पटना(PATNA)- रामनवमी जुलूस के दौरान बिहार के कई स्थानों पर दो समुदायों के बीच झड़प और हिंसा के बाद अब आम लोगों की जिंदगी एक बार फिर से पटरी पर ल़ौटती नजर आने लगी है, पूरा प्रशासनिक महकमा उपद्रवियों और हुंड़दंगियों की शिनाख्त में लगा हुआ है. सोशल मीडिया पर सरकार की नजर बनी हुई है. हिंसा के लिए जिम्मेवार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर दंडित करने की प्रक्रिया शुरु कर दी गयी है, हिंसा भड़काने के आरोप में दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया गया है. लेकिन इस हिंसा ने शासन प्रशासन के इकबाल पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है.
कुछ परिवारों ने छोड़ा घर
खबर आ रही है कि सासाराम में कुछ परिवारों ने अपना घर बार छोड़ दिया है, वह सुरक्षित स्थानों पर शरण लिये हुए हैं, हिंसा के दौरान पुलिस की भूमिका से उनका आत्मविश्वास हिल गया है, दावा है कि पुलिस के सामने ही उपद्रवियों के द्वारा उनके घरों में आग लगायी गयी, मदद की मांग करने के बावजूद पुलिस मूकदर्शक बन सब कुछ देखती रही.
मदद की मांग करने पर जिंदगी बचाने की सलाह दी गयी
दावा किया जा रहा है कि पुलिस से मदद की गुहार लगाने के बाद भी कोई मदद नहीं मिली, घर बचाने की भीख मांगते इन परिवारों को पुलिस की ओर से जिंदगी बचाने की सलाह दी गयी. कहा गया कि पहले अपनी जिंदगी बचा लो, जिंदगी रही तो घर फिर से बन जायेगा.
जबकि कुछ लोगों का दावा है कि उपद्रवियों ने पुलिस के सामने ही उनकी दुकानों को लूटा और पुलिस कुछ नहीं कर सकी. उनका दर्द है कि इस स्थिति में हम क्यों और कैसे पुलिस पर विश्वास करें.
जाने पहचाने चेहरे ने लूटा
जब हमें सबसे ज्यादा सुरक्षा की जरुरत थी, तब पुलिस मूकदर्शक बन सब कुछ देखती रही, हम इस भयानक मंजर को कभी नहीं भूलेंगे, ये लूटरे कोई बाहर से नहीं आये, सब जाने पहचाने चेहरे थें, लेकिन पुलिस के रुख से लगता नहीं कि कभी इन सबके खिलाफ कार्रवाई भी होगी,
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