रांची(RANCHI)- जल्द ही झारखंड के माननीययों के वेतन में अभूतपूर्व वृद्धि की घोषणा की जा सकती है. नियोजन नीति और 1932 के खतियान पर अब पीछे हटती नजर आ रही हेमंत सरकार विधायकों के वेतनमान में वृद्दि का अहम फैसला ले सकती है और वह भी सर्वसम्मत राय से.
वेतन वृद्धि की मांग पर पक्ष विपक्ष एकजुट
यहां यह याद रहे कि इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में कोई मतभेद नहीं है, दोनों के बीच अक्सर दिखने वाली तल्खी गायब है, सत्ता पक्ष विपक्ष की इस मांग पर अपनी सहमति प्रदान कर रहा है, दोनों ही ओर से भीषण महंगाई का रोना रोया जा रहा है, अब तक देश में महंगाई के लिए मोदी सरकार को जिम्मेवार बताने वाला विपक्ष और मंहगाई के दावे को सिरे खारिज करती रही भाजपा विधायकों के बीच इस मुद्दे पर बेहद शालीन सहमति है.
भाजपा विधायक भानू प्रताप शाही की मांग पर सत्ता पक्ष का समर्थन
दरअसल विधायकों के लिए वेतन वृद्धि की इस मांग को भाजपा विधायक भानू प्रताप शाही की ओर से उछाला गया था, लेकिन बिना देरी किये इसे कांग्रेस और झामुमो के विधायकों का भी समर्थन मिल गया. ठीक इसके बाद सीएम हेमंत विधायकों की इस मांग पर विचार करने का आश्वासन दे दिया.
आप सरकार को देश की सबसे भ्रष्ट सरकार बताने वाली भाजपा के विधायकों को भी माननीयों के लिए वेतन वृद्धि के मामले में आप के नक्शेकदम पर चलने में कोई गुरेज नहीं हुआ. जब भाजपा को ही गुरेज नहीं हुआ, तब झामुमो भी पीछे क्यों रहता, यही कारण है कि झामुमो विधायक समीर मोहंती ने भानू प्रताप शाही की इस मांग का जोरदार समर्थन करते हुए दिल्ली की आप सरकार को मॉडल मान वेतन वृद्धि की मांग कर डाली
झारखंड और दिल्ली के अन्तर को भूला दिया गया
लेकिन वेतन वृद्धि के लिए भाजपा और विपक्ष के विधायकों की ताबड़तोड़ बैटिंग के बीच यह बात भूला दी गयी कि यह झारखंड है, दिल्ली नहीं, दिल्ली के प्रति व्यक्ति आय की तुलना झारखंड से नहीं की जा सकती और ना ही झारखंड की अधिसंरचना दिल्ली के मुकाबले कहीं खड़ी होती है, साथ ही शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार किस पैमाने पर झारखंड दिल्ली से तुलना करने की स्थिति में है. लेकिन जब सत्ता पक्ष का ताल विपक्ष से मिला हो तब यह सवाल कौन करेगा?
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