रांची(RANCHI): सीएम हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा की मुश्किलें फिलहाल खत्म नहीं होने वाली हैं. दरअसल, ईडी ने पंकज के खिलाफ एक अन्य मामले की जांच शुरू कर दी है. इस जांच के बाद पंकज मिश्रा को अब और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. बता दें कि पंकज मिश्रा पहले ही ईडी की गिरफ्तर में हैं. ऐसे में एक नए मामले की जांच पंकज को नई मुसीबत में डाल सकती है.
जानिए किस मामले की जांच ईडी ने ली
ईडी ने जिस नए मामले की जांच का जिम्मा अपने पास लिया है, वह मामला नवंबर का है. दरअसल, नवंबर में मिर्जाचौकी निवासी विजय हांसदा द्वारा अवैध खनन के मामले में दर्ज साहिबगंज मुफस्सिल थाने में दर्ज केस से जुड़ा है. केंद्रीय एजेंसी ने अब इसमें मनी लाउंड्रिंग की जांच शुरू कर दी है.
नींबू पहाड़ी पर अवैध खनन का है आरोप
बता दें कि विजय हांसदा की शिकायत के बाद इस मामले में पंकज मिश्रा, विष्णु यादव, पवित्र यादव, राजेष यादव, संजय कुमार यादव, बच्चू यादव, संजय यादव, सुभेश मंडल पर मामला दर्ज किया गया था. दरअसल, विजय हांसदा ने कोर्ट में कंप्लेन किया था कि पंकज मिश्रा के संरक्षन में नींबू पहाड़ी में अवैध क्रशर का संचाचन हो रहा है. विजय ने आरोप लगाया था कि पिछले दो-तीन सालों से यहां पंकज मिश्रा के संरक्षन में अवैध खनन हो रहा है. इतना ही नहीं विजय ने साहिबगंज के डीएमओ विभूति कुमार पर भी आरोप लगाए थे. ईडी ने इस मामले में संबंधित दस्तावेज दिसंबर के पहले सप्ताह में ही हासिल किया था.
विजय ने सीबीआई जांच के लिए दायर की थी याचिका
बता दें कि नींबू पहाड़ी में अवैध खनन का मामला विजय के द्वारा साल 2021 में ही लाया गया था, लेकिन कोर्ट के आदेश के बावजूद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. जिसके बाद विजय ने सीबीआई जांच के लिए याचिका दायर की थी.
पुलिस ने कहा था विजय वापस लेना चाहता है केस
बता दें कि विजय हांसदा ईडी का गवाह है और फिलहाल वो आर्म्स एक्ट में जेल में बंद हैं. वहीं, दुमका डीआईजी ने कुछ समय पहले पीसी कर कहा था कि विजय केस वापस लेना चाहता है. विजय ने अशोक कुमार यादव नाम के व्यक्ति के बहकावे में आकर केस दर्ज किया था. हालांकि, बाद में विजय हांसदा ने कहा कि वो कोई केस वापस नहीं लेना चाहता है बल्कि पुलिस ने जबरदस्ती उससे खाली पेपर में साइन करवाया लिया है.
कौन है पंकज मिश्रा?
पंकज मिश्रा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का विधायक प्रतिनिधि है. इसके साथ ही साहेबगंज जिले में 1000 करोड़ रुपए के अवैध खनन मामले में ईडी ने उसे मुख्य आरोपी भी बनाया है. इन सब के अलावा वह एक बड़ा पत्थर कारोबारी है. बरहरवा, मिर्जाचौकी समेत जिले के तमाम इलाकों में पत्थर कारोबार का नेटवर्क पंकज मिश्रा के संरक्षण में चलता है. इलाके में उसकी छवि एक दबंग की भी है. अवैध खनन मामले से पहले रुपा तिर्की मामले में भी पंकज मिश्रा का नाम सामने आया था. इस मामले में लगातार प्रदर्शन हुए, सीबीआई जांच की मनाग भी हुई, लेकिन इस मामले में पंकज मिश्रा पर आंच भी नहीं आई.
पुलिस और अधिकारियों के बीच क्यों है उसका इतना रसूक
पंकज मिश्रा पत्थर कारोबारी के साथ-साथ सीएम हेमंत सोरेन का विधायक प्रतिनिधि भी है. ऐसे में रसूक होना तो आम बात है. मगर, इसके अलावा पंकज मिश्रा के रसूक का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह चार-चार अंगरक्षक के साथ चलता था. साथ ही उस पर कारोबारियों को धमकाने, कोयला, बालू, और पत्थर के अवैध कारोबार का भी आरोप है. सरकारी टेंडर लेने से लेकर अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग में भी पंकज मिश्रा का रोल होता था. उसके रसूक का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जेल में रहने के बाद भी वो अधिकारियों से बात करता है और अपने अवैध कारोबार को संचालित करता है, इसका खुलासा ईडी ने किया है. इस रसूक के पीछे की वजह ये भी है कि अवैध खनन का कारोबार बिना अधिकारियों की मिलीभगत के संभव नहीं हो सकती. ऐसे में पंकज मिश्रा के साथ ही अधिकारियों के भी अवैध खनन मामले में शामिल होने की संभावना है. ऐसे में ईडी की रडार पर कई अधिकारी भी हैं, जिनसे ईडी पूछताछ कर सकती है. इसी के चलते अधिकारियों पर पंकज मिश्रा को बचाने का आरोप लग रहा है.
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