रांची(RANCHI): कहते है ना राजनीति में कोई किसी का नहीं होता. काम खत्म होने के बाद नेता अपने कार्यकर्ता को पाँच साल के लिए भूल जाते है. यही वजह है कि कई लोगों ने कहा है राजनीति में अपनी आपसी भाई चारा ना खो देना. उतना ही विरोध करना जिससे चुनाव के बाद जब मिले तो आँख मिला सके. बैठ कर बाते कर सके. क्योंकि चुनाव के बाद नेता नहीं आता है. आप और हम ही एक दूसरे के सुख दुख में साथ रहेंगे. कुछ ऐसा ह हाल सारठ विधानसभा में कई कार्यकर्ताओं के साथ हुआ. विधायक बनाने के चक्कर में पैर तक तोड़वा लिया. लेकिन अब खटिया पर लाचार बैठे है तो कोई विधायक जी सुध लेने भी नहीं पहुंचे.ना ही पुलिस आरोपी पर कोई कार्रवाई कर रही है.
ऐसे में देखे तो जामताड़ा के कर्माटांड थाना क्षेत्र में मतदान के पूर्व देर रात कजरा मोड के पास भाजपा और झामुमो के कार्यकर्ता आपस में भीड़ गए. एक ओर रणधीर सिंह के समर्थक थे तो दूसरी ओर चुन्ना सिंह के समर्थक. इतने में जयकारे के साथ दोनों समर्थक आपस में भीड़ गए. खूब लात घुसे के साथ लाठी डंडे चले. इसमें मण्डल जी का पैर टूट गया तो कई घायल हो गए. इसके बाद से मण्डल जी बेचारे खटिया पर पड़े है.
चुनाव खत्म हो गया. जिसके लिए लड़ाई लड़े. लाठी डंडा चला वह चुनाव जीत भी गए. विधानसभा तक पहुँच गए. लेकिन चुनाव जीतने के बाद अपने समर्थक के दरवाजे तक नहीं पहुँच सके. और ना ही विधायक बनने के बाद पुलिस पर किसी तरह की कार्रवाई करने का दबाव बनाया है.
जामताड़ा जिले के सूदूरवर्ती गांव का यह मामला आने वाले हेमंत सोरेन सरकार के अगले पांच वर्षों का ब्लूप्रिंट जैसा दिखता है. इसके लिए जामताड़ा और सारठ विधानसभा में स्थापित राज परिवारों के आत्मीय संबंध को पहले समझना होगा. भारत के परिपक्व प्रजातंत्र में इसे बानगी मान लिया जाए. तो संपूर्ण देश लगभग इसी सिद्धांत पर स्थित है. जो प्रजातंत्र को राजतंत्र बनाता है. इनके माया जाल में लोग फंसते हैं. तब यहां से इन्हें परमात्मा भी नहीं निकाल पा रहें हैं. राजघराने के दस्तूर में सिपहसलारों के बलिदान की लंबी कतार है.
अब देखिए जामताड़ा के पूर्व विधायक फुरकान अंसारी और सारठ के वर्तमान विधायक उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह मित्र हैं. दोनों ने लंबे समय तक एक दूजे का भरोसा जीता है. अखंड बिहार और झारखंड में इनकी मित्रता की चर्चा लोग चाव से करते हैं. वहीं वर्तमान मंत्री इरफान अंसारी और पूर्व मंत्री रणधीर सिंह के मित्रता की चर्चा परवान पर है. आजकल इनकी दोस्ती की चर्चा कर लोग ठंढी सांस लेते हैं.
झारखंड सरकार में केबिनेट मंत्री इरफान अंसारी के मित्र रणधीर सिंह के समर्थको पर मण्डल जी का पैर तोड़ने का आरोप हैं.ऐसे में बताना काफी है कि आखिर बड़े नेताओं के चक्कर में कैसे छोटे कार्यकर्ता पिस्ते है. कैमरे के सामने तो खूब एक दूसरे पर बरसते है. जिसे कार्यकर्ता सच समझ कर अपने नेता के हर बात पर अपने सामने वाले पार्टी के समर्थक से उलझ जाते है. लेकिन यह सब मोह माया है एक जाल है.
इसका दूसरा पहलू भी है.
विधानसभा चुनाव में राम रतन मण्डल,रंजीत मण्डल और बलराम मण्डल नेता जी के सबसे करीबी थे. अपने अपने बूथ पर लीड कराने का वादा भी किया था. लेकिन जब चुनाव के बाद evm खुला तो परिणाम कुछ और दिखा. राम रतन मंडल के बुथ 320/321 नंबर से चुन्ना सिंह को 516 और बीजेपी को 332 मिला. बूथ मुस्लिम डोमिनेट गांव है. बलराम मंडल के बुथ 324 प्राथमिक विद्यालय डुमरिया 505 बुजेपी और झामुमो के चुन्ना सिंह को मात्र159 वोट मिला. रामदेव मंडल तेतुलबंधा मझलाडीह बीजेपी 366, झामुमो के चुन्ना सिंह को 134 वोट से संतोष करना पड़ा. चरघड़ा बुथ संख्या 327 पर बीजेपी 325 और झामुमो के चुन्ना सिंह को 131 वोट ही मिला.
अब हो सकता है कि भले ही नेता जी के लिए पैर तोड़वा लिया हो लेकिन जमीन पर तैयारी करना भूल गए. तभी तो वोट नेता जी को नहीं मिला और चुनाव के बाद नेता जी भी भूल गए कि कोई मण्डल नाम का भी था. जो वोट के खातिर अपना पैर तोड़वा लिया हो.
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