रांची(RANCHI)- रामगढ़ उपचुनाव में मिली यूपीए की हार का ठीकरा कांग्रेस विधायक अम्बा प्रसाद के माथे फोड़ने की तैयारी चल रही है, बताया जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी ने आलाकमान को भेजे गये अपने रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है कि एन चुनाव के पहले अम्बा प्रसाद के विधायक प्रतिनिधि की हत्या और विधायक अम्बा प्रसाद के द्वारा उस हत्या के लिए हेमंत सरकार को कटघरे में खड़ा करना हार की वजह बनी. प्रदेश कांग्रेस का मानना है कि जिस प्रकार विधायक प्रतिनिधि की हत्या के बाद सरकार के खिलाफ हमलावर हुई, राज्य में कानून व्यवस्था का मुद्दा को उठाया गया, उससे लोगों के बीच अच्छा संदेश नहीं गया और वोटरों का झुकाव आजसू गठबंधन की होने लगा.
विक्षुब्ध खेमा राजेश ठाकुर से कर रहा है इस्तीफे की मांग
हालांकि खुद कांग्रेस के अन्दर से ही इसका हार की जिम्मेवारी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर की अदुरदर्शी नीतियों को बताया गया था, विक्षुब्धों का आरोप था कि राजेश ठाकुर ने एक रणनीति के तहत चुनाव प्रचार से जनाधार वाले नेताओं को दूर रखा. खास कर इरफान अंसारी को दूर रखने के कारण अल्पसंख्यक मतदाता यूपीए के साथ खड़े नहीं हो सके, साथ ही दूसरे नेताओं को भी दूर रखकर हवा हवाई नेता की फौज उतारी गयी, इसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ा, विक्षुब्धों की मांग थी कि इस हार की नैतिक जिम्मेवारी स्वीकार कर राजेश ठाकुर को अपना इस्तीफा सौंप देना चाहिए, नहीं तो यूपीए खेमा को 2024 के लोकसभा चुनाव में इन परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा.
राजेश ठाकुर ने विक्षुब्धों की मांग को होली का हुड़दंग करार दिया था
हालांकि राजेश ठाकुर ने विक्षुब्धों की इस मांग को होली की हुड़दगं करार देते हुए दावा किया था कि पूरी कांग्रेस एकजुटता के साथ मैदान में खड़ी थी, हमें इस हार को शालिनता के साथ स्वीकार करना चाहिए.
विधायक इरफान अंसारी ने भी उठाये थे सवाल
यहां यह भी याद रहे कि खुद विधायक इरफान अंसारी ने भी इस हार पर सवाल खड़े किये थें, उनका कहना था कि इतनी बडी अल्पसंख्यक आबादी के बाद भी रामगढ़ की हार हमें कुछ सबक दे जाती है, आखिर ये अल्पसंख्यक मतदाता हमसे दूर क्यों रहें इसकी वजहों की तलाश करनी होगी.
जनाधार विहीन नेता है राजेश ठाकर
जानकारों का मानना है कि कांग्रेस के अन्दर कई गुट हैं, हर गुट दूसरे गुट को सबक सिखाने में मशगूल है और यही कांग्रेस की हार का कारण है. साथ ही उनका मानना है कि कांग्रेस अध्यक्ष जमीनी जनाधार वाले नेता नहीं है, जब तक कांग्रेस अपना नेतृत्व किसी जनाधार वाले नेता को नहीं सौंपता कांग्रेस लिए 2024 में भाजपा की चुनौतियों का सामना करना मुश्किल होगा.
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