टीएनपी डेस्क(TNP DESK): कभी रक्षा क्षेत्र में उपकरणों की खरीदारी पर भारत को अरबों डॉलर रुपए खर्च करने पड़ रहे थे.आज स्थिति बदली है. अब भारत सामरिक क्षेत्र से जुड़े प्रोडक्ट्स को निर्यात करने लगा है. यह भारत के लिए और यहां के देशवासियों के लिए गर्व का विषय हो सकता है. क्योंकि भारत का खजाना अब खाली होने के बजाय भरने लगा है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर इस उपलब्धि की जानकारी देशवासियों को दी है.रक्षा मंत्री ने कहा है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में रक्षा उपकरणों के निर्यात से 15920 करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं. भारत आज दुनिया के कई देशों को सामरिक उपकरण निर्यात कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह बहुत ही गर्व का विषय है. पिछले कुछ वर्षों में भारत ने रक्षा उपकरणों के निर्यात में 10 गुना वृद्धि की है. भारत सरकार के मेक इन इंडिया की सोच का यह सुखद प्रतिफल है.
हम आपको बता दें कि डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स,ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड और प्राइवेट डिफेंस इंडस्ट्री के समेकित प्रयास से 2017-18 में 4682 करोड़ रुपए का निर्यात हुआ. क्षेत्र में लगभग 50 भारतीय कंपनी निजी क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं. आपको हम यह भी बता दें कि अधिकांश रक्षा उत्पादों का निर्यात इटली, श्रीलंका, मालदीव, रूस,नेपाल, फ्रांस, मॉरीशस, इजराइल, मिस्त्र, सऊदी अरब अमीरात,भूटान, इथोपिया, फिलिपिंस पोलैंड, स्पेन, चिली को होता है.
हम आपको यह भी जानकारी दे दें कि इन रक्षा उत्पादों में तटीय पेट्रोल वाहन, एएलएच हेलीकॉप्टर, एसयूवी ओनिक्स, भारती रेडियो कोस्टल सर्विलांस सिस्टम, कवच MoD2 लांचर के अतिरिक्त राडार और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान के कलपुर्जे विद्युत अभियांत्रिकी उपकरण के कलपुर्जे निर्यात होते हैं. भारत में निर्मित रक्षा उपकरणों से जहां भारत को आर्थिक लाभ हो रहा है व विदेश नीति के तहत भी अच्छे परिणाम आ रहे हैं. वैसे हम बता दें कि भारत अभी भी बहुत सारे टैंक,युद्धक विमान विदेशों से आयात करता है. रूस भारत का सबसे बड़ा सामरिक पार्टनर है. यानी आज की तारीख में भारत सामरिक उपकरणों का सबसे अधिक आयात रूस से करता है. इसके अलावा कई अन्य देशों से भी सामरिक उपकरण खरीदे जाते हैं.
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