रेसी नेता और लाजवाब अंग्रेजी के धनी शशि थरुर ने इस बार एक बार फिर से पूर्व पाकिस्तानी तानाशाह परवेज मुशर्रफ “शांति की ताकत” बताकर अपने आलोचकों के हाथों में मिर्च मसाला थमा दिया है. उनके इस ट्विट के बाद सोशल मीडिया पर उन्हे ट्रोल किया जाने लगा है.
दुर्लभ बीमारी के बाद परवेज मुशर्रफ का दुबई में निधन
दरअसल पूर्व पाकिस्तानी तानाशाह परवेज मुशर्रफ का लम्बी बीमारी के बाद आज ही दुबई में देहांत हो गया है. परवेज मुशर्रफ की मृत्यू के बाद शशी थरुर ने उन्हे शांति की ताकत बताया है. उन्होंने लिखा है कि कभी भारत के दुश्मन रहे परवेज मुशर्रफ 2002 से 2007 के बीच शांति की आवाज बन कर उभरें, इस बीच मैं उनसे कई बार मिला, बेहद स्मार्ट और रणनीति रुप से कुशल नजर आयें. उनमें बातचीत को आगे बढ़ाने की क्षमता थी.
लोगों का सवाल, एक तानाशाह की मौत पर प्रशंसा के कसीदे क्यों?
लोग उन्हे यह याद दिला रहे हैं कि वह मुशर्रफ ही थें जिनके द्वारा भारत के खिलाफ कारगिल युद्ध की व्यूह रचना तैयार की गयी थी. यही नहीं तब के सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ ने भारत के खिलाफ रची गयी साजिश से तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भी अंधेरे में ऱखा था और जब नवाज शरीफ श्रीलंका के दौरे पर थें, उनको सत्ताच्युत कर देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया था, सत्ता अपने हाथ में ले ली गयी थी.
मौत पर संवेदना की भी एक सीमा होती है
आलोचकों के अनुसार एक पूर्व तानाशाह को कोई कैसे शांति की ताकत बता सकता हैं? आलोचकों का कहना है कि संवेदना जाहिर करना एक रस्म हो सकता है, लेकिन किसी के मौत के बाद तारीफ करने की भी एक सीमा होती है. जो व्यक्ति अपने देश का नहीं हो सका, जिसने अपने ही देश में लोकतंत्र की हत्या की, उसे किस आधार पर शांति की ताकत बताया जा सकता है, इस पूर्व तानाशाह का भारतीय उपमहाद्वीप में शांति और अमन स्थापित की दिशा में क्या कोई भूमिका रही है. सिर्फ भारत के खिलाफ जहर उगलने और भारत पर कारगिल युद्ध थोपने के सिवा उनका क्या योगदान है.
शांति की ताकत पर भाजपा का प्रहार, राहुल गांधी की प्रशंसा पर भी आपत्ति
इस बीच भाजपा प्रवक्ता ने शशि थरुर पर निशाना साधा है, भाजपा प्रवक्ता शहजाद पुनावाला ने लिखा है, "परवेज मुशर्रफ जिन्होंने ओसामा बिन लादेन और तालिबान की प्रशंसा की थी, उन्होंने राहुल गांधी की भी प्रशंसा की थी. उन्हें एक सज्जन व्यक्ति कहा और उन्हें अपना समर्थन देने का वचन दिया. शायद यही वजह है कि शशि थरूर कारगिल के वास्तुकार और आतंकवाद के समर्थक की प्रशंसा कर रहे हैं.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार
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