रांची(RANCHI): राजधानी रांची में सहायक पुलिसकर्मियों ने एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया है. इस आंदोलन का नाम है 'वर्दी ए इंसाफ'. 3 दरअसल सहायक पुलिसकर्मियों का यह आंदोलन तीसरी बार है पहला आंदोलन 2021 में और दुसरी बार 2022 में किया था लेकिन इनके द्वारा लंबे आंदोलन के बाद भी सरकार इनकी मांगो को पूरा नहीं की थी जिसके बाद हार कर फिर आज यह आंदोलन कर रहे हैं.
नक्सलवाद को खत्म करने के लिए हुई थी बहाली
दरअसल झारखंड के सहायक पुलिसकर्मियों की बहाली 2017 में नक्सलवाद को खत्म करने के लिए हुई थी. इस बीच सरकार ने इनसे वादा किया गया था कि जल्द ही उन्हें जिला पुलिस में समायोजित और उनका मानदेय बढ़ा दिया जाएगा.लेकिन 7साल हो चुके है और सरकार के सारे वादे भी अधूरे रह गए हैं. इन्हीं मांगो के साथ आज एक बार फिर से झारखंड के 12 जिलों के सहायक पुलिसकर्मी रांची के मोराबादी मैदान में आंदोलन कर रहे हैं.
यह लड़ाई आर या फिर पार की हैं.
बता दे कि सैकड़ों महिला सहायक पुलिसकर्मी अपने छोटे बच्चों के साथ इस आंदोलन में शामिल हुई हैं, जो इस आंदोलन की कठिनाइयों को दर्शाता है. एक महिला सहायक पुलिसकर्मी अपने बच्चे को गोद में लेकर आंदोलन कर रही है, जो इस संघर्ष की गंभीरता को दिखाता है.बता दे कि पूनम की जब शादी नही हुई थी.तब से वह इस आंदोलन का हिस्सा बनी हैं,लेकिन आज उस महिला कि एक छोटी बच्ची है जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि सरकार इनकी मांगो को अनदेखा कर रही है पूनम का कहना है कि सरकार की प्रकिया इतनी धीमी है कि कुछ कहा ही नही जा सकता हर बार हम लोगों को बरगलाया जा रहा है.यह सरकार झूठी है, हर बार हमें झूठे आश्वासन ही दी है उन्होंने कहा कि अब यह लड़ाई आर या फिर पार कि होगी.
कहा गया रोजगार देने का वादा
उन्होंने कहा कि सरकार चुनाव जीतने से पहले कहते-फिरते चलते थे कि युवाओं को रोजगार दिया जाएगा लेकिन ये नौकरी देने के बजाय ये नौकरी छिन रही हैं, कई सहायक पुलिस अपने हक के लिए लड़ते लड़ते शहिद हो गए लेकिन उन्हें तिरंगा नही कफन मिला हैं. उन्होंने कहा कि अब सरकार को कुछ तो निर्णय लेना होगा क्योंकि अब हम भी थक चुके हैं.
सरकार से हमारी लड़ाई मान सम्मान की
वहीं आंदोलन कर रहे सहायक पुलिस कर्मी का कहना है कि यह आंदोलन सिर्फ हमारी मांगों के लिए नहीं, बल्कि हमारी मान-सम्मान और भविष्य के लिए भी है. वे चाहते हैं कि उनकी सेवा को स्थायी किया जाए और उनका मानदेय बढ़ाया जाए ताकि वे अपने परिवार का सही ढंग से पालन-पोषण कर सकें.उन्होंने कहा कि सरकार नक्सलवाद को बढावा और हमें झुठे आश्वासन दे रही है लेकिन अब सरकार का झुठा वादा चलने बाला नही हैं,एक बार फिर से बड़े आंदोलन के लिए सहायक पुलिस कर्मी तैयार हैं.
दरअसल इस आंदोलन में झारखंड के 12 जिले से 2 हजार सहायक पुलिस कर्मी शामिल है वहीं झारखंड मे होने वाला विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और यह आंदोलन सरकार पर दबाव भी बना सकता हैं.
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